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डब्‍ल्‍यूपीएल : एक लीग जो लंबे समय से लंबित थी और पहले से ही सपनों को साकार कर रही है

पहली गेंद फ़ेंके जाने से पहले ही भारत में महिला क्रिकेट पर संभावित प्रभाव देखने को मिल रहा है

अभी जब एक गेंद भी नहीं फ़ेंकी गई है, डब्‍ल्‍यूपीएल ने भारत में महिला क्रिकेट पर छाप छोड़ना शुरू कर दिया है।

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2012 में आंध्रा की 16 साल की आर कल्‍पना ने क्रिकेट छोड़ दिया था। ऑटो ड्राइवर उनके पिता चाहते थे कि वह सेटल हो जाएं और शादी की तैयारियां करें। उनके लिए कल्पना का आर्थिक तंगी से बचने का एक तरीका शादी था।

जब भारत के पूर्व विकेटकीपर और तब डायरेक्‍टर ऑफ़ क्रिकेट एमएसके प्रसाद ने उन्‍हें ढूंढा, तो उन्‍होंने कल्‍पना के परिवार को मनाने के लिए काफ़ी महीने बिता दिए कि उनकी बेटी का सफल क्रिकेट करियर हो सकता है। 2015 में पिता ने गर्व के साथ कल्‍पना को मिताली राज से भारत की कैप लेते देखा।

लेकिन जब प्रसाद राष्‍ट्रीय चयनकर्ता बने तो कल्‍पना ने अपना रास्‍ता खो दिया। सात वनडे और कुछ टूर गेम्‍स के बाद वह वापस घरेलू स्‍तर पर लौट गई थीं। अपना खेल सुधारने के उन्‍हें कुछ मौक़े मिले लेकिन वह 25 साल की उम्र में पिछले साल रिटायर हो गईं।

आज कल्‍पना इस ओर प्रतिबद्ध हैं कि जो कुछ उन्होंने झेला वह कोई ओर लड़की ना झेले। वह आंध्रा में युवा लड़‍कियों को संवारती हैं जैसा प्रसाद करते थे। उनमें से ही एक शबनम शकील हैं, जो 15 साल की हैं और 4 मार्च से शुरू होने वाले पहले महिला प्रीमियर लीग यानि डब्‍ल्‍यूपीएल की सबसे युवा खिलाड़ी हैं।

शबनम की कहानी कल्‍पना से अलग है। भारत में महिला क्रिकेट के उज्जवल भविष्य की आशा से उनकी महत्वाकांक्षा को बल मिला है। अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर बेहतर परिणाम, एक्‍सपोजर में बढ़त और ग्रुप स्‍तर ढ़ांचे में सुधार से वह उत्‍साहित हैं। उनका परिवार अब शबनम को खिलाना और अधिक ट्रेनिंग कराना चाहता है।

शबनम ने कहा, "मेरी मां मुझे डांस में डालना चाहती थी लेकिन यह काम नहीं किया। तब मेरे पिता ने मुझे‍ क्रिकेट खेलने को कहा जैसे वह खेलते थे।"

अपनी गुजरात जायंट्स फ़्रैंचाइज़ी के साथ दो दिन में ही शबनम ने दबाव को सोखना, टर्निंग ट्रैक पर अलग बल्‍लेबाज़ी तक़नीक, गति में सुधार के लिए एक्‍सरसाइज और बायोमैकेनिक्स का महत्व सीख लिया है। वह युवा खिलाड़ियों को पैसे का प्रबंधन करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किए गए वित्तीय प्रबंधन कार्यशालाओं का भी हिस्सा रही हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रचेल हेंस और राज जैसी शीर्ष अंतरराष्ट्रीय प्रतिभाओं तक उनकी पहुंच हो गई है।

पिछले एक पखवाड़े में, ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जब खिलाड़ियों को डब्ल्यूपीएल द्वारा उनके लिए बनाए गए अवसरों से लाभ हुआ।

अभ्‍यास के दौरान आशा शोभना  BCCI

30 साल की संघर्षरत लेग स्पिनर आशा शोभना अपनी राज्य टीम के नेट्स के बाहर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन और कहां कर सकती हैं? उन्हें रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) द्वारा उनके हिंटरलैंड स्काउटिंग कार्यक्रम के माध्यम से पहचाना गया था, तब वे डब्ल्यूपीएल फ़्रैंचाइज़ी के मालिक होने का सपना ही देखते थे।

एक विशेष रूप से विकसित आर्टिफ़‍िशियल इंटेलिजेंस टूल ने शोभना के गेंदबाज़ी ऐक्शन के प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डाला, जिसमें विश‍िष्‍टता, हाई आर्म, धुरी, कलाई की पॉज़‍िशन, रिलीज़ और फ़ॉलोथ्रू थी, जिससे आरसीबी के कोचों ने उन्‍हें शॉर्ट लिस्टेड खिलाड़‍ियों के पूल में डाला।

जब शोभना ने पहले अभ्‍यास मैच में टीम के साथ लेग ब्रेक गेंदबाज़ी की तो वे जानते थे कि वह ख़ास हैं और जब उनका नाम नीलामी में आया तो आरसीबी ने उन्‍हें ले लिया। शुक्रवार को वह डेन वान निकर्क के साथ गेंदबाज़ी कर रही थीं, हेदर नाइट से सीख रही थीं और ऐलिस पेरी के साथ डांस कर रही थीं।

शोभना की साथी श्रेयंका पाटिल 20 साल की हैं और उनका गोल 2025 तक भारत के लिए खेलना है। श्रेयंका दिन में आठ घंटे अभ्‍यास करती हैं और पहले ही कई कुर्बानियां दे चुकी हैं, जैसे कि वे परिवार से दूर रह रही हैं और बेंगलुरु के बाहर रह रही हैं, जिससे कि वह अपनी ट्रेनिंग सुविधाओं के क़रीब रह सकें और आने-जाने में लंबा समय नहीं बीते।

पांच साल पहले केरला के वायनाड जिले से कुरिछिया ट्राइब से आने वाली मिन्‍नु मनी आर्थिक हालातों की वजह से क्रिकेट को छोड़ रही थीं। हालांकि उन्‍हें रोहतक की एक किशोरी ने प्रेरित किया जो गेंद को बेहतरीन अंदाज़ से हिट करती थीं। 15 साल की शेफ़ाली वर्मा ने उस साल भारत के लिए खेला और आज वह अंडर 19 विश्‍व कप विजेता टीम की कप्‍तान हैं। मनी और शेफ़ाली अब दिल्‍ली कैपिटल्‍स में साथी हैं।

2018 में उनके परिवार का एक कमरे का घर बारिश की वजह से ख़राब हो गया था और उसकी दोबारा मरम्‍मत करानी थी, मनी ने क्रिकेट खेलकर मदद करने की कसम खाई, यह जानते हुए कि महिला घरेलू क्रिकेट में अधिक पैसा नहीं है। उनके पिता एक देहाड़ी मजदूर हैं और उन्‍होंने उन्‍हें लड़कों का खेल खेलने से मना किया, लेकिन मनी को विश्‍वास था कि अगर शेफ़ाली कर सकती है तो वह भी कर सकती हैं।

यही सपना उनकी लंबी यात्राओं को ईंधन देता है क्योंकि मनी, श्रेयंका की तरह भाग्यशाली नहीं हैं। वह वायनाड के कृष्‍णागिरी स्‍टेडियम तक पहुंचने के लिए चार बसें बदलती हैं। यह कठिन काम है, लेकिन घंटे इसके लायक रहे हैं। जब दिल्‍ली कैपिटल्‍स ने उन्‍हें 30 लाख में साइन किया तो मनी ने इतनी रकम ज़‍िंंदगी में नहीं देखी थी। मनी जानती थी कि जिसका वह सपना देख रही हैं अब वह साकार हो सकता है।

उन्‍होंने कहा, "यह मेरे घर का सपना पूरा करेगा और मैं टू व्‍हीलर भी ख़रीद सकूंगी जिससे कि मैं मैदान तक पहुंचने के लिए बसों का इस्‍तेमाल नहीं कर सकूंगी। यह अतिरिक्‍त समय मैं ट्रेनिंग में दे सकती हूं जिससे और बेहतर हो सकूं। कौन जानता है कि अगर मैं डब्‍ल्‍यूपीएल में अच्‍छा करूंगी तो मेरा भारत के लिए खेलने का सपना भी पूरा हो सकता है।"

ट्रेनिंग के दौरान दिशा कसत, इंद्रानी रॉय और कोमल झांझड़  BCCI

कुछ समय के लिए, बीसीसीआई ने डब्ल्यूपीएल शुरू करने में देरी के लिए महिला क्रिकेटरों के भारत के छोटे टैलेंट पूल का हवाला दिया था। वह पूल पहले से ही चौड़ा हो रहा है।

भारत की पूर्व कप्‍तान ममता माबेन ने कहा, "हमने पहले ही टी20 चैलेंज के साथ देखा है, यहां तक कि यहां केवल चार या कुछ ही मैच थे, इसने भारतीय अनकैप्‍ड खिलाड़‍ियों पर काफ़ी प्रभाव डाला। घरेलू क्रिकेट में खिलाड़ियों में तय योजना के साथ खेलने की प्रवृत्ति होती है। वे अपने लिए नहीं सोच रहे हैं।"

"अब अंतर्राष्‍ट्रीय खिलाड़‍ियों को अधिक एक्‍सपोजर मिल रहा है, कोच और आधुनिक तरीकों की वजह से खिलाड़ी और भी अधिक सजग होंगे। सोचिए जिनके पास यह एक्‍सपोजर हैं, जब वे वापस जाएंगे और अपनी साथी खिलाड़‍ियों के साथ साझा करेंगे तो इसका घरेलू क्रिकेट पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। तो यह अभी से ही बड़ी सफलता है।"

लेकिन माबेन ने उम्‍मीद जताई कि जो भी पैसा बीसीसीआई डब्‍ल्‍यूपीएल से कमाएगा उसको महिला क्रिकेट में जमीनी स्‍तर पर सुधार के लिए लगाना चाहिए जिसका बहुत प्रभाव पड़ेगा। अभी जो भी महिला क्रिकेट अपनी राज्‍य की टीम से खेलती है वह 2.5 से 3 लाख तक कमाती हैं वो भी पूरे सीज़न के लिए, जबकि डब्‍ल्‍यूपीएल खिलाड़ी की सबसे कम रकम 10 लाख है।

माबेन ने कहा, "हम ऑस्‍ट्रेलिया के स्‍तर के बराबर आने की बात करते हैं, जब एक्‍सपोजर होगा तो बेशक यह अंतर कम होगा, बीसीसीआई को यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य के खिलाड़ियों को भी प्रोत्साहित करना चाहिए कि कोई टैलेंट जाया न हो। यही समय है जब हम अपने जमीनी खांचे को मज़बूत कर सकते हैं।"

यह संभावना है कि डब्ल्यूपीएल के उभरने से उन महिलाओं को जीवन रेखा मिलेगी जो अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में पहले अपने क्रिकेट करियर को छोड़ने की कगार पर थीं।

स्नेह राणा ने 2019 में खेल छोड़ने पर विचार किया। वह 2016 के बाद से भारत के लिए नहीं खेली थी और अपनी खु़द की क्षमताओं पर संदेह किया, इसके बाद 27 साल की उम्र में एक बेहतरीन घरेलू सीज़न से वापसी की। अब वह डब्‍ल्‍यूपीएल में गुजरात जायंट्स की उप कप्‍तान हैं।

जब 2013 में भारत के लिए एक सीरीज़ का हिस्‍सा होने के बाद स्‍नेहा दीप्ति को बाहर किया गया तो वह जानती थी कि अंतर्राष्‍ट्रीय क्रिकेट में वापसी मुश्किल होगी। 2021 में उनको बच्‍चा हुआ और इस केस में क्रिकेट और भी मुश्किल हो जाता है। उसी साल हालांकि घरेलू क्रिकेट में खेलने की उम्‍मीद करते हुए ट्रेनिंग शुरू की। हालांकि वह अभी भारत में वापसी के क़रीब नहीं हो सकती हैं, लेकिन दीप्ति ने अपनी बल्लेबाज़ी क्षमताओं के कारण दिल्ली कैपिटल्‍स का साथ अर्जित किया।

अब, कई अन्य महिलाओं की तरह जो घरेलू क्रिकेट में गुमनाम रूप से मेहनत करती हैं, दीप्ति के पास दुनिया के सर्वश्रेष्ठ से सीखने और लाखों लोगों के सामने चमकने का मौक़ा होगा।

भारत और मुंबई इंडियंस की कप्‍तान हरमनप्रीत कौर ने कहा, "मुझे निजी तौर पर लगता है कि यह विदेशी खिलाड़‍ियों को जानने का अच्‍छा प्‍लेटफ़ॉर्म है और उनके अनुभव से सीखने का समय है। जब मैं पहली बार डब्‍ल्‍यूबीबीएल और द हंड्रेड खेली तो मुझे वहां बहुत अनुभव और आत्‍म‍व‍िश्‍वास मिला और यही आत्‍म‍व‍िश्‍वास मैं चाहती हूं कि हमारी घरेलू खिलाड़‍ियों को मिले। इसने पूरी तरह से मेरी ज़‍िंंदगी बदल दी।"

डब्‍ल्‍यूपीएल अभी शुरुआत ही कर रहा है, लेकिन इसने पहले ही भारत में महिला क्रिकेट को बदलने और अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष करने वाले कई लोगों के जीवन को बदलने की ज़बरदस्त क्षमता दिखा दी है।

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शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।