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कैसे‍ प्र‍िया मिश्रा ने बिखेरी क्रिकेट में अपनी चमक

दिल्ली की गलियों में खेलने वाली एक युवा बल्लेबाज़ से भारतीय टीम और गुजरात जायंट्स की प्रमुख लेग स्पिनर बनने तक का सफ़र

Priya Mishra: I feel batters are not able to read my googly

Priya Mishra: I feel batters are not able to read my googly

India and GG legspinner opens up about her journey, her bowling strategies and more

पश्चिमी दिल्ली के पटेल नगर का एक इलाका है- बलजीत नगर। छोटी-संकरी गलियों वाले इस मुहल्ले में उत्तर प्रदेश और बिहार के अधिकतर प्रवासी लोग बसते हैं, जो रोजमर्रा के कामों, रेहड़ी-पटरी की दुकानदारी और दिहाड़ी मजदूरी द्वारा अपना जीवन-यापन करते हैं।

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आज से लगभग 20 साल पहले 2005 में एक ऐसे ही प्रवासी संदीप मिश्रा इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से दिल्ली आए और अपने एक रिश्तेदार के मकान में किराये पर रहने लगे। वह मुनाफ़ा नहीं दे रही खेती से तंग आ चुके थे और अपने गांव से इलेक्ट्रिशियन का काम सीख कर आए थे ताकि बड़े शहर में उन्हें कुछ काम मिल सके।

उस समय दिल्ली में मेट्रो का काम शुरू ही हुआ था और उसका विस्तार चल रहा था। दिल्ली मेट्रो रेलवे कार्पोरेशन (DMRC) को उस समय इलेक्ट्रिशियनों की ज़रूरत थी और वहां पर हाईस्कूल फ़ेल 30-वर्षीय संदीप को काम मिल गया। जब संदीप दिल्ली आ रहे थे, उससे कुछ ही महीने पहले उनके घर एक बेटी का जन्म हुआ। दो साल बाद संदीप अपने परिवार को भी दिल्ली साथ लाए और उनकी वह बेटी होश संभालते ही गली में लड़कों के साथ क्रिकेट खेलने लगी।

आज गली में क्रिकेट खेलने वाली उस लड़की के नाम इंडिया कैप है। 2024 में अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू करते हुए 20 वर्षीय प्रिया मिश्रा भारत के लिए नौ वनडे खेल चुकी हैं, जिसमें उनके नाम 26.60 की औसत और 27.00 के स्ट्राइक रेट से 15 विकेट हैं। फ़िलहाल वह वीमेंस प्रीमियर लीग (WPL) 2025 में गुजरात जायंट्स (GG) टीम की स्पिन विभाग का अहम हिस्सा हैं, जहां वह अपनी टीम को पहला WPL ख़िताब दिलाने के साथ-साथ इसी साल घरेलू ज़मीन पर भारत को वनडे विश्व कप जिताने का भी सपना देख रही हैं।

मेरी दीप्ति (शर्मा) दी से लगातार बात होती है और मैं उनको अपना दूसरा गुरु मान चुकी हूं। वह जितना हो सके मेरी मदद करती हैं। अगर वह स्टंप के पीछे स्लिप में रहती हैं तो मुझे हर गेंद पर समझाती रहती हैं कि मुझे क्या गेंद करनी है, क्या फेंकना है।प्रिया मिश्रा

जब प्रिया गली में लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती थीं, तो उनके मुहल्ले वाले और रिश्तेदार संदीप को ताना भी देते थे। लेकिन संदीप को इससे अधिक फ़र्क नहीं पड़ता था क्योंकि उनको लगता था कि अगर उनकी बेटी इस खेल में आगे बढ़ गई तो ज़्यादा कुछ नहीं लेकिन खेल कोटे से सरकारी नौकरी तो ज़रूर लग जाएगी।

प्रिया अपने बचपन के कोच श्रवण कुमार के साथ  Priya Mishra

तमाम उत्तर भारतीयों की तरह संदीप भी सरकारी नौकरी को बहुत ही रूमानियत से देखते थे। उन्होंने इसके लिए राज्य स्तर तक कबड्डी भी खेला था, ताकि खेल कोटे के तहत उन्हें नौकरी मिल जाए। लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ और वह अब अपने बच्चों के जरिए इस ख़्वाब को पूरा करने का सपना देखने लगे। इसी क्रम में उन्होंने प्रिया के साथ-साथ उनके छोटे भाई को भी क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया।

ESPNcricinfo से बात करते हुए प्रिया बताती हैं, "जब मैं गली में खेलती थी तो मेरे दिमाग़ में ऐसा कुछ नहीं आता था कि आगे भी क्रिकेट खेलना है। मैं बस अपने मज़े (मनोरंजन) के लिए लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती थी। आस-पास के लोग पहले बोलते थे कि लड़कों के साथ खेलती है, जबकि तुझे आगे चल के घर ही संभालना होगा। पर मेरे परिवार, ख़ासकर मेरे पापा ने मेरा बहुत सपोर्ट किया।"

प्रिया की ज़िंदगी में एक अहम मोड़ तब आया, जब उनके स्कूल सलवान गर्ल्स सीनियर सेकेंड्री स्कूल की खेल अध्यापक (स्पोर्ट टीचर) पूजा चंद्रा ने प्रिया को क्रिकेट खेलते हुए देखा। राज्य स्तर की क्रिकेटर रह चुकीं चंद्रा ने प्रिया की प्रतिभा को जल्दी ही पहचान लिया और उन्होंने उनको कोच श्रवण कुमार के पास जाने की सलाह दी, जो इशांत शर्मा के साथ-साथ हाल के क्रिकेटरों हर्षित राणा, सिमरन दिल बहादुर और प्रतिका रावल के भी कोच रह चुके हैं।

प्रिया ने इस सीज़न अपनी गुगली से बल्लेबाज़ों को काफ़ी परेशान किया है  WPL

प्रिया के घर से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर वेस्ट पटेल नगर के रामजी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में तब अपना कोचिंग सेंटर चलाने वाले श्रवण बताते हैं, "11 साल की उम्र में जब प्रिया 2015 में मेरे पास आई थी, तो उसको बल्लेबाज़ी बहुत पसंद थी। वह रोज़ सुबह पैदल ही घर से आती थी। बल्लेबाज़ी के अलावा उसे मध्यम तेज़ गेंदबाज़ी का भी शौक़ था। लेकिन लंबाई ना होने के कारण मैंने उसको स्पिन गेंदबाज़ी करने की सलाह दी, क्योंकि उसकी गेंद लड़कों से भी अधिक शार्प स्पिन होती थी। थोड़े ही समय में उसने गुगली भी डेवलप कर ली, जो अभी उसका मुख्य हथियार है।"

प्रिया के अधिकतर अंतर्राष्ट्रीय विकेट गुगली गेंदों पर आए हैं, जबकि WPL में सभी छह विकेट भी उन्होंने गुगली पर ही लिए हैं । इसमें तालिया मैक्ग्रा, ग्रेस हैरिस, नैट सीवर-ब्रंट, दीप्ति शर्मा और हेली मैथ्यूज़ जैसे बड़े विकेट शामिल हैं। हालांकि प्रिया कहती हैं कि गुगली तो बल्लेबाज़ों को धोखा देने के लिए है, उनका मुख्य हथियार और स्टाक बॉल अभी भी लेग ब्रेक है।

वह बताती हैं, "गुगली से मुझे विकेट इसलिए मिलते हैं, क्योंकि बल्लेबाज़ मुझे पढ़ नहीं पाते हैं। पहले मैं लगातार लेग स्पिन करती हूं, जितना हो सके पैरों पर गेंद डालती हूं। इससे बल्लेबाज़ के दिमाग़ में आ जाता है कि ये लेग स्पिन ही करेगी। इसके बाद से मैं गुगली फेंक देती हूं, जिस पर मुझे विकेट मिल जाता है।"

एक बार एकेडमी में दाखिला लेने के बाद जब प्रिया अच्छा प्रदर्शन करने लगीं, तो उन्हें स्कूल, ज़िला स्तर और एज़-ग्रुप के मैच खेलने के लिए दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों और कई बार दिल्ली के बाहर भी जाना पड़ता था। इसके लिए उनके पिता उनके साथ जाते। प्राइवेट नौकरी में जब छुट्टी नहीं मिलती, तो उन्हें कई बार जोखिम लेकर भी प्रिया के साथ जाना होता था।

वह कहते हैं, "नौकरी का कुछ भी हो जाए, लेकिन अगर प्रिया का मैच है तो मैं उसके साथ ज़रूर रहता था। बाद में जब वह आगे बढ़ने लगी तो मेरे सीनियर भी साथ देने लगे और मुझे छुट्टियां मिलने लगी। इसके अलावा श्रवण सर ने भी कोचिंग और क्रिकेट के सामानों के लिए कभी पैसा नहीं लिया, जिसे उस समय भरना मेरे लिए बहुत मुश्किल होता।"

प्रिया 13 साल की उम्र में ही दिल्ली की अंडर-19 टीम में आ गई थीं। लगातार दो सीज़न अंडर-19 क्रिकेट में गुच्छों में विकेट लेने के बाद 15 साल की उम्र में वह अंडर-23 टीम और 18 साल की उम्र में वह दिल्ली की सीनियर टीम में थीं।

तब से उनके नाम 35 लिस्ट ए मैचों में 16.48 की शानदार औसत और 21.79 के स्ट्राइक रेट से 78 विकेट हैं। इसके अलावा वह 26 T20 मैचों में सिर्फ़ 6.85 की इकॉनमी से रन देते हुए 22 विकेट ले चुकी हैं। पिछले साल अगस्त के महीने में जब इंडिया ए की टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी, तो प्रिया ने अनाधिकृत टेस्ट में पहली पारी के चार विकेट सहित कुल छह विकेट लिए थे और जो एकमात्र अनाधिकृत वनडे वह खेलीं, उसमें भी उन्होंने पंजा खोला।

प्रिया कहती हैं, "जब मैंने अंडर-19 क्रिकेट खेला और एक सीज़न में नौ मैचों में कुछ 26-27 विकेट लिए, तब मुझे आत्मविश्वास आया कि मैं अगले लेवल पर जा सकती हूं। हालांकि घरेलू क्रिकेट से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के लेवल का बहुत अंतर है। जो गेंदें घरेलू क्रिकेट में बहुत अच्छी विकल्प मानी जाती हैं, उसे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर बहुत आसानी से खेल सकते हैं। इसलिए मैं कोशिश करती हूं कि जितना हो सके स्टंप की लाइन में गेंद फेंकूं।"

स्टंप लाइन पर गेंदबाज़ी और अपनी गेंदों पर नियंत्रण, प्रिया का सबसे बड़ा हथियार है, जिससे गुजरात जायंट्स के उनके कोच माइकल क्लिंगर, कप्तान ऐश्ली गार्डनर और पूर्व भारतीय कप्तान और वर्तमान में WPL में कॉमेंट्री कर रहीं मिताली राज बहुत प्रभावित दिखीं। गार्डनर तो उन्हें काश्वी गौतम के साथ इस सीज़न की दूसरी खोज मान रही हैं, 'जो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में बहुत आगे जा सकती हैं'।

वहीं क्लिंगर के अनुसार, "प्रिया की ख़ासियत यह है कि वह हमेशा स्टंप को खेल में लाती हैं। इसके अलावा गेंद पर उनका नियंत्रण भी बहुत शानदार रहा है।"

मिताली कहती हैं, "एक लेग स्पिनर के लिए स्टंप पर लगातार गेंदबाज़ी करना बहुत मुश्किल का काम है और इसके लिए बहुत मेहनत लगती है। प्रिया ने वह मेहनत की है और उनमें वह नियंत्रण दिखता है।"

Mithali Raj impressed with Priya Mishra's talent

The Gujarat Giants legspinner picked up three wickets to help them beat UP Warriorz in Vadodara

शेन वॉर्न को अपना आदर्श मानने वाली प्रिया कहती हैं, "T20 क्रिकेट ऐसा है कि आपको हर गेंद सोच के डालनी पड़ती है क्योंकि बल्लेबाज़ हर गेंद को हिट करने के लिए ही जाता है। आपको सोचना होता है कि आप कहां गेंद डालें, जहां पर बल्लेबाज़ फंसे। मैं तो फ़िलहाल T20 क्रिकेट में स्टंप लाइन की गेंदबाज़ी करने की कोशिश कर रही हूं। इसमें आप बल्लेबाज़ को अधिक रूम भी नहीं देते हो और आपके विकेट मिलने के भी मौक़े बने रहते हैं।"

प्रिया को इस काम में उनकी मदद GG के स्पिन गेंदबाज़ी कोच प्रवीण तांबे कर रहे हैं, जो अभ्यास सत्र के इतर भी लंबे समय तक प्रिया को सिंगल विकेट पर गेंदबाज़ी का अभ्यास कराते हैं। इसके अलावा उन्हें भारतीय टीम में कप्तान हरमनप्रीत कौर, उपकप्तान स्मृति मांधना और सीनियर स्पिनर दीप्ति शर्मा से भी पर्याप्त सहयोग और समर्थन मिलता है।

प्रिया बताती हैं, "मेरी दीप्ति (शर्मा) दी से लगातार बात होती है और मैं उनको अपना दूसरा गुरु मान चुकी हूं। वह जितना हो सके मेरी मदद करती हैं। अगर वह स्टंप के पीछे स्लिप में रहती हैं तो मुझे हर गेंद पर समझाती रहती हैं कि मुझे क्या गेंद करनी है, क्या फेंकना है। वहीं हरमन दी (हरमनप्रीत कौर) मुझे कहती हैं कि नर्वस नहीं होना है और जो अभी तक करती आई हूं, वही करना है।"

फ़िलहाल प्रिया इस बात से ख़ुश और संतुष्ट हैं कि उन्हें अब बलजीत नगर के किराये के घर में नहीं रहना होगा। WPL के पिछले सीज़न के कॉन्ट्रैक्ट के पैसे और घरेलू क्रिकेट से हुई अब तक की कमाई और बचत से उन्होंने पिछले साल दिल्ली में अपना घर और कार लिया। अब उनका सपना भारत की वनडे विश्व कप टीम में जगह बनाना और उन्हें घरेलू ज़मीन पर विश्व विजेता बनाने में मदद करना है।

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दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं. @dayasagar95