सुपर-4 में पहुंचने के बाद भी भारतीय टीम की तीव्रता में कोई कमी नहीं दिखी
अभ्यास सत्र में सभी ने दिया अपना 100%, बल्लेबाज़ी-गेंदबाज़ी के अलावा खिलाड़ियों ने फ़ील्डिंग में भी बहाए पसीने

"महान फ़ील्डर डाइव नहीं करते," हार्दिक पंड्या ने मज़ाक में कहा। उन्होंने फ़ील्डिंग कोच टी दिलीप की ओर से बायीं तरफ़ फेंकी गई गेंद पर बिना डाइव लगाए ही शानदार कैच पकड़ा था। उनके पीछे अस्थायी गोलपोस्ट था, जिसे उन्हें बचाना था। हर खिलाड़ी को पांच मौक़े मिल रहे थे और फिर अगला खिलाड़ी उनकी जगह ले रहा था। यह एक तरह से फ़ुटबॉल पेनल्टी शूटआउट जैसा था, जो फ़ील्डिंग ड्रिल का रूप ले चुका था।
इसके बाद हालात तुरंत बदल गए। उनके सामने तीन रॉकेट जैसे कैच आए, नीचे और सपाट और ये तीनों कैच छूट गए। डाइव से भी उनको कोई मदद नहीं मिल सकी। दिलीप ने फिर उनके द्वारा बनाए गए अंक मज़ाकिया अंदाज़ में पढ़े। इसके बाद तिलक वर्मा "गोलकीपर" बनने आ गए।
जल्द ही इन दोनों के बीच बातचीत तेलुगु में बदल गई, जहां अर्शदीप सिंह पार्ट-टाइम कमेंटेटर बन गए और हर बार जब तिलक बचाव करते हुए कूदे तो उन्होंने "चला बगुंडी" (शाबाश) का नारा लगाया।
फिर बारी आई जसप्रीत बुमराह की। जैसे ही वह आगे बढ़े, वह भी मज़ाक करने से नहीं रुके- "प्वाइंट फिर से, कोच?" उन्होंने पत्रकारों की तरफ़ देखते हुए कहा जो उनकी हर हरकत रिकॉर्ड कर रहे थे। "आप लोगों के लिए रील कंटेंट आ रहा है!" यह इशारा था उस कैच की ओर जो उन्होंने रविवार को सईम अयूब को आउट करने के लिए प्वाइंट पर लिया था।
यह फ़ील्डिंग सत्र भारत के कैंप का माहौल दिखा रहा था- जीवंत, हल्का-फुल्का, लेकिन अंदर ही अंदर इंटेसिटी से भरा हुआ, जो बाद में नेट्स पर फिर से नज़र आया। मंगलवार की शाम को तापमान थोड़ा कम होकर 40 से 35-36 डिग्री सेल्सियस तक आ गया था, लेकिन टीम के लिए यह राहत की बात नहीं थी, क्योंकि उनकी ट्रेनिंग लगातार दूसरे दिन चार घंटे से ज़्यादा चली थी।
संजू सैमसन, अक्षर पटेल और हार्दिक ने नेट्स पर लंबा समय बिताया और फिर शीर्ष क्रम के बल्लेबाज़ आए। ये सभी गेंदों को ज़ोर से मारते हुए पेड़ों के पार तक भेजते रहे, मानो किसी को यह ध्यान ही न हो कि गेंद कहां जा रही है।
How big is the gulf between India and Pakistan?
Aakash Chopra and Wahab Riaz on the difference in quality between the two sidesइस दौरान कोच गौतम गंभीर और सहायक कोच रायन टेन डेशकाटे नेट्स के पीछे से हर बल्लेबाज़ को ध्यान से देखते रहे। रिंकू सिंह को ख़ासतौर पर कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ा, जब हर्षित राणा और अर्शदीप की गति और उछाल भरी गेंदें उन्हें बार-बार परेशान करती रहीं। फिर परीक्षा और कठिन हो गई।
छोटी रन-अप से शुरू करके धीरे-धीरे पूरी रफ़्तार तक पहुंचते हुए बुमराह ने रिंकू को बिल्कुल नहीं बख़्शा। लेग पर आने वाली गेंदें उन्होंने आसानी से खेलीं, लेकिन हार्ड लेंथ और सीम मूवमेंट पर वह बार-बार फंसते रहे। आख़िरकार उन्होंने दस्ताने उतार दिए और बल्लेबाज़ी सत्र के बाद टाइम्ड स्प्रिंट्स से खुद को कूल किया।
भारत का सत्र ख़त्म होते-होते उन्होंने मस्ती और मज़ाक के बीच सभी तरह-तरह की गतिविधियां कर लीं। इसका अंत कप्तान सूर्यकुमार यादव के बर्थडे केक काटने से हुआ, जिसे भारत के साथ यात्रा कर रही मीडिया ने आयोजित किया था। इसमें कुलदीप यादव और कुछ सपोर्ट स्टाफ़ भी शामिल हुए।
शशांक किशोर ESPNcricinfo के वरिष्ठ संवाददाता हैं
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