print icon
News

62 रनों पर आउट होने के बाद करने के लिए कुछ नहीं बचा : लेथम

कार्यकारी कप्तान ने भारत के स्पिनरों पर हमला करने की उनकी मंशा के पीछे का कारण बताया

भारतीय दौरे पर न्‍यूजीलैंड के सबसे सफल बल्‍लेबाज रहे लेथम  •  Arjun Singh/BCCI

भारतीय दौरे पर न्‍यूजीलैंड के सबसे सफल बल्‍लेबाज रहे लेथम  •  Arjun Singh/BCCI

जब आप 62 और 167 रनों के कुल स्कोर पर आउट हो जाते हो तो फोकस बल्लेबाज़ों पर होना स्वभाविक है, जो विरोधी टीम की गेंदबाज़ी और परिस्थतियों के आगे बिखर जाते हैं। यहां पर गेंदबाज़ी की बात ही नहीं है क्योंकि जब आप विरोधी टीम के बल्लेबाज़ों उसी पिच पर 325 और 276 पर 7 जैसा स्कोर बना देते हों।
जब आप मेहमान टीम के तौर पर भारत जैसे गेंदबाज़ी आक्रमाण और इन परिस्थितियों में खेलते हो तो बल्लेबाज़ों के लिए करने के लिए कुछ नहीं रह जाता है जब आप मेज़बान टीम के बल्लेबाज़ों को बड़ा स्कोर बनाने देते हो।
न्यूज़ीलैंड के स्टैंड-इन कप्तान टॉम लेथम ने हालांकि अपने बल्लेबाजों और विशेष रूप से रॉस टेलर के बारे में बात करते हुए पाया गया। दूसरी पारी में टेलर का दृष्टिकोण, जहां उन्होंने स्पिनरों पर हमला करने की कोशिश की और ऐसा करने में विफल रहे। उनकी इस कोशिश को विल समरविल की वापसी की तुलना में ज़्यादा आलोचना मिली, जो भारत में एक सीरीज़ में बिना कोई विकेट लिए 50 ओवर फेंकने वाले एकमात्र स्पिनर हैं।
लेथम ने कहा, "रॉस के पास स्पष्ट रूप से वह दृष्टिकोण था जहां वे दूसरी टीम के गेंदबाज़ों को दबाव में लाना चाहते थे। जैसे ही आप ऐसा करते हैं, उपमहाद्वीप की टीमें बहुत जल्दी खिलाड़ियों को आउट कर देती हैं। दुर्भाग्य से रॉस के लिए, यह उनके लिए काफ़ी कारगर नहीं था। रॉस की उस पारी में यही योजना थी।"
"इन परिस्थितियों में आप उन्हें केवल गेंदबाज़ी करने की अनुमति नहीं दे सकते। वे बहुत अच्छे हैं, वे बहुत सटीक हैं और वे आपको हिट करने के लिए बहुत मौक़े नहीं देते हैं हम ऐसा उन पर थोड़ा और दबाव डालने की कोशिश करने के लिए करना चाहते थे, जिससे की बल्लेबाज़ के आसपास खड़े क्षेत्ररक्षकों को दूर किया जा सके, क्योंकि आप जानते हैं अक्सर ऐसा नहीं किया जाता है।"
"हमारे लिए यह एक निश्चित योजना रखने और उस पर टिके रहना था। अगर आपके पास एक योजना है और आप आउट हो जाते हैं, तो यह सिर्फ़ क्रिकेट का खेल है। यह खिलाड़ियों पर निर्भर है कि वे अपनी पारी को कैसे देखते हैं।"
लेथम ने कहा कि 62 रन पर आउट होने पर वे अलग तरीक़े से कुछ नहीं कर सकते थे। लेथम ने कहा, "क्रिकेट में यह उन चीज़ों में से एक है जहां आप जो कुछ भी करते हैं वह काम नहीं करता है। ऐसा किसी ना किसी दिन क्रिकेट में होता है। हमने दुनिया भर में अलग-अलग समय पर टीमों के साथ ऐसा किया है। दुर्भाग्य से यह हमारा समय था और चीज़ें उस तरह से सामने नहीं आईं जैसा हम चाहते थे।"
"हमारे दृष्टिकोण से, आपको इससे बहुत कुछ सीखना होगा। जिस तरह से हमने दूसरी पारी में बल्लेबाज़ी की, कुछ खिलाड़ियों ने अपना गेम प्लान को थोड़ा बदला और उनके गेंदबाज़ों पर दबाव डाला, क्योंकि हम जानते हैं भारत में आप जितनी लंबी बल्लेबाज़ी करेंगे, बल्लेबाज़ी करना उतना ही मुश्किल हो जाएगा। यह उन मैचों में से एक है जहां दुर्भाग्य से हमें सही परिणाम नहीं मिला।"
लेथम ने कहा, "टेस्ट दौरे पर कुछ छोटी सकारात्मक चीज़ें भी थीं, लेकिन लक्ष्य तक पहुंचने से बहुत दूर। जिन तीन लोगों का आपने उल्लेख किया [एजाज़ पटेल, विल यंग, ​​रचिन रविंद्र], दुनिया के इस हिस्से में उनका पहली बार खेलना, उनका हमारे लिए अलग-अलग समय पर कदम रखना और पूरी सीरीज़ में योगदान देना लाजवाब था। न्यूज़ीलैंड क्रिकेट की गहराई के लिए इन परिस्थितियों में अधिक अच्छा प्रदर्शन करना बहुत अच्छा है।"
"जितना अधिक आप दुनिया के इस हिस्से में खेलते हैं, उतना ही आप सीखते हैं और अपने खेल को विकसित करने में सक्षम होते हैं। जाहिर तौर पर उन लोगों के लिए सुखद है, लेकिन बाक़ी सभी के लिए भी सीखने की ज़रूरत है। ताकि अगली बार हम यहां हों, तो उन सीखों को अमल में लाया जा सके।"

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में असिस्‍टेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।