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WPL 2025 : कैसे चोट से उबरकर अमनजोत कौर ने फिर भरी सफल उड़ान

2023 में भारत के लिए डेब्यू करने के बाद MI और पंजाब की इस ऑलराउंडर का सफ़र चोट के कारण कुछ समय के लिए थम गया था

ऋचा घोष का ऑफ स्टंप उड़ाने के बाद अमनजोत कौर  BCCI

"हम बने ही उड़ने के लिए हैं। ठहराव आएगा पर हम उड़ना नहीं भूलेंगे।"

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यह शब्द मुंबई इंडियंस (MI) की तेज़ गेंदबाज़ी ऑलराउंडर अमनजोत कौर के हैं, जो उन्होंने WPL 2025 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू (RCB) के ख़िलाफ़ आख़िरी ओवर में अपनी टीम को जीत दिलाने के बाद बोले थे।

उस दिन एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में मौज़ूद हज़ारों लोगों ने अमनजोत को उड़ते हुए ही देखा था। MI द्वारा पहले गेंदबाज़ी का फ़ैसला लेने के बाद उन्होंने 22 रन पर तीन विकेट लिए और RCB को 167/7 पर रोकने में मदद की। इस मैच में उनकी शिकार थीं एलीस पेरी, ऋचा घोष और जॉर्जिया वेयरहम।

MI तेज़ी से इस लक्ष्य की ओर बढ़ रही थी कि वेयरहम ने लगातार गेंदों पर हरमनप्रीत कौर और एस सजना को आउट कर मैच को RCB के पक्ष में मोड़ दिया। जब अमनजोत बल्लेबाज़ी कर रही थीं, तो हरमनप्रीत ने पवेलियन जाते हुए उनसे कहा था, "तू है तो हो जाएगा आराम से।"

उस समय अमनजोत 21 गेंदों पर 19 रन बनाकर खेल रही थीं। उन्होंने अपने कप्तान को निराश नहीं किया। जब MI को आख़िरी दो ओवरों में 22 रनों की ज़रूरत थी तो उन्होंने कनिका आहूजा के 19वें ओवर में लॉन्ग ऑन पर दो छक्के लगाए और मैच को फिर से MI की ओर कर दिया।

उनके इस ऑलराउंड प्रदर्शन के कारण WPL में उन्हें पहला प्लेयर ऑफ़ द मैच अवार्ड मिला। यह प्रदर्शन अमनजोत के लिए और भी ख़ास था क्योंकि पीठ में स्ट्रेस फ़्रैक्चर और हाथ की चोट से उबरने के बाद वह आठ महीने के बाद वापसी कर रही थीं।

अमनजोत बताती हैं, "आज दो लोगों की आंखों में निश्चित रूप से ख़ुशी के आंसू होंगे: मेरे कोच नागेश गुप्ता सर और मेरी स्ट्रेंथ और कंडिशनिंग ट्रेनर तनुजा लेले मैम। ये दोनों लोग मेरे साथ पिछले आठ महीने में मेरे लिए हर रोज़ खड़े रहे। यह उनके लिए भी एक बड़ा पल है। दोनों आज बेहद चैन की नींद सोएंगे।"

गुप्ता 2016 से अमनजोत के कोच हैं। उस रात वह इतने उत्साहित थे कि उन्हें नींद ही नहीं आई, लेकिन दो दिन बाद उन्होंने अमजोत के लिए एक इंस्टाग्राम पोस्ट किया और लिखा, "इस WPL, मैं कुछ और बार इस तरह रोकर भी ख़ुश रहूंगा।"

27 गेंदों में 34 रनों की मदद से अमनजोत ने MI को एक गेंद रहते जीत दिलाई  BCCI

अमनजोत का भारत डेब्यू बहुत शानदार रहा था। 2023 में अपने T20I डेब्यू पर उन्होंने 30 गेंदों पर नाबाद 41 रन बनाए थे और प्लेयर ऑफ़ द मैच बनी थीं। छह महीने बाद उन्होंने अपने वनडे डेब्यू पर 4/31 के आंकड़े दर्ज किए।

इस दौरान वह MI का भी एक अहम हिस्सा बनीं, लेकिन MI की बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी में गहराई के कारण उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का ज़्यादा मौक़ा नहीं मिला। उन्होंने अधिकतर सातवें या आठवें नंबर पर बल्लेबाज़ी और 19 मैचों में सिर्फ़ पांच ओवर गेंदबाज़ी

मई 2024 में उनकी उड़ान पर तब रोक लगी जब चोट के कारण वह भारत की T20 विश्व कप टीम में अपनी दावेदारी नहीं पेश कर पाईं। यह उनके लिए एक बड़ा झटका था।

वह कहती हैं, "वह बहुत ही मुश्किल समय था। जब मुझे अपनी चोट की गंभीरता का पता चला तो मैंने अपने ट्रेनर और कोच को ख़ासा परेशान किया। मैं सोच रही थी कि मेरे साथ ऐसा कैसे हो सकता है। मुझे जिम जाना पसंद है और एक भी सेशन मैं जिम का नहीं छोड़ती हूं। इसके अलावा मैं बाहर का खाना भी नहीं खाती हूं।"

लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, उन्होंने अपने आप को संभाला और अब उन्हें कोई पछतावा नहीं है। वह कहती हैं, "अब तो मैं अपने आपको ख़ुशनसीब समझती हूं कि ऐसा समय मेरे जीवन में आया जिससे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। NCA में रिहैब के दौरान मैंने रियान पराग, ख़लील अहमद और सूर्यकुमार यादव जैसे बहुत सारे क्रिकेटरों को रिहैब करते हुए और खेलते हुए देखा। उनसे बात करके भी बहुत कुछ जानने-समझने को मिला।"

2024 में सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू के लिए अमनजोत को BCCI अवार्ड मिला था  BCCI

गुप्ता ने भी इस दौरान अमनजोत में बहुत सारे बदलाव देखे। वह कहते हैं, "एक व्यक्ति के रूप में अमनजोत इस दौरान बहुत विकसित हुई। वह अब पहले से अधिक विनम्र है। कोई भी धक्का यह सब आपको ज़रूर सिखाता है। जब आपको लगता है कि सबकुछ अच्छा चल रहा है, उसी वक़्त आपको कोई नाक़ामयाबी मिले तो आपको भी पता चलता है कि भगवान हैं। अब वह भगवान के भी बहुत क़रीब है।"

अमनजोत भी ऐसा ही कुछ कहती हैं। "मुझे अपने क्रिकेट को आगे बढ़ाने में जो भी कुछ करना होगा, मैं करूंगी। बाक़ी सब भगवान पर है। उनकी योजना हमारे से हमेशा बेहतर होती है।"

अगले दिन अमनजोत के इंस्टाग्राम स्टोरी पर बेंगलुरू के गुरूद्वारा श्री गुरू सिंह सभा का फ़ोटो था।

चोट से उबरने के बाद इस साल जनवरी में अमनजोत ने वनडे चैलेंजर ट्रॉफ़ी से वापसी की। तब से वह फिर से लगातार उड़ रही हैं। इस टूर्नामेंट के अपने पहले मैच में उन्होंने 24 गेंदों में 38 रन बनाए और फिर दूसरे मैच में नौ ओवरों में 40 रन देकर तीन विकेट भी लिए।

जब यह टूर्नामेंट समाप्त हुआ, अमनजोत WPL की तैयारी में लग गईं। उनको यह आभास था कि पूजा वस्त्रकर चोट के कारण शायद इस सीज़न उपलब्ध ना हों और उन्हें अतिरिक्त ज़िम्मेदारियों के साथ मौक़ा मिल सकता है।

WPL शुरू होने से पहले अमनजोत ने अपने कोच से कहा था, "मुझे जब भी कभी बल्लेबाज़ी का मौक़ा मिलेगा, मैं मैच को ख़त्म करके आऊंगी। (RCB के ख़िलाफ़) मैं मैच को 20वें ओवर में नहीं ले जाना चाहती थी क्योंकि दबाव में कई बार आप अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे पाते हैं। इसलिए मैं मैच को या तो 19वें ओवर में समाप्त करना चाहती थीं या फिर अंतिम ओवर में प्रति गेंद रन का समीकरण लाना चाहती थीं ताकि नई बल्लेबाज़ (16 वर्षीय जी कमलिनी) पर कोई दबाव ना आए।"

भाग्य से 19वें ओवर में अमनजोत के सामने उनकी पंजाब टीम की साथी आहूजा थीं, जिनको उन्होंने नेट में ख़ूब खेला है। अमनजोत कहती हैं, "यह भगवान की योजना थी। मैंने कनिका (आहूजा) के साथ बहुत खेला है। वह बल्लेबाज़ को बहुत ही कम समय देती है। लेकिन मुझे पता था कि बिना अधिक जोखिम लिए भी किस एरिया में उसे टारगेट करना है। मैंने कैलकुलेट किया था कि उस ओवर में हमें या तो चार चौके चाहिए या दो छक्के।"

चोट के कारण लगभग आठ महीने तक अमनजोत ऐक्शन से बाहर थीं  PTI

अमनजोत ने ओवर की पहली और आख़िरी गेंद पर छक्का लगाया, जो WPL में भी उनके पहले दो छक्के थे। उन्होंने अपने 18 मैचों के अंतर्राष्ट्रीय करियर में भी कोई छक्का नहीं लगाया है।

गुप्ता बताते हैं कि उन्होंने यह स्किल हाल ही में सीखा है। उनके अनुसार, "जब वह मेरे पास पहली बार आईं, वह प्रमुखतया गेंदबाज़ थीं। उनका ऐक्शन और गति बहुत अच्छा था। एक दिन जब वह छोटे बच्चों को कैचिंग प्रैक्टिस करा रही थी तो मैंने नोटिस किया कि उसका बैट स्विंग बहुत सीधा है और वह अच्छा पंच मार लेती है। फिर मैंने उसे नेट्स में बल्लेबाज़ी के लिए कहा, जहां उसने अच्छी बल्लेबाज़ी की। तब मैंने निर्णय लिया कि मैं उसको ऑलराउंडर बनाऊंगा।

"18 महीने पहले तक अमनजोत सिर्फ़ टच प्लेयर थी और गेंद को गैप में खेलना पसंद करती थी। लेकिन हाल ही में उसे महसूस हुआ कि उसे अपना पावर गेम भी सुधारना होगा।"

गुप्ता को लगता है कि एक गेंदबाज़ और बल्लेबाज़ के रूप में अमनजोत का सर्वश्रेष्ठ आना अभी बाक़ी है। वह कहते हैं, "चोट के बावजूद वह 108-110 किमी/घंटा की रफ़्तार को छू रही है। जैसे-जैसे उसका आत्मविश्वास बढ़ेगा, वह 112-115 किमी/घंटा की रफ़्तार से गेंदबाज़ी कर सकती है।"

अमनजोत की लंबाई इतनी अधिक नहीं है कि वह उछाल से बल्लेबाज़ों को परेशान करें। वह विकेट टू विकेट गेंदबाज़ी करने वाली एक स्किड गेंदबाज़ हैं। बचपन में उन्होंने हॉकी, फ़ुटबॉल और हैंडबॉल खेला है, इसलिए उनकी फ़ील्डिंग बहुत अच्छी है। गुप्ता के मुताबिक़ उनकी शिष्या एक 'पूरी पैकेज' है, जो उन्हें ऐंड्रयू सायमंड्स की याद दिलाती है।

अमनजोत आगे क्या चाहती हैं? वह इस मोमेंटम को आगे बढ़ाते हुए MI और भारत के लिए और भी मैच जीतना चाहती हैं।

और शायद एक लंबी उड़ान भरना।

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हेमंत बराड़ ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं