एशिया कप के फ़ाइनल में पाकिस्तान के पास क्या-क्या विकल्प हैं ?
पाकिस्तान चाहेगा कि शाहीन अफ़रीदी भारत के ख़िलाफ़ बेहतरीन प्रदर्शन करें
Wahab: Additional pressure on India in the final
Wahab Riaz feels it might be a blessing in disguise for Pakistan to start the final as underdogsपाकिस्तान के पूर्व कप्तान मोहम्मद रिज़वान की एक बात काफ़ी वायरल हुई थी - "या तो हम जीतेंगे या हम सीखेंगे"। ( "either win or learn") इसमें कोई शक़ नहीं कि रिज़वान की इस बात का काफ़ी मज़ाक उड़ाया गया। राष्ट्रीय टीम की असफलता में उनकी इस बात को मज़ाक के तौर पर पेश किया गया। लेकिन एक सच यह भी है कि रिज़वान की उस बात में अंतर्निहित सच्चाई है।
इस एशिया कप में पाकिस्तान ने सिर्फ़ दो मैच गंवाए हैं। भारत के ख़िलाफ़ उन्हें अब तक इस संस्करण में सफलता नहीं मिली है। अब तीसरी बार वे फ़ाइनल में भारत से भिड़ने जा रहे हैं। भारत की पाकिस्तान पर दो बेहतरीन जीत का मतलब है कि सलमान अली आग़ा की टीम के लिए सबसे अच्छी उम्मीद यही है कि वे उन दो मैचों में की गई ग़लतियों पर ध्यान दें और सीखते हुए जीत की तलाश में आगे बढ़ें।
पावरप्ले में पावर दिखाना होगा
पाकिस्तान को यह सिखाया गया है कि पावरप्ले वह समय है, जब आपकी टीम आक्रमण करती है। उन्होंने भारत के ख़िलाफ़ दोनों मैचों में पावरप्ले के दौरान तेज़ी से रन नहीं बनाए। इससे भारत को पाकिस्तान की पारी को मुश्किल में धकेलने का मौक़ा मिल गया। पहले रविवार को पावरप्ले के ठीक बाद भारतीय स्पिनरों ने कमाल की रणनीति के साथ गेंदबाज़ी की और पाकिस्तान अगले चार ओवरों में सिर्फ़ सात रन ही बना पाया।
अगले रविवार को पाकिस्तान उस ख़तरे में फंसने से बच गया। जैसे ही पावरप्ले ख़त्म हुआ, उन्होंने अगले चार ओवरों में 36 रन बनाए। हालांकि सईम अयूब का विकेट गिरने के बाद और बल्लेबाज़ी क्रम में कुछ अजीब फ़ैसलों के कारण उनतकी धीमी हो गई। ड्रिंक्स ब्रेक के बाद के सात ओवरों में पाकिस्तान सिर्फ़ 38 रन ही बना पाया। नतीजतन एक समय पर 190-200 के स्कोर तक पहुंचने के बजाया पाकिस्तान ने सिर्फ़ 171 रन ही बनाए।
फ़ाइनल का अपना दबाव होगा, लेकिन इससे पाकिस्तान के लक्ष्य पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए। यदि वे कोई लक्ष्य निर्धारित कर रहे हैं, तो उन्हें हर समय पूरी ताक़त से खेलना होगा। पिछले दो मैचों ने दिखाया है कि उनके पास मैच जीतने का कोई और रास्ता नहीं है।
भारत की कमज़ोर कड़ी
पाकिस्तान दोनों में से किसी भी मैच में भारत की बल्लेबाज़ी क्रम के गहराई को नहीं माप पाया है। भारत ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ जो रन बनाए, वह उनके शीर्ष क्रम ने ही बनाए हैं। लगभग सभी भारतीय मैचों में एऐसा ही हुआ है, जिसका मतलब है कि इस एशिया कप में भारत के नंबर 6 और उससे नीचे के बल्लेबाज़ों को सीमित मौक़ा मिला है।
इससे भी ज़्यादा दिलचस्प बात यह है कि निचले क्रम ने क्रीज़ पर जितना भी समय बिताया है, वह उनके ऊपरी क्रम के साथियों के जितना विस्फोटक नहीं रहा है। सुपर फ़ोर में तीनों मैचों में शीर्ष क्रम के आउट होने के बाद भारत की रन गति धीमी हो गई। बांग्लादेश के ख़िलाफ़ आख़िरी नौ ओवरों में भारतीय बल्लेबाज़ों ने सिर्फ़ 56 रन बने, जिसमें सलामी बल्लेबाज़ों के अलावा सिर्फ़ एक खिलाड़ी का स्ट्राइक रेट 100 से ऊपर था। पाकिस्तान के ख़िलाफ़ अभिषेक शर्मा के तीसरे विकेट के पतन ने भारत की रन गति को धीमा कर दिया और अगली 28 गेंदों में सिर्फ़ 30 रन बने।
सभी टीमों की तुलना में इस टूर्नामेंट में भारत के नंबर 6-11 के बल्लेबाज़ों ने पांच पूर्ण सदस्य टीमों में सबसे कम गेंदें खेली हैं। ख़ास बात यह है कि वे इन पांच टीमों में वे सबसे धीमी गति से रन बनाने वाले बल्लेबाज़ भी रहे हैं। उनका स्ट्राइक रेट सिर्फ़ 110.58 है।
इस बीच पाकिस्तान इस मामले में 142.48 के स्ट्राइक रेट के साथ दूसरी सबसे तेज़ टीम है। उनके आख़िरी छह बल्लेबाज़ों ने भी सबसे ज़्यादा गेंदें खेली हैं। हालांकि यह आंशिक रूप से सलामी बल्लेबाज़ों के विफल होने का कारण भी है। शाहीन अफ़रीदी बनाम भारत अफ़रीदी इस टूर्नामेंट में गेंद और बल्ले के साथ कमाल का प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने पाकिस्तान के लिए दोनों 'करो या मरो' वाले आख़िरी मैचों में तीन-तीन विकेट लिए। आग़ा ने उन दो मैचों में पावरप्ले में अफ़रीदी को तीन ओवर दिए, और उन्होंने दोनों बार पहले ओवर में ही विकेट लेने की अपनी प्रथा को बरक़रार रखा। अफ़रीदी अब इस एशिया कप में संयुक्त रूप से दूसरे सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ हैं।
हालांकि उनके नौ विकेटों में से कोई भी विकेट भारत के ख़िलाफ़ नहीं आया है। भारत के ख़िलाफ़ दो मैचों में उन्होंने 5.5 ओवरों में 63 रन दिए हैं। 2021 के t20 विश्व कप में भारत पर पाकिस्तान की दस विकेट की जीत में उनके उस शानदार प्लेयर ऑफ़ द मैच प्रदर्शन के बाद से, भारत के ख़िलाफ़ अफ़रीदी आसान शिकार रहे हैं। उन्होंने चार मैचों में लगभग 14 ओवरों में सिर्फ़ एक विकेट लिया है।
भारत के ख़िलाफ़ अफ़रीदी के T20I आंकड़े निराश करने वाले रहे हैं, जिसमें 39.25 की औसत से चार विकेट हैं। जिन भी टीमों के ख़िलाफ़ अफ़रीदी ने कम से कम दो मैच खेले हैं, उनमें भारत के ख़िलाफ़ उनका स्ट्राइक रेट और औसत सबसे ख़राब है, और उनका इकोनॉमी रेट 8.80 दूसरा सबसे ख़राब है।
दबाव पाकिस्तान पर नहीं है
भारत के कप्तान सूर्यकुमार यादव ने हाल ही में यह कहा था कि भारत बनाम पाकिस्तान के बीच अब कोई प्रतिद्वंद्विता नहीं बची है। एक स्तर पर यह स्पष्ट रूप से सच नहीं है; भारत-पाकिस्तान प्रतिद्वंद्विता कभी भी उनके ऑन-फील्ड प्रदर्शन की विशिष्ट योग्यताओं या कमज़ोरियों पर निर्भर नहीं रही है, और दोनों पक्ष इतिहास में विस्तारित प्रभुत्व का आनंद लेते रहे हैं, जिससे कट्टर प्रतिद्वंद्वियों के रूप में खेल का दर्जा कम नहीं हुआ है। लेकिन दूसरे स्तर पर, भारत ने दिखाया कि अगर वे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं, तो पाकिस्तान उनके सामने टिक नहीं सकता।
शायद दूसरे मैच में यह साफ़ दिख रहा था। पाकिस्तान ने लगभग वैसा ही खेल खेला जैसा वे खेलना चाहते थे। भारत ने फ़ील्डिंग में ढिलाई बरती, कई कैच छोड़े। जसप्रीत बुमराह ने पावरप्ले में पहले से ज़्यादा रन दिए, और स्पिनरों को मार पड़ी। फिर भी भारत ने अपेक्षाकृत आराम से जीत हासिल की। पाकिस्तान एक उलटफेर की तलाश में है। फ़िहलाल उन्हें कई मैचों में लगातार जीत के बजाय भारत के ख़िलाफ़ बस एक जीत चाहिए। 2017 चैंपियंस ट्रॉफ़ी और इस, मैच में कुछ समानताएं भी हैं, जहां स्पष्ट रूप से बेहतर भारतीय पक्ष उस दिन पाकिस्तान से पराजित हो गया था।
रिज़वान के शब्दों में कहें तो पाकिस्तान रविवार को या तो एशिया कप चैंपियन बनेगा या फिर वे सीखेंगे कि वे महाद्वीप की दूसरी सर्वश्रेष्ठ टीम हैं। अगर बाद वाला सच साबित होता है, तो पिछले दो वर्षों में उन्होंने जो T20 में जिस तह की निराशाएं देखी हैं, उस हिसाब से यह बहुत ज़्यादा बुरा परिणाम नहीं होगा।
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