अफ़ग़ानिस्तान में महिला क्रिकेट में कम विकास आईसीसी की चिंता
सीईओ जेफ़ एलर्डिस ने कहा, "मार्च में होने वाली बैठक में बोर्ड इस बारे में चर्चा करेगा क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान अकेला ऐसा फुल मेंबर है जिसकी महिला टीम नहीं है"

अफ़ग़ानिस्तान लगातार महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने का आईसीसी को वादा करता रहा है लेकिन अब यही आईसीसी की चिंता का विषय भी है। ऐसा इसी वजह से क्योंकि आईसीसी ने इसी सप्ताह से पहला अंडर 19 टी20 विश्व कप शुरू किया है। अफ़ग़ानिस्तान अकेला ऐसा फुल मेंबर देश है जो साउथ अफ़्रीका में हो रहे विश्व कप में शामिल नहीं है। अब जब अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का राज हुए एक साल हो गया है तब भी इस देश में महिला क्रिकेट आगे नहीं बढ़ पाया है और ऐसा संकेत भी नहीं है कि यह आगे बढ़ पाएगा। आईसीसी अब मार्च में होने वाली अगली बैठक में इसी पर चर्चा करेगा।
आईसीसी ने 2021 में तालिबान के अधिग्रहण के बाद अफ़ग़ानिस्तान में क्रिकेट की समीक्षा करने के लिए एक कार्यकारी समूह का गठन किया था। इस ग्रुप के चेयरमैन इमरान ख़्वाजा ने पिछले साल नवंबर में अफ़ग़ानिस्तान सरकार और क्रिकेट अधिकारियों समेत तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन से बात की थी। इस दौरान सरकार ने आईसीसी के संविधान सहित महिला क्रिकेट के उत्थान के लिए सहमति जाहिर की थी।
लेकिन हक़ीक़त यह है कि अभी तक महिला क्रिकेट के लिए यहां पर कुछ नहीं किया गया। यहां तक की तब भी नहीं जब उन्होंने देश में घरेलू क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए थे। यहां पर ऐज ग्रुप से लेकर सीनियर स्तर तक पुरुष क्रिकेट के लिए सभी प्रारूपों में छह टूर्नामेंट हैं, लेकिन अभी भी महिला क्रिकेट में कोई निवेश नहीं हो पाया है और अफ़ग़ानिस्तान अकेला ऐसा फुल मेंबर देश है जहां पर कोई भी महिला टीम नहीं है और यह तो एक फुल मेंबर देश की एक प्रथम प्राथमिकता है।
और संभावनाएं हाल ही में धूमिल हो गई हैं, जब तालिबान शासन ने लड़कियों के लिए विश्वविद्यालय शिक्षा पर अनिश्चितकालीन प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था, जो आईसीसी के सीईओ जेफ़ एलर्डिस के अनुसार चिंताजनक है।
इस बारे में एक ऑनलाइन पत्रकार वार्ता में एलर्डिस ने कहा, लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध चिंता का विषय है। हमारा बोर्ड प्रगति पर निगाहें बनाए हैं। यह चिंता का विषय है कि अभी तक अफ़ग़ानिस्तान में महिला क्रिकेट को लेकर कुछ नहीं हो पाया है और इस बारे में बोर्ड अगले महीने मार्च में होने वाली बैठक में चर्चा करेगा।"
जब से तालिबान ने सत्ता संभाली है, कई महिलाएं देश से भाग गई हैं या छोड़ने की मांग कर रही हैं। काबुल में अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (एसीबी) मुख्यालय में कई महिलाएं काम कर रही थीं, लेकिन अब वे कार्यालय में नहीं आ रही हैं। कई कथित तौर पर विदेश चली गई हैं।
एसीबी के पिछले डायरेक्टर असद उल्लाह ने ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो से कहा था, "अफ़ग़ानिस्तान में महिला क्रिकेट हमेशा से ज्वलंत मुद्दा रहा है और मुझे नहीं लगता कि इसका अभी कोई समाधान है। हमारे पास खिलाड़ी नहीं हैं। यहां तक कि तालिबान के राज से पहले भी हमारे पास कोई महिला टीम नहीं थी। कुछ लड़कियां हैं जो अपने घर में क्रिकेट खेल रही हैं। यह कभी मैदान तक नहीं आ पाया क्योंकि ना तो इरादा था ना ही प्लेटफ़ॉर्म था।
उन्होंने कहा था, "इस खेल को लेकर किसी का भी रुचि नहीं है, हां वे बिल्कुल खेल सकते हैं अगर वे चाहे तो लेकिन अफ़ग़ानिस्तान में यह लड़कियों के लिए विकल्प नहीं है। कई लड़कियां हैं जिन्होंने देश छोड़ दिया है, क्योंकि यहां पर उन्हें खेल खेलने की आज़ादी नहीं है। लेकिन क्या वे ऑस्ट्रेलिया या अन्य कहीं जगह खेल रही हैं? मुझे नहीं लगता। वे एक बेहतर भविष्य के लिए गए जो उनका अधिकार है लेकिन अफ़ग़ानिस्तान में लड़कियों के बीच क्रिकेट वैसे भी लोकप्रिय नहीं रहा है और इसे प्रोत्साहित भी नहीं किया गया है।"
ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो ने इस पर आधिकारिक बयान के लिए एसीबी को लिखा था लेकिन उनकी तरफ़ से कोई जवाब नहीं मिला।
उमर फ़ारुक़ ESPNcricinfo में पाकिस्तान के संवाददाता हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।
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