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पर्थ से लेकर ऐडिलेड वाया एज़बेस्टन : टेस्ट क्रिकेट में कोहली की पांच अहम पारियां

सफ़ेद जर्सी में कोहली ने कुछ बेहतरीन पारियां खेलीं, जिसमें से पांच का चयन करना बहुत ही कठिन था

रैना: कोहली की एनर्जी और जज़्बा सामने वाली टीम को डरा देता था

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इंग्लैंड दौरे से ठीक पहले विराट कोहली के संन्यास पर सुरेश रैना की प्रतिक्रिया

सोमवार को विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की और इस तरह उनका करियर 30 शतकों और 9230 रनों के साथ रूक गया। इस दौरान कोहली ने सफ़ेद जर्सी में कुछ यादग़ार पारियां खेलीं, जिसमें से ESPNcricinfo हिंदी टीम ने अपनी पांच पसंदीदा पारियों को यहां संकलित किया है।

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75 पर्थ, 2011-12 - ऑस्ट्रेलिया में एक नए अध्याय का आग़ाज़

पर्थ में कोहली की पारी ऑस्ट्रेलिया में उनके स्वर्णिम युग की शुरूआत थी  Getty Images

ना सिर्फ़ कोहली का टेस्ट करियर बल्कि उनके अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर के अहम अध्यायों का आग़ाज़ ऑस्ट्रेलिया में हुआ। संन्यास की घोषणा के बाद एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया कोहली के करियर का अहम हिस्सा बन गया। बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफ़ी 2024-25 कोहली की अंतिम टेस्ट सीरीज़ साबित हुई लेकिन इस अंत के परे कोहली के आग़ाज़ को भला कौन भूल सकता है, जब अपने पहले ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर उन्होंने पर्थ में 75 रनों की पारी खेली थी।

2011-12 की सीरीज़ में कोहली जिस बल्लेबाज़ी लाइन अप का हिस्सा थे, उसमें मध्य क्रम में सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण सरीखे अनुभवी बल्लेबाज़ थे, लिहाज़ा उनका बल्लेबाज़ी क्रम नीचे था। पहले दो टेस्ट मैचों मैचों में कोहली कुछ ख़ास प्रदर्शन नहीं कर पाए थे। सीरीज़ में बने रहने के लिए भारत को किसी भी हाल में मैच जीतना था, लेकिन एक बार फिर ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ पूरी तरह से हावी थे।

पहली पारी में अर्धशतक (44) से चूकने के बाद कोहली ने ऑस्ट्रेलिया की एक बड़ी बढ़त से पार पाने की हर संभव कोशिश की। लेकिन पांचवें विकेट के लिए द्रविड़ के साथ 84 रनों की साझेदारी के बाद कोहली को अन्य बल्लेबाज़ों का साथ नहीं मिल पाया। कोहली अंतिम विकेट के रूप में 75 रनों की पारी खेलकर आउट हो गए। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई धरती पर कोहली के करिश्मे की नींव पड़ चुकी थी। यह पारी इस मायने में भी ख़ास थी क्योंकि यह ऑस्ट्रेलियाई धरती पर कोहली का पहला अर्धशतक भी था।

इसके अगले मैच में ही कोहली ने एडिलेड में शतक भी जड़ा और अगली बार जब ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर आए तो उनकी आक्रामकता की आग शांत होने का नाम ही नहीं ले रही थी। 2014-15 की बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफ़ी में एम एस धोनी के टेस्ट से संन्यास के बाद कोहली को पूर्णकालिक टेस्ट कप्तानी भी ऑस्ट्रेलियाई सरज़मीं पर ही मिली और अगली बार (2018-19) फिर ऑस्ट्रेलिया ही कोहली की टेस्ट में भारत की अविस्मरणीय अगुवाई का गवाह बना।

116 ऐडिलेड, 2011-2012 - जब दुनिया ने पहली बार देखा कोहली का टेस्ट शतक

कोहली के पहले टेस्ट में ऋद्धिमान साहा का अहम योगदान था  Associated Press

कोहली ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत 2011 में वेस्टइंडीज़ दौरे पर की थी, लेकिन उन्हें अपना पहला टेस्ट शतक लगाने में नौ टेस्ट और तीन सीरीज़ लग गए। इस दौरे से पहले उनके नाम सिर्फ़ दो अर्धशतक थे, लेकिन इस मैच के बाद दुनिया को पता लग गया कि भारत ने एक नया स्टार पैदा कर दिया है, जो लंबे समय तक दुनिया पर राज़ करने की क्षमता रखता है।

कोहली के 2011-12 ऑस्ट्रेलिया दौरे की शुरुआत कुछ ख़ास नहीं रही थी और उन्होंने मेलबर्न और सिडनी के मैचों में क्रमशः 11, 0, 23 और 9 रनों की पारियां खेली थीं। हालांकि पर्थ के वाका टेस्ट में उन्होंने 44 और 75 की पारियां खेलकर अपनी फ़ॉर्म वापसी के संकेत दिए थे, लेकिन उनकी एक बड़ी पारी आनी बाक़ी थी।

उस समय भारत की स्थिति सीरीज़ में काफ़ी ख़राब थी। भारत सीरीज़ के तीनों मैच हार चुका था, जिसमें से पिछले दो मैचों में पारी की हार मिली थी। इसके अलावा टीम के नियमित कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी चोट के कारण इस मैच से बाहर हो चुके थे और वीरेंद्र सहवाग भारतीय सीरीज़ के आख़िरी टेस्ट में टीम की कप्तानी कर रहे थे।

सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ की उपस्थिति के कारण कोहली तब टेस्ट क्रिकेट में नंबर छह पर बल्लेबाज़ी करते थे। मैच की पहली पारी में जब वह बल्लेबाज़ी के लिए उतरे तो ऑस्ट्रेलिया के 604/7 के जवाब में भारतीय टीम 87 रन पर चार विकेट खोकर संघर्ष कर रही थी। जल्दी ही यह स्कोर 111 रन पर पांच विकेट था और गौतम गंभीर, सहवाग, तेंदुलकर, द्रविड़ और लक्ष्मण जैसे दिग्गज पवेलियन वापस लौट गए थे।

कोहली ने पहले ऋद्धिमान साहा के साथ 114 रनों की साझेदारी की, जिसमें साहा का योगदान 35 रन था। जब साहा रायन हैरिस की एक अंदर आती गेंद को छोड़ने के चक्कर में क्लीन बोल्ड हुए तो कोहली का स्कोर 91 रन था। इसके बाद कोहली के इसी स्कोर पर आर अश्विन और ज़हीर ख़ान का विकेट गिरा और लगा कि कोहली अपने पहले टेस्ट शतक से चूक जाएंगे।

लेकिन क़िस्मत को शायद यह मंज़ूर नहीं था। कोहली के बचपन के दोस्त इशांत शर्मा क्रीज़ पर आए और टिक गए। दोनों के बीच 41 गेंदों में 33 रनों की साझेदारी हुई और कोहली ने इस दौरान अपना पहला टेस्ट शतक पूरा किया।

कोहली की इस 116 रनों की पारी में 11 चौके और एक छक्का शामिल था और उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ों को दिखाया कि भारतीय टीम में एक ऐसा बल्लेबाज़ ऐसा आ गया है, जो ऑस्ट्रेलियाई टीम को उनके घर में एक दशक तक परेशान करने की क्षमता रखता है।

- दया सागर

115 और 141, ऐडिलेड 2014-15 - जब हार के बीच खड़ा हुआ था एक नायक

कोहली ने ऐडिलेड की दोनों पारियों में शतक लगाया  Getty Images

2014 के अंत में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर थी। महेंद्र सिंह धोनी टेस्ट टीम के कप्तान थे, लेकिन पहले टेस्ट में चोट के कारण बाहर हो गए। कप्तानी की ज़िम्मेदारी कोहली को सौंपी गई, यह पहली बार था जब वह टेस्ट में कप्तानी करने वाले थे। इस सीरीज़ से ठीक पहले भारतीय टीम को इंग्लैंड ने अपने घर पर बुरी तरह से मात दी थी।

कुल मिलाकर टीम एक ऐसी लय में थी, जहां खिलाड़ियों का आत्मविश्वास डगमगाने की पूरी आशंका थी। लेकिन एक हारे हुए मैच में एक युवा कप्तान ने दो ऐसी पारियां खेलीं, जिन्होंने यह तय कर दिया कि आने वाले वर्षों में भारतीय टीम किस दिशा में आगे बढ़ेगी।

ऑस्ट्रेलिया के लिए भी यह सीरीज़ आसान नहीं थी। फिल ह्यूज़ के देहांत के बाद कप्तान माइकल क्लार्क की टीम एक गहरे सदमे से गुजर रही थी और वे इस सीरीज़ को जीतकर ह्यूज़ को श्रद्धांजलि देना चाहते थे। ऐसे माहौल में एडिलेड टेस्ट हुआ। ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 517 रन ठोक दिए। जवाब में कोहली ने कप्तान के तौर पर पहली पारी में शानदार 115 रन जड़े और भारत को मैच में बनाए रखा।

चौथी पारी में भारत को 364 रन का लक्ष्य मिला। सबको लगा भारत ड्रा खेलेगा, लेकिन कोहली ने 141 रन ठोकते हुए मैच जीतने की कोशिश की। भले ही टीम हार गई, लेकिन भारत को एक ऐसा कप्तान मिल गया था, जो आक्रामक, निर्भीक और भविष्य के लिए एक ऐसा रास्ता तैयार करने को आतुर था, जो टेस्ट क्रिकेट में भारत को एक अलग स्तर पर लेकर जाए।

- राजन राज

149, एज़बेस्‍टन, 2018 - इंग्लैंड में कोहली का जलवा

कोहली का इंग्लैंड में पहला शतक उनके टेस्ट करियर के सात सालों के बाद आया  Getty Images

कोहली इंग्लैंड के अपने पहले दौरे पर बुरी तरह से विफल हुए थे। लेकिन इस बार जब कोहली इंग्‍लैंड के दौरे पर पहुंचे तो वह अपनी फ़ॉर्म के चरम पर थे। 2018 के दौरे पर अब हर किसी की निगाहें कोहली पर थी। पहले टेस्‍ट की पहली पारी में इंग्‍लैंड 287 रन बना चुका था। कोहली दूसरे छोर पर विकेटों को गिरते हुए देख रहे थे। स्‍कोर एक समय पांच विकेट पर 100 रन था।

कोहली ने शुरुआत में संयम बरता। एंडरसन की स्विंग होती गेंदों पर कोई जोखिम नहीं लिया। कोहली एक साधक की तरह एक मिशन पर थे, जहां पर केवल उनके सामने आती गेंदें थी, ज‍िनको वह अपने मनमुताबिक़ खेल रहे थे। शतक पूरा हुआ तो दूसरे छोर पर विकेट कम बचे थे। उन्‍होंने तब आक्रामक रूख़ अपनाया।

उनकी यह 149 रनों की बेहतरीन पारी इस बात का सबूत है कि पारी का 10वां विकेट उनका था। कोहली इंग्‍लैंड में अपना पहला शतक लगा चुके थे और साबित किया कि वह इस बार पूरी तैयारी के साथ यहां पर आए हैं। उनकी इस पारी की वजह से इंग्‍लैंड केवल 13 रन की बढ़त ले सका था और दूसरी पारी में अर्धशतक लगा चुके कोहली अगर थोड़ी देर और टिक जाते तो भारत को 31 रनों से यह हार नहीं मिलती।

- निखिल शर्मा

123, पर्थ, 2018-19 - ऑस्ट्रेलिया में कोहली का जलवा जारी

पर्थ में कोहली ने अपने आलोचकों को जवाब दिया था  Getty Images

2018-19 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी में भारत ने पहला टेस्ट एडिलेड में जीत लिया था। दूसरा टेस्ट पर्थ की नई और तेज़ पिच पर था, जहां ऑस्ट्रेलिया की वापसी की उम्मीदें ज़ोरों पर थीं। ऐसे मुश्किल हालात में विराट कोहली ने एक ऐसी पारी खेली जिसे तकनीक, धैर्य और जज़्बे का अद्भुत संगम कहा जा सकता है।

ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 326 रन बनाए थे। जवाब में भारत का टॉप ऑर्डर लड़खड़ा गया। उछाल और गति भरी पिच पर कोहली ने मोर्चा संभाला और शानदार 123 रन बनाए। उन्होंने मुरली विजय और रहाणे के साथ अहम साझेदारियां कीं और भारत को मैच में बनाए रखा।

हालांकि भारत यह टेस्ट हार गया, लेकिन कोहली की यह पारी ऑस्ट्रेलियाई ज़मीन पर उनके तकनीकी परिपक्वता और जुझारूपन का जीता-जागता उदाहरण थी। यह शतक सिर्फ़ स्कोरबुक में दर्ज आंकड़ा नहीं था, बल्कि एक ऐसी लड़ाई थी, जिसमें कप्तान ने अकेले मोर्चा संभाल रखा था।

- नीरज पांडे

Virat KohliIndia