अमनजोत: मैं विश्व कप में पूरी तरह से फ़िट होकर उतरना चाहती थी
इस युवा तेज़ गेंदबाज़ी ऑलराउंडर ने अपने पहले ही विश्व कप मैच में अर्धशतक जड़ा और भारत को संकट से उबारा

पंजाब के एक छोटे से घर से निकली यह कहानी किसी फ़िल्म की तरह है। दादी मां, अपनी पोती को घरवालों से छुपाकर चुपके से क्रिकेट खेलने भेजती थीं। पापा डांटते थे, मगर उनकी बेटी और मां मानने वाली कहां थी। वक़्त बदला, बेटी की बल्लेबाज़ी के चर्चे दूर-दूर तक होने लगे और वही पिता, जो कभी मना करते थे, अब उसके सबसे बड़े साथी बने। पेशे से बढ़ई पिताजी ने अपनी बेटी के लिए अपने हाथों से बल्ला बनाया और उसे सपोर्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
वही बेटी आज भारतीय क्रिकेट का चमकता नाम है- अमनजोत कौर।
गुवाहाटी में महिला विश्व कप 2025 के पहले मैच में उन्होंने श्रीलंका के ख़िलाफ़ ऐसी पारी खेली कि आने वाले सालों तक उसकी चर्चा होगी। अमनजोत चोट की वजह से टीम से बाहर थीं। ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ वनडे सीरीज़ उन्होंने मिस की और सीधी एंट्री विश्व कप में की। लेकिन मिले मौक़े का फ़ायदा उठाते हुए अमनजोत ने अपने पहले ही वनडे विश्व कप मैच में 56 रनों की बेहतरीन पारी खेल डाली और एक विकेट भी लिया।
उनके वन-लाइनर्स हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। चोट के बाद WPL में वापसी करते हुए जब वह प्लेयर ऑफ़ द मैच बनीं, तो उन्होंने कहा था, "हम बने ही उड़ने के लिए हैं। ठहराव आएगा, पर हम उड़ना नहीं भूलेंगे।"और अब श्रीलंका के ख़िलाफ़ जीत के बाद उन्होंने फिर से उसी तरह की लाइन कही, "घायल शेर छलांग लगाने से पहले कुछ क़दम पीछे लेता है।"
ये सिर्फ़ जुमले नहीं हैं। श्रीलंका के ख़िलाफ़ मैच में अमनजोत ने उसे मैदान पर जिया। भारत 126 रनों पर छह विकेट खो चुका था। 26वें ओवर में हरलीन देओल, हरमनप्रीत कौर और जेमिमाह रॉड्रिग्स एक साथ पवेलियन लौट गईं। इसके बाद ऋषा घोष भी अगले ओवर में पवेलियन में थीं। ऐसा लगा कि टीम 200 तक भी नहीं पहुंचेगी। तभी अमनजोत डटकर खड़ी हुईं और दीप्ति शर्मा के साथ 101 रनों की साझेदारी की, जिसने भारत को 269 के अच्छे स्कोर तक पहुंचा दिया।
मैच के बाद प्रेस कांफ़्रेंस के दौरान अमनजोत से कई सवाल उनकी इंज़री और वापसी के बारे किया गया। उन्होंने उन सवालों के जवाब में कहा, "आप लोग तो मुझे सिर्फ़ मेरे इन वन-लाइनर्स के लिए ही मशहूर कर देंगे! (हंसते हुए) मुझे कोई चोट तो नहीं लगी थी, लेकिन मुझे लगा कि मेरे शरीर को थोड़े आराम की ज़रूरत है और मैं विश्व कप के लिए तरोताज़ा (फ्रेश) रहना चाहती थी। हमने कुछ स्कैन कराए और मैंने कोचिंग टीम के साथ चर्चा की कि मुझे गेंदबाज़ी करते समय अच्छा महसूस नहीं हो रहा था।
"मैं 80-90% फ़िटनेस पर भारत के लिए नहीं खेलना चाहती थी। मुझे या तो 100% फ़िट होना चाहिए या नहीं खेलना चाहिए। मुझे ऐसे अधूरी चीज़ें पसंद नहीं हैं। मैंने सर से कहा कि अगर आप विश्व कप के लिए मेरी तरफ़ देख रहे हैं, तो मेरे शरीर को आराम की ज़रूरत है। ऐसा नहीं होना चाहिए कि मैं विश्व कप के लिए थकी-हारी पहुंचूं। उसका कोई फ़ायदा नहीं है।"
जब उनसे दबाव वाले पलों ओर 35वें ओवर में लगाए गए पारी के पहले सिक्सर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा," अगर मैं धीमा खेलकर आउट हो जाती, तो आप सब यही कहते कि मैंने इतनी गेंदें बर्बाद कर दीं, लेकिन रन नहीं बनाए। इसलिए सिर्फ़ डिफ़ेंस करते हुए आउट होने की बजाय, विचार यह था कि आउट होने से पहले खुलकर शॉट्स लगाए जाएं और रन बटोरे जाएं, ताकि बाक़ी बल्लेबाज़ों के पास खेलने के लिए पर्याप्त गेंदें बच सकें।
आख़िरकार, आप बचाव के लिए एक अच्छा स्कोर चाहते हैं। हम सिर्फ़ इसलिए डॉट गेंदें नहीं खेल सकते क्योंकि हम छह विकेट गंवा चुके हैं। मैं जानती थी कि दीप्ति (शर्मा) मेरे साथ हैं और हमें एक बड़ी साझेदारी निभानी थी। मुझे बीच में टिके रहना ज़रूरी था। पिच भी स्टिकी थी, गेंद रुककर आ रही थी और स्पिनरों के लिए टर्न मौजूद था। हमें पता था कि हम दोनों जितनी देर तक बल्लेबाज़ी करेंगे,हमारे लिए उतना ही अच्छा होगा।"
पूजा वस्त्रकर की अनुपस्थिति में अमनजोत एक ऐसी ऑलराउंडर के रूप में उभरी हैं, जो भारत के लिए दूसरे तेंज़ गेंदबाज़ और बल्लेबाज़ी क्रम में एक फ़िनिशर की भूमिका अदा कर रही हैं। भारतीय टीम को उम्मीद होगी कि इस विश्व कप के दौरान अमनजोत इसी तरह की संकटमोचक भूमिका को जारी रखें।
अमनजोत ने भी कहा, "कभी-कभी ऐसी स्थिति (ऊपरी क्रम के बल्लेबाज़ों का जल्दी आउट होना) आए तो हमें भी बल्लेबाज़ी का मौक़ा मिलता है। इसमें दबाव जैसा कुछ नहीं है। हम चाहेंगे कि ऐसे मौक़े और आएं, कुछ देर बाद आए, तो भी चलेगा।"
राजन राज ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं
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