कोटक : अपनी बल्लेबाज़ी के दौरान पंत ज़्यादा बात करना बिल्कुल पसंद नहीं करते
भारतीय बल्लेबाज़ी कोच ने यह भी बताया कि पहले टेस्ट में मिली हार के बाद खिलाड़ियों को कोई विशेष सलाह नहीं दी गई थी
सिडनी में 2020-21 बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी के दौरान, अंतिम दिन उस समय सब चौंक गए जब ऋषभ पंत कप्तान अजिंक्य रहाणे का विकेट गिरने के तुरंत बाद, दिन के दूसरे ही ओवर में बल्लेबाज़ी करने आ गए। पंत ने मैच ड्रॉ कराने की कोशिश में धमाकेदार अंदाज़ दिखाया और सिर्फ़ एक सेशन में 73 रन बना डाले। वह 117 गेंदों पर 97 रन पर थे, जब नाथन लायन ने 80वां ओवर शुरू किया। उस समय उनके साथ क्रीज़ पर मौजूद चेतेश्वर पुजारा ने उन्हें याद दिलाया कि अब नए गेंद का असर अहम होने वाला है, इसलिए थोड़ा संभलकर खेलना चाहिए।
80वें ओवर की पहली ही गेंद पर पंत ट्रैक पर आगे बढ़े और मोटे बाहरी किनारे से कैच हो गए। आउट होने के बाद वह टूट चुके थे। ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें मैदान से बाहर ले जाने के लिए क्रेन मंगानी पड़ेगी। उन्हें पुजारा पर भी ग़ुस्सा था क्योंकि उन्हें लग रहा था कि पुजारा की उस एक चेतावनी ने उनके मन में संदेह भर दिया, जिसके कारण वह गलती कर बैठे।
लॉर्ड्स टेस्ट से दो दिन पहले भारत के बैटिंग कोच सितांशु कोटक ने पंत के इसी पक्ष के बारे में बात की - कि वह बैटिंग को लेकर कितने सोच-विचार करने वाले खिलाड़ी हैं। जब कोटक से पूछा गया कि पंत से बात न करना कितना ज़रूरी होता है, तो उन्होंने कहा, "ऋषभ दरअसल बहुत बात करता है। क्या कर रहा है, कब कर रहा है, क्यों कर रहा है, वह इन सब चीज़ों पर बात करते हैं।"
कोटक ने बताया, "मेरे साथ तो वह खुलकर बात करता है, लेकिन जब वह क्रीज़ पर होता है, तो बहुत ज़्यादा बातचीत पसंद नहीं करता। उसे लगता है कि इससे उसका माइंडसेट बदल जाता है और वह ग़लत फ़ैसला ले बैठता है। ये बात सिर्फ़ उसकी बल्लेबाज़ी के दौरान लागू होती है।" "इसके अलावा वह खु़द के बारे में भी सोचता है, दूसरों की बल्लेबाज़ी पर भी बात करता है, और वह अच्छी-ख़ासी योजना बनाता है कि उसे क्या करना है, क्योंकि टेस्ट क्रिकेट में सेंचुरी बनाना या इस स्तर पर सफल होना इतना आसान नहीं होता। बिना प्लानिंग के तो बिल्कुल नहीं।"
कोटक ने कहा कि पंत के हर शॉट और मूव को भले ही बाहर से देखकर आप अनियोजित मानें, लेकिन हर फै़सले के पीछे सोच और रणनीति होती है। वह पंत जैसे अनोखे खिलाड़ी को टीम में पाकर बेहद खु़श हैं। हालांकि कोटक का ज़ोर इस बात पर रहा कि हाल के वर्षों में बेहद चुनौतीपूर्ण गेंदबाज़ी वाली पिचों पर खेलने की आदत के चलते खिलाड़ियों को रन बनाने की जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए।
कोटक ने कहा, "अगर कोई बल्लेबाज़ यह सोचता है कि पिच पर बहुत मूवमेंट है, और अगर जरा भी मौक़ा मिला तो बाउंड्री मार दूं क्योंकि अगली गेंद बहुत अच्छी हो सकती है, तो यह टेस्ट क्रिकेट के लिए ग़लत माइंडसेट है। वैसे भी, सफेद गेंद (व्हाइट-बॉल) क्रिकेट ने इन खिलाड़ियों में इतनी स्किल भर दी है कि वे किसी भी स्लॉट बॉल को चौका या सिक्सर में बदल सकते हैं। उन्हें सोचने की ज़रूरत नहीं है कि अब मुझे बाउंड्री मारनी ही है।"
कोटक ने साफ़ किया कि यह कोई हेडिंग्ले टेस्ट की हार के बाद दी गई खास सलाह नहीं थी, बल्कि उनकी सीरीज़ शुरू होने से पहले से ही यही सोच रही है। कोटक ने कहा, "हमने दोनों मैचों में अच्छी बल्लेबाज़ी की है। मुझे लगता है कि हमारे बल्लेबाज़ इतने स्किलफुल हैं कि बिना ज़्यादा कोशिश किए भी चार रन प्रति ओवर की रफ़्तार से बना सकते हैं। इससे ज़्यादा आक्रामक बल्लेबाज़ी और क्या होगी? हम 90 ओवर में 360 रन बना रहे हैं।"
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