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इंग्लैंड की पिचों पर भारतीय टीम की कहानी: इतिहास, वर्तमान और पिच का मिज़ाज

इंग्लैंड और भारत के बीच होने वाले मैचों की सीरीज़ जिन मैदानों पर होगी, उन मैदानों का लेखा-जोखा

मांजरेकर: बुमराह 5 टेस्ट खेलेंगे या 3 - पहले से नहीं बताना था

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लीड़्स में खेले जाने वाले इंग्लैंड vs भारत के पहले टेस्ट का प्रीव्यू संजय मांजरेकर के साथ

इंग्लैंड और भारत के बीच पांच मैचों की टेस्ट सीरीज़ 20 जून से शुरू हो रही है। इस सीरीज़ का पहला मैच लीड्स में खेला जाएगा। उसके बाद एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफ़ी का यह कारवां बर्मिंघम (दो से छह जुलाई), लॉर्ड्स (10-14 जुलाई), मैनचेस्टर (23 से 27 जुलाई) और अंत में लंदन के ओवल (31 जुलाई से चार अगस्त) पहुंचेगा। आइए देखते हैं कि इन मैदानों पर भारतीय टीम का रिकॉर्ड कैसा है और यहां की परिस्थितियां कैसी हो सकती हैं।

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लीड्स में अपनी पिछली हार का बदला लेने उतरेगा भारत

हेडिंग्ले में शुरू हो रही टेस्ट सीरीज़ का पहला मुक़ाबला कई मायनों में ख़ास होगा, और इसका सबसे बड़ा कारण है यहां की पिच, जो इस बार कुछ अलग तेवर दिखा सकती है। आमतौर पर इंग्लैंड की पिचों पर शुरुआती नमी और हरियाली का असर देखा जाता है, लेकिन इस बार की तस्वीर थोड़ी बदली हुई है। फ़रवरी के बाद से यहां बारिश ना के बराबर हुई है, और यही वजह है कि ग्राउंड्समैन रिचर्ड रॉबिन्सन का पूरा ध्यान इस बात पर है कि पिच में जितनी हो सके उतनी नमी बनाए रखी जाए। शुरुआती कुछ घंटों में तेज़ गेंदबाज़ों को हल्की मदद मिल सकती है, लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ेगा और पारा 30 डिग्री सेल्सियस केआसपास पहुंचेगा तो पिच तेज़ी से फ्लैट हो सकती है। सतह सख़्त है और उस पर गेंद को अच्छी उछाल मिलेगी। मतलब बल्लेबाज़ों के लिए रन बनाने के मौके ज़रूर आएंगे।

भारत ने हेडिंग्ले में अपना आख़िरी टेस्ट मैच अगस्त 2021 में खेला था। उस मैच में, भारत को इंग्लैंड के हाथों एक पारी और 76 रनों से करारी हार मिली थी। भारत की पहली पारी सिर्फ़ 78 रनों पर ही सिमट गई थी, जो उनके लिए एक बेहद निराशाजनक प्रदर्शन था। भारत ने इस मैदान पर अब तक सात मैच खेले हैं और केवल दो जीते हैं, जबकि एक ड्रॉ रहा और चार मैचों में हार मिली है। भारत को यहां 1986 में कपिल देव की कप्तानी में और फिर 2002 में सौरव गांगुली की कप्तानी में जीत मिली थी।

  • 2018 के बाद से सबसे अधिक रन: जो रूट, 374 रन (एक शतक, दो अर्धशतक)
  • 2018 के बाद से पहली पारी का औसत स्कोर: 204.6 रन

टूटा था गाबा का घमंड, क्या अब टूटेगा एजबेस्टन का भी घमंड?

एजबेस्टन में भारत ने कुल आठ टेस्ट मैच खेले हैं। लेकिन आज तक उन्हें किसी भी मैच में जीत नहीं मिली है। 2017 के बाद से इंग्लैंड ने छह मैच खेले, जिनमें से उन्हें सिर्फ़ दो टेस्ट में हार मिली। वे दो हार ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ आए हैं। इस मैदान पर भारत ने अपना पिछला टेस्ट मैच जुलाई 2022 में खेला था। यह मैच 2021 की सीरीज़ का हिस्सा था और इसमें इंग्लैंड ने भारत को 7 विकेट से हराया था, जहां इंग्लैंड ने 378 रनों के बड़े लक्ष्य का पीछा कर जीत हासिल की थी।

अमूमन यहां की पिच बल्लेबाज़ों के लिए ठीक रहती है। तेज़ गेंदबाज़ों को यहां सीमित स्विंग और अच्छी बाउंस मिलती है। हालांकि स्विंग और सीम के मामले में यह दूसरे या तीसरे दिन के खेल के बाद उतनी मददगार नहीं रहती। इसी कारण से अक्सर यहाँ टॉस जीतने वाली टीम पहले गेंदबाज़ी करने का निर्णय लेती है।

  • 2018 के बाद से सबसे अधिक रन: जो रूट, 618 रन (दो शतक, तीन अर्धशतक)
  • 2018 के बाद से पहली पारी का औसत स्कोर: 327.5 रन

भारत को लॉर्ड्स से एक बार फिर काफ़ी उम्मीदें होंगी

लॉर्ड्स में भारत ने अपना पहला टेस्ट 1932 में खेला था, जहां उन्हें 158 रनों से हार मिली थी। भारत ने यहां कुल 20 टेस्ट खेले हैं, जिनमें से उन्हें तीन मैच में जीत मिली है और चार मैच ड्रॉ हुए हैं। भारत ने लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर अपना आख़िरी टेस्ट मैच अगस्त 2021 में खेला था। यह भारत के लिए एक बेहद यादगार मैच था, जहां उन्होंने इंग्लैंड को 151 रनों से हराया था। इस टेस्ट में भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों, ख़ासकर जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज ने शानदार प्रदर्शन किया था, और अंतिम दिन के खेल में इंग्लैंड को ऑल आउट करके एक अविश्वसनीय जीत हासिल की थी।

लॉर्ड्स की पिच की बात करें तो इंग्लैंड के बाक़ी के मैदानों की तरह यह मैदान भी स्पिनरों के लिए कुछ ज़्यादा मददगार नहीं रही है। पिछले पांच-सात सालों में तो यहां पर तेज़ गेंदबाज़ों ने किसी भी टेस्ट के पहले सत्र में बल्लेबाज़ों को काफ़ी परेशान किया है। हालांकि मौसम पर काफ़ी कुछ निर्भर करेगा। अगर मौसम सूखा रहा तो यह पिच काफ़ी जल्दी सपाट होने लगेगी।

  • 2018 के बाद से सबसे अधिक रन: जो रूट, 971 रन (चार शतक, तीन अर्धशतक)
  • 2018 के बाद से पहली पारी का औसत स्कोर: 232.38 रन

यहां भी मामला गड़बड़ रहा है लेकिन उम्मीदें काफ़ी रहेंगी

एजबेस्टन की तरह ओल्डट्रैफ़र्ड में भी भारत ने नौ मैचों में कभी कोई टेस्ट नहीं जीता है। हालांकि यहां पांच मैच ड्रॉ रहे हैं। भारत ने यहां अपना पहला टेस्ट 1936 में खेला था, जो ड्रॉ के रूप में समाप्त हुआ था। वहीं यहां भारत ने अपना आख़िरी मैच 2014 में खेला था, जहां उन्हें एक पारी और 54 रनों से हार का सामना करना पड़ा था। अगर पिच की बात करें तो टेस्ट मैच के पहले दिन अक्सर पिच में नमी और मौसम की वजह से तेज़ गेंदबाज़ों को सीम और स्विंग ख़ूब मिलती है। अगर मौसम बादली हो तो पहली पारी में गेंदबाज़ पूरी तरह हावी हो सकते हैं, जिससे बल्लेबाज़ों को रन बनाने में चुनौती का सामना करना पड़ता है। हालांकि यहां की पिच का मिज़ाज काफ़ी जल्दी बदलता है और दूसरे दिन से यह बल्लेबाज़ों के लिए आसान होने लगती है।

  • 2018 के बाद से सबसे अधिक रन: बेन स्टोक्स, 464 रन (दो शतक, दो अर्धशतक)
  • 2018 के बाद से पहली पारी का औसत स्कोर: 337.86 रन

केनिंगटन ओवल, लंदन - इतिहास तो अक्सर यहीं बनता है

लॉर्ड्स की तरह इस मैदान पर भी भारत का रिकॉर्ड ठीक-ठाक रहा है। हालांकि इस मैदान पर भारतीय टेस्ट इतिहास की एक बुरी याद जुड़ गई है। यहीं पर भारतीय टीम को विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था।

भारत ने यहां पहला मैच 1936 में खेला था, लेकिन उन्हें इस मैदान पर पहली जीत हासिल करने में काफ़ी वक़्त लग गया। 1971 में भारतीय टीम ने यहाँ पहला मैच जीता था। इंग्लैंड में यह भारत की पहली टेस्ट सीरीज़ जीत थी। लेकिन दूसरी जीत हासिल करने में उन्हें 50 साल से ज़्यादा का समय लग गया, जिसमें रोहित शर्मा ने एक बेहतरीन शतकीय पारी खेली थी।

अगर पिच की बात करें तो भले ही यहां पहले दो दिन तेज़ गेंदबाज़ों का बोलबाला रहता है लेकिन चौथे और पांचवें दिन स्पिनर्स को मदद मिलने के आसार रहते हैं। चौथे और पांचवें दिन पिच टूटना शुरू होती है, जिससे स्पिनरों को मदद मिलती है और वे खेल में आ जाते हैं। कुल मिलाकर, यह एक संतुलित पिच है जहाँ मैच के अलग-अलग चरणों में बल्लेबाज़ों और गेंदबाज़ों दोनों के लिए अवसर होते हैं।

  • 2018 के बाद से सबसे अधिक रन: जो रूट, 404 रन (एक शतक, दो अर्धशतक)
  • 2018 के बाद से पहली पारी का औसत स्कोर: 287.43 रन

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