मैं कोहली या धोनी के साथ अपनी तुलना नहीं कर सकता : राहुल
हरारे में डेब्यू करने के छह साल बाद अब राहुल इसी मैदान पर भारतीय टीम का नेतृत्व करेंगे

स्पोर्ट्स हर्निया और कोरोना के कारण लगभग तीन महीने टीम से बाहर रहने के बाद केएल राहुल भारतीय ड्रेसिंग रूम का आनंद ले रहे हैं। छह साल पहले ज़िम्बाब्वे में सफ़ेद गेंद की क्रिकेट में पदार्पण करने के बाद अब वह बतौर भारतीय कप्तान इस देश में लौट रहे हैं। जब वह गुरुवार को मैदान पर उतरेंगे तो बतौर कप्तान यह उनकी केवल दूसरी पूर्ण सीरीज़ होगी।
पहले वनडे से एक दिन पहले राहुल ने कहा, "सबसे पहले मैं ख़ुद को एक खिलाड़ी के तौर पर देखता हूं। मैं बाउंड्री लाइन पार करने के बाद ही एक कप्तान बनता हूं। हम लंबे समय से एक साथ खेलते आ रहे हैं। यह समूह पहले भी एक साथ दौरा कर चुका है। कई युवा खिलाड़ियों के होने के बावजूद हमने आईपीएल में काफ़ी क्रिकेट एक साथ या एक दूसरे के ख़िलाफ़ खेला हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "(मेरे मन में) सभी की प्रतिभा और अब तक के उनके प्रदर्शन के लिए बहुत सम्मान है। मैं दो महीने बाहर रहा हूं और भारतीय ड्रेसिंग रूम में वापस आकर सभी के साथ बातचीत कर अच्छा लग रहा है।"
टीम से बाहर रहते हुए राहुल ने टी20 अंतर्राष्ट्रीय प्रारूप में एकादश में स्थान बनाने के लिए कई दावेदारों को अपने हाथ खड़े करते देखा। हालांकि उन्होंने टीम के माहौल और खिलाड़ियों को दिए भरोसे का वर्णन किया। राहुल ने स्वीकार किया कि व्यक्तिगत स्तर पर उन्हें यह जानकर ख़ुशी हुई कि चोटिल होने से पहले उनके द्वारा की गई मेहनत को भुलाया नहीं जाएगा।
टीम प्रबंधन से संवाद के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "यह किसी भी खिलाड़ी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जब चयनकर्ता और कप्तान-कोच आपका समर्थन करते हैं तो यह आपको बहुत आत्मविश्वास देता है। आपकी मानसिकता स्पष्ट होती है और आप उन चीज़ों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं जो ज़रूरी हैं। जो चीज़ें महत्वपूर्ण हैं, वह है आपका खेल और कौशल।"
राहुल ने आगे कहा, "एक खिलाड़ी के लिए यह जानना महत्वपूर्ण होता है कि आपकी सहायक टीम आपका समर्थन कर रही है और आप पर विश्वास जता रही है। भले ही आपका दो महीने का ब्रेक रहा है, वे यह नहीं भूले हैं कि आपने टीम और देश के लिए पिछले दो-तीन सालों में क्या किया है। तो इससे आपको काफ़ी आत्मविश्वास मिलता है।"
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा, "खिलाड़ी ऐसी स्थिति में उभरकर आते हैं। जब आप एक अनुकूल वातावरण बनाते हैं और खिलाड़ियों को आत्मविश्वास देते हैं तब वह एक अच्छे खिलाड़ी से बड़े खिलाड़ी बन सकते हैं। ऐसे खिलाड़ी जो टीम के लिए मैच जिताऊ पारियां खेल सकते हैं।"
राहुल ने मई में आख़िरी बार कोई प्रतिस्पर्धी मैच खेला था। चोट से उबरने के दौरान उन्होंने अपने नियंत्रण से बाहर की चीज़ों को तथा अच्छाई के साथ-साथ बुराई को स्वीकार करने पर ध्यान दिया। अब जब वह एशिया कप को ध्यान में रखते हुए वापसी कर रहे हैं, राहुल हरारे में सुखद यादों को फिर से जगाने की उम्मीद कर रहे हैं।
भारतीय कप्तान ने कहा, "मेरा वनडे और टी20 अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू हरारे में हुआ था जहां मैंने अपने पहले मैच में शतक जड़ा था। मेरी अच्छी यादें यहां से जुड़ी हुई हैं। इतने वर्षों के बाद यहां वापस आना और अपने देश का नेतृत्व करना सुखद है। आप स्वयं देख सकते हैं कि आप कितने विकसित हुए हैं। मुझे बहुत प्रसन्नता होती हैं। आशा करता हूं कि आने वाले सप्ताह में मैं पिटारे में नई यादें जोड़ पाऊंगा।"
राहुल ने यह साफ़ कर दिया कि वह किसी और की नेतृत्व शैली की नकल करने का प्रयास नहीं करेंगे। "मैं (विराट कोहली या एम एस धोनी की कप्तानी शैली के साथ) अपनी तुलना नहीं करता हूं", उन्होंने कहा। "मैं उनके साथ अपनी तुलना कर ही नहीं सकता क्योंकि उनकी उपलब्धियां कहीं अधिक हैं। उन्होंने देश के लिए जो किया है, मुझे नहीं लगता कि किसी और को उनके साथ एक ही सूची में रखा जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "मैं अब भी युवा हूं और बतौर कप्तान यह मेरी दूसरी ही सीरीज़ है। मैं उनके नेतृत्व में खेला हूं और मैं उनसे बहुत कुछ सीखा हैं। टीम में आप एक-दूसरे से सीखते रहते हैं। मैंने इस सब से अच्छे गुण सीखे हैं।"
"मुझे लगता है कि जब एक कप्तान ख़ुद के प्रति सच्चा होता है, तो यह दूसरे खिलाड़ियों में फैलता है। मैं एक शांत व्यक्ति हूं, इसलिए मैं वहां जाकर कोई और (खिलाड़ी अथवा कप्तान) बनने की कोशिश नहीं कर सकता। मेरा मानना है कि यह टीम या मेरे या खेल के लिए उचित नहीं है। मैं ख़ुद (राहुल) बनने की कोशिश करता हूं और दूसरे खिलाड़ियों को जैसा वे चाहते हैं, वैसा ही बनने देता हूं।"
शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।
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