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कैपिटल्स की बल्लेबाज़ी में गहराई की कमी चिंता का विषय लेकिन उनके गेंदबाज़ इसकी भरपाई करने में सक्षम

दिल्ली कैप्टिल्स कोलकाता को रहा सकती है लेकिन उनके गेंदबाज़ों को लीग मैचों की तरह बढ़िया प्रदर्शन करना होगा।

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क्या स्टॉयनिस के इंजरी के बाद बल्लेबाज़ी की जगह गेंदबाज़ी क्रम को तरजीह देना दिल्ली की टीम को नुकसान पहुंचाएगी  BCCI

एक क़रीबी मैच के दौरान जब सामने वाली टीम में एमएस धोनी और आपकी टीम में रबाडा हों तो यह बहुत स्वभाविक है कि आप रबाडा के साथ आख़िरी ओवर में गेंदबाज़ी करवाएंगे। रबाडा और धोनी के बारे में जब हम बात करते हैं तो हमें कानपुर के उस मैच को जरूर याद करना चाहिए, जब रबाडा ने अपनी तेज़ गति और सटीक लेंथ से धोनी को अंतिम ओवर में लक्ष्य को प्राप्त करने से रोक दिया था। आईपीएल में धोनी ने रबाडा के 13 गेंदों का सामना किया है जिसमें उन्होंने सात रन बनाए हैं और एक बार आउट भी हुए हैं। इस बात को लेकर काफ़ी चर्चाएं हुई कि रबाडा की जगह पहले क्वालीफ़ायर के अंतिम ओवर में टॉम करन से पंत ने गेंदबाज़ी क्यों करवाई?

धोनी और मोईन अली का तेज़ गेंदों के ख़िलाफ़ उनकी कमज़ोरी जग ज़ाहिर है, लेकिन आपको यह ध्यान रखना होगा कि डेथ ओवरों में रबाडा पिछले कुछ समय से बढ़िया प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं। इस आईपीएल में डेथ ओवरों में कम से कम 10 ओवर फेंकने वाले गेंदबाज़ों में उनकी इकॉनमी रेट सबसे खराब है। डेथ ओवर में वह दिल्ली कैपिटल्स की पहली पसंद नहीं रहे हैं। इस बार आईपीएल में दिल्ली की ओर से आवेश ख़ान ने 22 और रबाडा ने 13 डेथ ओवर फेंके हैं। आवेश ने सुपर किंग्स के खि़लाफ़ 19वां ओवर फेंका, जो अक्सर आपके सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ी विकल्प के लिए आरक्षित होता है। यह इस बात की पुष्टि थी कि कैपिटल्स को रबाडा पर पूरा भरोसा नहीं था।

संक्षेप में अगर कहें तो रबाडा, धोनी और मोईन के ख़िलाफ़ गेंदबाज़ी करना एक आकर्षक विकल्प हैं, लेकिन वह 2019 के आईपीएल फ़ाइनल के लसिथ मलिंगा नहीं हैं, जो 3-0-42-0 के आंकड़े के बावजूद अंतिम ओवर के लिए कप्तान के लिए सबसे भरोसेमंद पसंद हो। इसके अलावा आवेश ने धीमी गेंद से धोनी को दो बार परेशान किया है, जिसके कारण पंत ने करन को आख़िरी आोवर में गेंद थमाया।

कैपिटल्स के कोच रिकी पोंटिंग ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि उन्होंने अभी तक पंत के साथ उस फै़सले पर चर्चा नहीं की है। बाद में इस पर चर्चा होगी और ख़ारिज कर दिया जाएगा क्योंकि शायद वह जानते हैं कि 40 ओवरों के मैच में एक ओवर पर ज़्यादा ध्यान देना बेमानी होगी।

अगर अंतिम ओवर के बार में फ़ैसला लेना ही है या बात करनी है तो पहली पारी के बारे में चर्चा क्यों ना हो। जब सिर्फ पांच विकेट गिरे थे और पंत अंतिम ओवर में बल्लेबाज़ी कर रहे थे। छठे विकेट के लिए की गई उस साझेदारी में आठ गेंदों में नौ रन आए, जिसमें से चार रन भीतरी किनारे से लग कर आया था।

फिर से आप पंत के दृष्टिकोण के बारे में बहस कर सकते हैं, लेकिन यहां वह बात नहीं है। मुद्दा यह है कि यहां कैपिटल्स टीम की संरचना ही एक समस्या है। ऐसे समय में जब अधिकांश टीमें बल्लेबाज़ी क्रम में गहराई रखना चाह रही हैं, वहीं कैपिटल्स ने यूएई में अधिकांश बार अक्षर पटेल को नंबर छह और सात पर बल्लेबाज़ी करवाई है। उस टीम की शैली के ख़िलाफ़ बहस करना मुश्किल है, जिसने 15 मैचों में से 10 जीते हैं, पिछले साल वह लीग स्टेज में शीर्ष दो टीमों में शामिल थी और उससे एक साल पहले नंबर तीन पर। उन्होंने इस साल विपक्षी टीमों के ख़िलाफ़ एक ऐसे आक्रमण के साथ खेल को आगे बढ़ाया है, जो इस साल के आईपीएल में खेली गई ज़्यादातर परिस्थितियों के लिए काफ़ी हद तक अनुकूल है। जब मार्कस स्टॉयनिस घायल हो गए तो उन्होंने बल्लेबाज़ी की गहराई की जगह गेंदबाज़ी की गहराई को चुना। परिणाम स्वरूप बल्लेबाज़ों को उसी हिसाब से खुद को ढालना पड़ा।

कैप्टिल्स की टीम को इस साल पहले बल्लेबाज़ी करते हुए पांच बार हार मिली है। वहीं पहले बल्लेबाज़ी करते हुए उन्हें सिर्फ एक बार जीत मिली है। उन पराजयों में से एक हार कोलकाता के ख़िलाफ़ आई, जब दिल्ली की बल्लेबाज़ों ने काफ़ी ख़राब प्रदर्शन किया था। वहीं दो और हार ऐसे थे, जहां उनकी टीम ने एक मामूली स्कोर खड़ा किया था और ऐसा इसी कारण से था क्योंकि दिल्ली की बल्लेबाज़ी क्रम में गहराई नहीं है।

स्टॉयनिस के चोट के बाद कैपिटल्स की टीम ने स्मिथ को भी टीम में लाकर एक चांस लिया गया लेकिन बाद में उन्होंने महसूस किया कि उनकी गेंदबाजी उनकी ताकत थी और उन्हें इसे बनाए रखने की जरूरत थी। ऐसा इसलिए भी था क्योंकि उन्हें रबाडा और आर अश्विन के लिए किसी बैकअप की जरूरत थी जो कि अभी अपने सर्वश्रेष्ठ फ़ॉर्म में नहीं हैं।

अश्विन ने आईपीएल में अपनी 32% गेंदें उस दौरान फेंकी हैं, जब पिच पर दो दाएं हाथ के बल्लेबाज़ मौजूद थे।  BCCI

पिछले दो मैचों में अश्विन ने सिर्फ़ तीन ओवर फेंके हैं क्योंकि विपक्षी टीमों में काफी ज़्यादा दाएं हाथ के बल्लेबाज़ थे। उन्होंने इस आईपीएल में अपनी 32% गेंदें उस दौरान फेंकी हैं, जब पिच पर दो दाएं हाथ के बल्लेबाज़ मौजूद थे। यह वास्तव में एक उपलब्धि है क्योंकि आईपीएल में कोई और ऑफ़ स्पिनर नहीं है, जिसने अपनी 18% से अधिक गेंद तब फेंका हो जब पिच पर दो दाएं हाथ के बल्लेबाज़ मौजूद हो। एक साथ रखा जाए तो वॉशिंगटन सुंदर और जयंत यादव ने जब पिच पर दाएं हाथ के दो बल्लेबाज़ हों तो उन्होंने एक बार भी गेंदबाज़ी नहीं की है।

अश्विन एकमात्र ऑफ़ स्पिनर हैं जो अकेले एक गेंदबाज़ के रूप में नियमित रूप से खेल सकते हैं, लेकिन खेल की स्थिति ऐसी है कि जब दो दाएं हाथ के बल्लेबाज पिच पर होते हैं तो उन्हें कुछ देर के लिए गेंदबाज़ी से दूर रखना पड़ सकता है। उन्होंने इस आईपीएल में सिर्फ़ दो ही दाएं हाथ के बल्लेबाज़ों को आउट किया है। अमित मिश्रा, जिन्होंने आईपीएल के पहले हाफ़ में अक्षर की अनुपस्थिति में अच्छा खेला था, अश्विन का एक विकल्प हो सकते हैं। लेकिन क्या दिल्ली कैपिटल्स की टीम किसी ऐसे खिलाड़ी को प्लेऑफ़ में चुनने का साहस कर सकती है जिसने पिछले नौ मैच नहीं खेले हैं?

जब स्टॉयनिस को चोट लगी तो उनकी जगह पर रिपल पटेल को भी टीम जगह दी गई थी  BCCI

कैपिटल्स की टीम की यही स्थिति है। जब स्टॉयनिस को चोट लगी तो उनकी जगह पर रिपल पटेल को टीम जगह दी गई लेकिन बाद में फिर से उन्हें ऐसा लगा कि उन्हें एक गेंदबाज़ की जरूरत है। कोई अन्य ऑलराउंडर उपलब्ध नहीं होने के कारण, कैपिटल्स ने खुद को वैसी ही बल्लेबाज़ी के साथ छोड़ दिया। कोई अन्य ऑलराउंडर उपलब्ध नहीं होने के कारण कैपिटल्स ने खुद को उथली बल्लेबाजी के साथ छोड़ दिया। इस तरह की सेट-अप के साथ बल्लेबाज़ी में आप ज़्यादा गलती नहीं कर सकते। 2013 में जब रिकी पोटिंग मुंबई इंडियंस की कप्तानी कर रहे थे तब भी उनकी टीम का हाल तकरीबन आधे सीज़न के लिए कुछ ऐसा ही थी। उस टीम में हरभजन सिंह नंबर सात पर बल्लेबाज़ी करते थे।

पोंटिंग अब उसी तरह की टीम के नेतृत्व समूह का हिस्सा हैं। उनके अगले प्रतिद्वंद्वी कोलकाता नाइट राइडर्स, अपनी गेंदबाज़ी से फिर से कैपिटल्स पर आक्रमण करेंगे। नीतीश राणा किसी न किसी तरह से हमेशा अश्विन को मात देते हैं। साथ ही कोलकाता की टीम में बाएं हाथ के कुछ ऐसे बल्लेबाज़ हैं जो बाएं हाथ के स्पिनर अक्षर के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। इसलिए स्टॉयनिस अगर अगला मैच नहीं खेल पाते हैं तो नंबर 6 पर एक विशेषज्ञ बल्लेबाज़ के साथ खेलना जोख़िम भरा हो सकता है। दूसरा क्वालीफ़ायर शारजाह में होगा जहां लीग मैचों के दौरान दिल्ली की टीम केवल 127 रन बना पाई थी। शायद इस पिच पर दिल्ली पहले बल्लेबाज़ी नहीं करना चाहेगी। पोटिंग को पता है कि ऐसी बल्लेबाज़ी क्रम के साथ वह इस टूर्नामेंट को जीत सकते हैं। ऐसा करने के लिए उनकी टीम के गेंदबाज़ों को बढ़िया गेंदबाज़ी करनी होगी, जैसा कि उन्होंने पिछले 15 में से 10 मैचों में किया है।

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सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo के अस्सिटेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।