'क्या 1.3 लाख?' - विस्फ़ोटक बल्लेबाज़ वृंदा दिनेश ने बताई अपने बड़े दिन की कहानी
वृंदा को बीबीए डिग्री मिलना बाक़ी है लेकिन क्रिकेट इस समय उनकी प्राथमिकता है

कर्नाटका की अंडर-23 टीम का रायपुर में नेट सत्र चल रहा था और शनिवार की दोपहर को यह जश्न में तब्दील हो गया, क्योंकि वृंदा दिनेश को महिला प्रीमियर लीग की नीलामी में बड़ी रकम में ख़रीदा गया था। उन्होंने 10 लाख के बेस प्राइस से शुरुआत की और तीन टीमों की लड़ाई के बीच यूपी वारियर्स ने उन्हें 1.3 करोड़ रुपये में ख़रीद लिया, जो इस नीलामी की दूसरी सबसे बड़ी ख़रीद थी।
जब यह पूरा मामला चल रहा था, तब वृंदा गेंदबाज़ी कर रही थी। तभी उनकी साथी शिशिरा गौडा टीम एनेलिस्ट माला रंगास्वामी के कान में कुछ फुसफुसा रही थी तो उन्हें लगा कि कुछ बड़ा हुआ है। इसके बाद वृंदा को कुछ मालूम पड़ता, उससे पहले ही पूरी कर्नाटका की टीम उनको बधाई देने के लिए पहुंच गई।
वृंदा ने रायपुर से ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो को बताया, "हम ट्रेनिंग कर रहे थे। मैं गेंदबाज़ी कर रही थी और मैंने मेरी साथी को दूसरी साथी को फुसफुसाते सुना कि 'उन्होंने 1.30 में ले लिया है।' मैं बीच में आई और पूछा क्या, 'क्या! 1.3 लाख?' उन्होंने जवाब दिया 'नहीं'।"
"मैं भी जानती थी कि 1.3 लाख तो नामुमकिन है। तब मैंने महसूस किया, 'क्या? 1.3 करोड़?' उसने कहा, 'हां'। तब अचानक से सभी बल्लेबाज़, कीपर मेरे पास आए और मुझे लंबे समय तक गले लगाते रहे। हर कोई सच में बहुत खु़श था। ऐसे साथियों का साथ मिलना बहुत अच्छा अनुभव है।"
वहीं बेंगलुरु स्थित घर में उनके माता-पिता टीवी देख रहे थे। वृंदा की छोटी बहन भरतनाट्यम की डांसर हैं, उन्होंने अपने पिता से मांग की कि उन्हें जल्दी लेने आ जाएं जिससे वह परिवार के साथ नीलामी को देख सकें।
वृंदा ने कहा, "मेरी चाची, चचेरे भाई-बहन, अम्मा-बाबा सभी एक साथ टीवी देख रहे थे। मैंने सोचा था कि मैं होटल जाकर अपना फ़ोन देखूंगी लेकिन यह लगातार बजे जा रहा था। मैंने अपने माता-पिता को कॉल किया वे बहुत खु़श थे। खु़शी के आंसू भी निकले। इस बात ने मुझे बहुत खु़श किया कि बेहद अच्छा महसूस कर रहे हैं। मेरे टीम की साथियों ने मुझसे बड़ी पार्टी भी मांगी।"
यह रकम कई लोगों को चौंका सकती है। साथ ही कुछ लोगों ने यह भी सोचा होगा कि क्या निलामी के दौरान उनके लिए कोई टीम बोली लगाएगी। जून में उन्हें सभी पांच फ़्रैंचाइज़ी ने ट्रायल के लिए बुलाया था। उन्होंने हांग कांग में एसीसी एमर्जिंग टूर्नामेंट में इंडिया अंडर-23 के लिए फ़ाइनल में विस्फ़ोटक बल्लेबाज़ी की थी।
मज़े की बात यह है कि उस टूर्नामेंट में वृंदा भारतीय टीम का शुरू से हिस्सा नहीं थी। एस यशश्री के चोटिल होने के बाद उन्हें टीम में बुलाया गया था। फ़ाइनल में उनके शामिल होने की संभावना बहुत कम लग रही थी, जब तक कि भाग्य की एक विचित्रता ने उन्हें मौक़ा नहीं दे दिया।
उस मैच में मुस्कान मलिक की किट ग्राउंड में नहीं पहुंची थी, उसी कारण से वृंदा को मौक़ा मिला और उन्होंने एक मुश्किल पिच पर 29 गेंद में 36 रन बनाए। यह न केवल बांग्लादेश की मज़बूत टीम के ख़िलाफ़ मैच जीतने वाला प्रयास साबित हुआ, बल्कि इसके दूरगामी परिणाम भी हुए, क्योंकि इस दस्तक के बाद स्काउट्स ने अंततः महीने के अंत में ट्रायल के लिए उनका नाम चुना। इससे पहले वह सीनियर महिला घरेलू वनडे प्रतियोगिता में 11 पारियों में 477 रन बनाकर कर्नाटक के लिए तीसरी सबसे अधिक रन बनाने वाली खिलाड़ी थीं।
वृंंदा ने कहा, "जब मई-जून में एमर्जिंग कैंप समाप्त हुआ तो अंडर-23 टीम में मेरा नाम नहीं था। मेरा मन नहीं मान रहा था, क्योंकि मुझे लग रहा था कि मुझे वहां पर होना था। फिर टूर्नामेंट के बीच में मुझे मैनेजर का कॉल आया। उन्होंने कहा, 'आप अगले गेम के लिए हांग कांग में हमारे साथ शामिल होंगी'।"
उन्होंने कहा, "और जब मुझे बुलाया गया तो मैं अभ्यास कर रही थी। मैं तुरंत घर गई, सामान बांधा और निकल गई। अगले दो मैच रद हो गए और फ़ाइनल के पहले की रात मैं सो नहीं सकी। मैंने एक भी अभ्यास सत्र में हिस्सा नहीं लिया था। मैंने बस मैदान देखा था और यह कीचड़ से भरा था और विकेट को ढक कर रखा गया था।"
"मैच के दिन जब मैं प्लेइंग इलेवन में चुनी गई तो थोड़ी चिंतित भी थी। बल्लेबाज़ी के लिए जाने से पहले मैंने खु़द से कहा, 'तुमने बहुत लंबे समय से ट्रेनिंंग की है, तुम्हे पता है क्या करना है। बस बहादुरी से बल्लेबाज़ी करो। मैंने उस पारी के दौरान हर मिनट का लुत्फ़ लिया। मैंने क्षेत्ररक्षण का लुत्फ़ लिया और अंत में जब हमने ट्रॉफ़ी उठाई तो यह बेहतरीन लम्हा था।"
शीर्ष क्रम की विस्फ़ोटक बल्लेबाज़ वृंदा ने 2014 में क्रिकेट खेलना शुरू किया था। 12 साल की उम्र में उनके पिता ने समर कैंप के तौर पर उनको कर्नाटक इंस्टीट्यूट ऑफ़ क्रिकेट में ले गए थे। इसके बाद 13 साल की उम्र में वह राज्य की अंडर-19 टीम के संभावित खिलाड़ियों की लिस्ट में थी। 16 या 17 साल की उम्र में उन्होंने फ़ैसला किया कि क्रिकेट में ही वह आगे बढ़ेंगी। वृंदा को 2017 में विश्व कप सेमीफ़ाइनल में हरमनप्रीत कौर के शानदार 171 रनों ने "काफ़ी प्रभावित" किया।
वृंदा ने कहा, "मेरे पापा, चचेरे भाई, चाचा सभी ने क्रिकेट खेला है, लेकिन मैं ही आगे निकल पाई। मैंने सबसे पहले 2014 में समर कैंप से शुरुआत की। उस साल सितंबर में मेरी दोस्त ने मुझे बताया कि महिलाओं के अंडर-19 ट्रायल हो रहे हैं, तो मैंने इसके लिए रजिस्टर किया और राज्य की संभावित टीम में जगह बनाई। 16 या 17 साल की उम्र में मैंने महसूस किया कि मैं खेल को गंभीरता से लूंगी। तब से मैं तीन साल तक राज्य के लिए खेली। 2018-19 में मैं अपने कोच किरण उप्पर से मिली, यह मेरे लिए टर्निंग प्वाइंट था। अब पांच साल हो गए हैं और मैं उनके जैसा कोच पाकर बहुत ख़ुश हूं।"
वृंदा और श्रेयंका पाटिल दोनों ही बेंगलुरु की एनआईसीई एकेडमी की ट्रेनी हैं। वह ट्रेनिंग पर जाने और लौटने में तीन घंटे रोड पर बिताती हैं, लेकिन वह कहती हैं कि समर्पण इस लायक है। उन्होंने कहा, "मेरे घर से एकेडमी की दूरी 45 किमी है, मैंने कई घंटे ट्रैफ़िक में बिताए हैं। मुझे जो भी चाहिए मेरी एकेडमी ने मुझे सब दिया है। सेंटर विकेट अभ्यास, तेज़ गेंदबाज़, हर दिन टर्फ़ नेट्स। कई बार मैं शाम 6.30 बजे तक बल्लेबाज़ी करती थी, तो ग्राउंड्समैन मेरा इंतज़ार करते थे। अगर टूर से पहले मुझे अभ्यास की ज़रूरत होती थी तो वे मेरे लिए विकेट तैयार करते थे। मैंने यहां तक पहुंचने के लिए अपने क्रिकेट के इर्द गिर्द बहुत बलिदान दिए हैं। कोच 100 गेंद डालते थे लेकिन कभी शिकायत नहीं। मैं यहां तक पहुंचकर बहुत खु़श हूं।"
वृंदा अपनी बीबीए की डिग्री पूरी करने के लिए भी समय निकालने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने बेंगलुरु के बिशप कॉटन विमेंस क्रिश्चियन कॉलेज से कोर्स पूरा किया है, लेकिन एक साल के भीतर उन्हें कई परीक्षाएं पूरी करनी हैं।
उन्होंने कहा, "मेरे पिता हमेशा कहते हैं पढ़ो और खेलो। मेरी डिग्री पूरा होना बाक़ी है लेकिन वह जानते हैं जितना वह उम्मीद करते हैं, क्रिकेट उससे अधिक समय लेता है। वह मेरे हर फ़ैसले का समर्थन करते हैं। मुझे डिग्री पूरी करने के लिए बस कुछ बैक एग्ज़ाम देने हैं।"
क्रिकेट और यात्रा की वजह से वृंदा को अपने दूसरे शौक को पूरा करने का कम समय दिया है। लेकिन वह इसकी शिकायत नहीं करती। उन्होंने कहा, "आराम के दिन मेरे लिए सबसे बड़ी बात परिवार के साथ ब्रेकफ़ास्ट करना और अपने दो डॉग के साथ खेलना है।"
अभी उनका लक्ष्य रन बनाना, अलिसा हीली के साथ खेलना और हां कर्नाटका टीम के लिए पार्टी की तैयारी करना है।
शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।
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