पहलवानों का विरोध: 1983 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य हालिया घटना को लेकर काफ़ी चिंतित और परेशान हैं
"हम उनसे [पहलवानों] से आग्रह करते हैं कि वे जल्दबाज़ी में कोई निर्णय न लें और साथ ही उम्मीद करते हैं कि उनकी शिक़ायतों को सुना और हल किया जाएगा"

भारत की 1983 की विश्व कप विजेता क्रिकेट टीम के सदस्य सुरक्षाकर्मियों और भारतीय पहलवानों के बीच हुई घटना से काफ़ी चिंतित और परेशान हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में सुरक्षाकर्मियों और पहलवानों के बीच हाथापाई हुई थी। उस घटना से जुड़ी हुई काफ़ी परेशान कर देने वाली तस्वीरें भी सामने आई थी, जहां पहलवानों पर पुलिस कार्रवाई कर रही थी।
एक बयान में 1983 विश्व कप विजेता टीम के सदस्यों ने यह भी कहा कि वे इस बात को लेकर "काफ़ी चिंतित" हैं कि एथलीट भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं करने के विरोध में अपने पदक गंगा नदी में "बहा" सकते हैं।
टीम के सदस्यों ने शुक्रवार को पीटीआई को जारी एक बयान में कहा, "हम अपने चैंपियन पहलवानों के साथ हाथापाई के दृश्य से व्यथित और परेशान हैं। हम इस बात को लेकर भी सबसे ज़्यादा चिंतित हैं कि वे अपने पदक गंगा नदी में फेंकने की सोच रहे हैं। उन पदकों में वर्षों का प्रयास, बलिदान, दृढ़ संकल्प और धैर्य शामिल है। ये पदक देश का गौरव हैं। हम उनसे इस मामले में जल्दबाज़ी में कोई निर्णय नहीं लेने का आग्रह करते हैं और यह भी उम्मीद करते हैं कि उनकी शिक़ायतों को सुना जाएगा। साथ ही इस मामले का जल्द से जल्द निपटारा होगा।"
फ़िलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि कपिल देव के नेतृत्व में उस टीम के 13 जीवित सदस्यों में से कौन-कौन से खिलाड़ियों ने उस बयान पर अपना हस्ताक्षर किया है। उस टीम में सुनील गावस्कर, रवि शास्त्री, मोहिंदर अमरनाथ, कृष्णमाचारी श्रीकांत और रोजर बिन्नी शामिल हैं।
दो दिन पहले ही अनिल कुंबले, रॉबिन उथप्पा और कुछ अन्य क्रिकेटरों ने भी सोशल मीडियो के माध्यम से इस घटना के प्रति अपनी नाराज़गी जताई थी।
रविवार को विनेश फोगाट सहित अन्य पहलवानों को मध्य दिल्ली में उनके विरोध स्थल से घसीटते हुए ले जाने की तस्वीरें सामने आई थीं। फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया जनवरी से ही इस विरोध का नेतृत्व कर रहे हैं, जिनमें से अंतिम दो खिलाड़ी ओलंपिक पदक विजेता हैं। यह घटना तब हुई जब पहलवान सुरक्षा बाधाओं को तोड़ कर नए संसद भवन की ओर मार्च करने का प्रयास कर रहे थे। उसी दिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन भी कर रहे थे।
कुंबले और उथप्पा के अलावा इरफ़ान पठानने भी ट्वीट करते हुए कहा था, "मैं अपने एथलीटों के साथ हुए घटना को देखकर बहुत दुखी हूं।" साथ ही पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री और क्रिकेटर मनोज तिवारी ने पहलवानों के प्रति अपना सर्मथन जताया था।
आईपीएल फ़ाइनल पूरा होने के बाद साक्षी मलिक ने भारतीय क्रिकेट कम्यूनिटी की तरफ़ इंगित करते हुए एक ट्वीट किया था। इसके बाद ही इन सभी क्रिकेटरों ने अपनी बात सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर रखा।
इन पहलवानों का विरोध जनवरी में शुरू हुआ था। उन्होंने आरोप लगाया है कि भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह ने पिछले एक दशक में कई महिला पहलवानों का यौन शोषण और शोषण किया है, जिसमें एक नाबालिग पहलवान भी शामिल है। पहली बार शिक़ायत दर्ज होने के एक हफ़्ते बाद और पहलवानों द्वारा कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद ही दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के ख़िलाफ़ आरोपों की जांच करने पर सहमत हुई। लेकिन पहलवानों का बड़ा मिशन सिंह को उनके पद से हटाना और उन पर लगे आरोपों की ओर ध्यान आकर्षित करना रहा है।
क़रीब एक महीना पहले ही वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह और शिखा पांडे ने भी पहलवानों के विराध पर अपना मत ज़ाहिर किया था।
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