शेफ़ाली वर्मा बनना कतई आसान नहीं
18 साल की उम्र में ही कई बड़ी उपलब्धियां हासिल कर चुकी हैं भारतीय ओपनर

क्या शेफ़ाली वर्मा बनना आसान हैं?
उन्होंने 2019 में टी20 अंतर्राष्ट्रीय में एक अवयस्क के रूप में एंट्री की थी, बडे़ शॉट लगाने वाली क़ाबिलयत के साथ जो भारतीय महिला क्रिकेट में अक्सर नहीं देखी जाती। वह लगभग अकेले ही भारत को टी20 विश्व कप 2020 के फ़ाइनल में ले गईं थी।
उन्होंने कोविड 19 के लंबे ब्रेक के बाद साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ टी20 सीरीज़ में वहीं से शुरुआत की जहां उन्होंने छोड़ा था, जिसमें आख़िरी मैच में उनकी 26 गेंद में अर्धशतकीय पारी भी शामिल थी।
इसके बाद से 20 टी20 अंतर्राष्ट्रीय पारियों में केवल पांच ही बार वह 20 का स्कोर पार कर पाई, जिसमें से चार ही 40 से ज़्यादा के स्कोर थे।
इस दौरान उन्होंने अपना टेस्ट और वनडे डेब्यू भी किया और इस साल की शुरुआत में 50 ओवर के महिला विश्व कप मैच में अपना पहला अर्धशतक भी लगाया। उनका पिछले महीने इंग्लैंड का ख़राब दौरा गया था ल, जहां वह छह पारियों में चार बार दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू सकी थीं।
क्या कई प्रारूप खेलना शेफ़ाली को भ्रमित कर रहा था? क्या वह किस पर आक्रमण करना है, इसको देख रही थी या लंबी पारी खेलने को देख रही थी? क्या इन सभी की वजह से उनके टी20 गेम में दिक्कत आई?
महिला टी20 एशिया कप से पहले शेफ़ाली को भारतीय कप्तान हरमनप्रीत कौर का साथ मिला था और उन्होंने इस भरोसे का भुगतान बांग्लादेश के ख़िलाफ़ ऑलराउंड प्रदर्शन करके दिया।
शेफ़ाली को बाउंड्री से प्यार है, यह किसी से छुपा नहीं है। अपने टी20 डेब्यू मैच में हैट्रिक लेने वाली फ़ारिहा तृस्ना पर उन्होंने डीप मिडविकेट की दिशा में कलाईयों के द्वारा छक्का लगा दिया। जब डीप मिडविकेट का फ़िल्डर स्क्वेयर आया तो उन्होंने वाइड लांग ऑन की दिशा में वन बाउंस चौका लगा दिया। नाहिदा अख़्तर पर वाइड मिडऑफ़ पर चौका जड़ने के बाद उन्होंने पावरप्ले में 15 गेंद में 26 रन बनाए।
शेफ़ाली स्टंप्स को पार करती और स्क्वेयर लेग व लांग ऑन की दिशा में शॉट खेल देती। ऋतु मोनी की कूल्हे पर आई एक फुल टॉस पर उन्होंने डीप स्क्वेयर लेग पर छक्का जड़ दिया, जिससे उन्हें मदद ही मिली। यह एक पूरी तरह से आक्रामक पारी नहीं थी क्योंकि उन्होंने 16 डॉट गेंद खेली और ऑफ़ स्पिनर सलमा ख़ातून और लेग स्पिनर फ़ाहिमा ख़ातून को खेलते हुए उन्हें समस्या आई।
लेकिन यह उन्हें 40 गेंद में उनके चौथे टी20 अंतर्राष्ट्रीय अर्धशतक से नहीं रोक सका, जो उनके करियर का सबसे धीमा अर्धशतक था। इसके बाद उन्होंने 10 रन पर दो विकेट लिए और करियर की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ी की। यह उनके परिपक्व होने का एक और निशान है। वह ऋचा घोष की जगह दो बार इस टूर्नामेंट में कीपर भी बनीं।
मात्र 18 साल की ही उम्र में शेफ़ाली 1000 टी20 अंतर्राष्ट्रीय रन बनाने वाली पांचवीं भारतीय महिला बन गई हैं, जबकि सभी महिला मैचों में सबसे युवा। वह भारत की ओर से तीसरी सबसे ज़्यादा टी20 अंतर्राष्ट्रीय में छक्के लगा चुकी हैं और स्मृति मांधना के 42 के बाद तीसरे नंबर पर हैं।
निरंतरता उनके ख़ून में नहीं है लेकिन वह प्रभावशाली पारियां खेलने की क़ाबिलियत रखती हैं। वह हो सकता है कि लगातार रन नहीं बनाए, लेकिन देखने में शेफ़ाली वर्मा का होना काफ़ी मजे़दार होता है।
एस सुदर्शनन ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।
Read in App
Elevate your reading experience on ESPNcricinfo App.