पिच पर बीयर पार्टी!, जब सचिन हुए SBW : भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरों पर पनपे विवादों का लेखा-जोखा
जब सचिन हुए SBW, लिली से बहस होने के बाद जब गावस्कर ने किया था वॉक ऑउट

भारत और ऑस्ट्रेलिया वर्तमान दौर में विशेषकर टेस्ट प्रारूप में दो सबसे बड़े चिर प्रतिद्वंद्वी बनकर उभरे हैं, लेकिन इन दोनों टीमों की प्रतिद्वंद्विता ने अमूमन मैदान पर विवादों का रूप भी लिया है। वर्तमान दौरे की शुरुआत भी एक विवाद से ही हुई जब इंडिया ए और ऑस्ट्रेलिया ए के बीच पहले अनौपचारिक टेस्ट के अंतिम दिन खेल शुरू होने से पहले अंपायर्स ने गेंद बदलने का फ़ैसला किया। ESPNcricinfo हिंदी आपके समक्ष भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे की यादों के झरोखे से उन प्रमुख घटनाक्रमों को लेकर आया है, जब इस प्रतिद्वंद्विता ने विवादों का दामन थाम लिया।
लिली से उलझे लिटिल मास्टर
यह क़िस्सा 1980-81 दौरे का है जब सुनील गावस्कर ऑस्ट्रेलियाई तेज़ गेंदबाज़ डेनिस लिली से उलझने के बाद अपने जोड़ीदार चेतन चौहान के साथ पवेलियन की ओर चल पड़े थे। मेलबर्न में गावस्कर और चौहान के बीच दूसरी पारी में पहले विकेट के लिए अच्छी साझेदारी पनप चुकी थी, लेकिन गावस्कर को अंपायर ने 70 के निजी स्कोर पर LBW आउट दिया। चूंकि गावस्कर को लगा कि गेंद उनके बल्ले पर लगी थी इसलिए उन्होंने अंपायर के इस फ़ैसले पर नाराज़गी व्यक्त की।
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Rahul Dravid's iconic 233 and 72* in India's historic victory is the winner of 'Awesome in Australia: India's best performance down under in the 21st century', a fan poll conducted across ESPNcricinfo, Star Sports and Disney+Hotstarइसी बीच उनकी लिली के साथ बहस हो गई और इस विवाद ने इतना तूल पकड़ लिया कि उन्होंने चौहान के साथ वॉक आउट करने का फ़ैसला कर लिया। हालांकि बाउंड्री लाइन पर टीम मैनेजमेंट द्वारा मान-मनौव्वल के बाद चौहान को वापस पिच पर भेजा गया।
साइमंड्स और हरभजन की ज़ुबानी जंग ने पकड़ा तूल
2007-08 ऑस्ट्रेलिया का दौरा विवादों से भरा हुआ था। इस दौरे पर पनपे तमाम बड़े विवादों की कड़ी सिडनी में खेले गए दूसरे टेस्ट से जुड़ी हुई थी। सिडनी में अंपायरिंग विवाद के साथ ही हरभजन सिंह और एंड्रयू साइमंड्स के बीच हुई ज़ुबानी जंग ने ऐसा विकराल रूप धारण किया कि हरभजन पर नस्लीय टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया। हरभजन को इसके चलते तीन टेस्ट मैचों का प्रतिबंध भी झेलना पड़ा। सिडनी टेस्ट ने बीच दौरे को छोड़ भारतीय टीम के वापस स्वदेश लौटने की संभावनाओं को भी बल दे दिया था, लेकिन इस पूरे मामले में बाद में हरभजन निर्दोष साबित हुए।
दरअसल साइमंड्स ने यह आरोप लगाया था कि हरभजन ने उन्हें 'मंकी' कहा है। इसलिए इस घटना को मंकीगेट के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि बाद में हरभजन ने सुनवाई के दौरान कहा था कि उन्होंने साइमंड्स को गाली दी थी जिसे सुनवाई में स्वीकार लिया गया था और उन्हें केवल 50 फ़ीसदी मैच फ़ीस का जुर्माना लगाया गया था। क्रिकेट इतिहास के एक और बड़े विवाद का गवाह सिडनी ही बना था, जिसकी चर्चा हम आगे करेंगे।
मैच से पहले पिच पर बीयर पार्टी!, कोहली का आपत्तिजनक इशारा
2011-12 में पर्थ में तीसरे टेस्ट से पहले पिच पर हुई कथित बीयर पार्टी से गहरा विवाद पनप गया था। मैच की पूर्व संध्या पर WACA के ग्राउंड स्टाफ़ के कुछ सदस्यों को पिच के आसपास हाथ में बीयर लेते हुए घूमते देखा गया था। भारतीय समाचार चैनलों ने इस घटना को अपने कैमरे में कैद कर लिया था। जिसके बाद इसे खेलने की जगह से जुड़े ICC की नियमावली का उल्लंघन करार दिया गया था। हालांकि WACA के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ग्रेम वुड ने तब ESPNcricinfo से इस पूरे घटनाक्रम पर बात करते हुए बीयर पार्टी के दावों को ख़ारिज किया था। वुड ने कहा था कि पिच को तैयार करने में लगी कड़ी मेहनत का अभिवादन देने के क्रम में ग्राउंड स्टाफ़ के कुछ सदस्य पिच की ओर गए थे ना कि बीयर पार्टी करने।
इसी दौरे पर सिडनी टेस्ट में विराट कोहली ने प्रतिक्रिया स्वरूप दर्शकों को आपत्तिजनक इशारा किया था, जिसके बाद उनके ऊपर मैच फ़ीस की 50 फ़ीसदी राशि का जुर्माना लगा था।
मांकड का रन आउट बैकिंग अप
ऑस्ट्रेलिया और भारत की प्रतिद्वंद्विता सिर्फ़ मैदान तक सीमित नहीं रहती। इसकी एक झलक मौजूदा दौरे पर ही भारत के ऑस्ट्रेलिया पहुंचने पर दिखाई दी जब एक ऑस्ट्रेलियाई अख़बार ने अपने पन्नों पर हिंदी भाषा में भारतीय टीम का स्वागत किया। हालांकि एक ऐसा भी दौर था जब भारतीय टीम के प्रति ऑस्ट्रेलियाई मीडिया का रवैया इतना नरम नहीं हुआ करता था। बल्कि इसके विपरित एक ऐसी घटना भी घटी थी जब ऑस्ट्रेलियाई मीडिया द्वारा भारतीय खिलाड़ी के नाम के ऊपर उछाला गया टर्म क्रिकेट की आम बोलचाल का हिस्सा बन गया और इस विवाद का केंद्र एक बार फिर सिडनी ही बना था।
गेंदबाज़ द्वारा नॉन स्ट्राइकर एंड पर बल्लेबाज़ को गेंद फेंके जाने से पहले बल्लेबाज़ को रन आउट करने के तरीके के पक्ष और विपक्ष में क्रिकेट जगत में अमूमन दो मत दिखाई पड़ते हैं। क्रिकेट में पहली बार इसको लेकर विवाद भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर ही पनपा था। 1947-48 में सिडनी टेस्ट के दौरान भारतीय ऑलराउंडर वीनू मांकड ने ऑस्ट्रेलिया के बिल ब्राउन को नॉन स्ट्राइकर एंड पर आउट कर दिया था। जिसके बाद काफ़ी विवाद पनपा था और ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिए इसे मांकड के नाम से भी जोड़ दिया था। हालांकि मांकड ने ब्राउन को ही कुछ ही सप्ताह पहले ऑस्ट्रेलिया XI के ख़िलाफ़ प्रथम श्रेणी मैच में चेतावनी के बाद नॉन स्ट्राइकर एंड पर रन आउट किया था लेकिन तब इस घटनाक्रम ने विवाद का रूप नहीं लिया था।
सचिन तेंदुलकर हुए SBW
मांकड वाले घटनाक्रम के आधी सदी बाद एक बार फिर आउट होने का एक अन्य तरीका ऑस्ट्रेलिया दौरे पर विवाद का कारण बना और इस बार इसका शिकार भारतीय बल्लेबाज़ बने थे। 1999 में एडिलेड टेस्ट में सचिन तेंदुलकर के आउट होने के तरीके को आज भी याद किया जाता है। जब अंपायर डैरिल हार्पर ने कंधे पर गेंद लगने के बावजूद तेंदुलकर को लेग बिफ़ोर विकेट (LBW) करार दिया था। दरअसल ग्लेन मैकग्रा ने तेंदुलकर को बाउंसर डाली थी, इसलिए तेंदुलकर ने गेंद के उछाल लेने की अपेक्षा में डक किया लेकिन गेंद ने उनके अनुमान जितना उछाल ही नहीं लिया और उनके कंधे पर जा लगी। ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने ज़ोरदार अपील की, तेंदुलकर स्टंप्स के सामने धरा गए थे, लिहाज़ा अंपायर ने भी अपनी उंगली खड़ी कर दी।
ख़ुद मैक्ग्रा ने इस घटना के काफ़ी समय बाद अपने साक्षात्कार में कहा था कि जब गेंद सचिन के कंधे पर लगी तब उन्हें स्टंप्स दिखाई दे रहे थे इसलिए उन्होंने अपील की थी और अंपायर ने भी आउट करार दिया। मैक्ग्रा ने कहा था कि अगर सचिन खड़े रहते तो गेंद उनके पैड्स से जाकर टकराती। हालांकि मैक्ग्रा के मुताबिक सचिन अभी भी मानते हैं कि गेंद स्टंप्स के ऊपर से जाती। पृथ्वी शॉ भी 2018 में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ कुछ इसी अंदाज़ में आउट होने से बाल बाल बचे थे। अंपायर्स कॉल के चलते उन्हें नॉट आउट करार दिया गया था।
नवनीत झा ESPNcricinfo हिंदी में कंसल्टेंट सब एडिटर हैं।
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