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इंडिया ए के लिए डेब्यू पर मुकेश का कमाल

28 वर्षीय तेज़ गेंदबाज़ ने न्यूज़ीलैंड को तीन झटके देकर बैकफ़ुट पर धकेला

इंडिया ए डेब्यू पर मुकेश कुमार ने तीन विकेट अपने नाम किए  PTI

न्यूज़ीलैंड ए के ख़िलाफ़ टॉस हारकर जब इंडिया ए ने पहले गेंदबाज़ी करना शुरू किया तो सबकी निगाहें बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ों यश दयाल और अरज़ान नगवासवाला पर थी। कारण साफ़ था - दोनों युवा हैं, एक अलग कोण (बाएं हाथ से) तेज़ और सटीक गेंदबाज़ी करते हैं, एक का गुजरात टाइटंस के साथ आईपीएल सीज़न बहुत अच्छा गया है और दूसरा पिछले कुछ सालों से लगातार इंडिया-ए की सेटअप में है।

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लेकिन इन दोनों के विपरीत अंत में महफ़िल लूटी बंगाल के 28 वर्षीय तेज़ गेंदबाज़ मुकेश कुमार ने, जो पहली बार इंडिया-ए के लिए कोई मुक़ाबला खेल रहे थे। उन्हें इस ख़ास मौक़े पर इंडिया-ए की कैप टीम के गेंदबाज़ी कोच साईराज बहुतुले ने दी, जो मुकेश के रणजी डेब्यू (2015) के समय बंगाल टीम के कोच थे।

बादलों की लुका-छिपी के बीच, बारिश से प्रभावित पहले दिन के खेल में मुकेश ने 13 ओवर करते हुए 4 मेडेन ओवरों के साथ सिर्फ़ 39 रन दिए और तीन महत्वपूर्ण विकेट झटके। उनके इस प्रदर्शन की बदौलत न्यूज़ीलैंड ए की टीम पहले दिन 156 रन पर पांच विकेट खोकर संघर्ष कर रही है।

मुकेश की गेंदबाज़ी में तेज़ी, पैनापन और अनुभव का मिश्रण साफ़ दिख रहा था और वह अन्य गेंदबाज़ों की तुलना में लगातार बल्लेबाज़ को गेंद खेलने पर मजबूर कर रहे थे, जैसा कि उन्होंने दिन के खेल के बाद पत्रकार वार्ता में भी कहा।

2019-20 रणजी ट्रॉफ़ी सीज़न में मुकेश कुमार ने बंगाल के लिए बढ़िया प्रदर्शन किया था  PTI

अपनी गेंदबाज़ी पर बात करते हुए दाएं हाथ के इस गेंदबाज़ ने कहा, "मेरी योजना ही थी कि मैं किस तरह से बल्लेबाज़ को अधिक से अधिक गेंद खिलाऊं। मैंने पहले ही वीडियो एनालिसिस में देख लिया था कि न्यूज़ीलैंड के ये बल्लेबाज़ अधिकतर पुल या कट शॉट खेलना पसंद करते हैं। इस बारे में मैंने अपने गेंदबाज़ी कोच से भी बात की थी।

"मुझे पता था कि भारतीय पिचों पर गेंद ना इतनी तेज़ आती है और ना ही इतना उछाल मिलता है कि कट या पुल खेलने में आसानी हो। इसलिए मेरी कोशिश थी कि मैं गेंद को जितना आगे रखकर उन्हें खेलने के लिए मजबूर कर सकूं। अगर मैं ओवर में छह गेंद डाल रहा था तो उसमें चार या पांच गेंद आगे रखने की कोशिश कर रहा था ताकि बल्लेबाज़ उसे छोड़ने की बजाय खेलने के लिए जाए।"

पिछले तीन रणजी सीज़न में 25 से कम की शानदार औसत पर लगातार 20 से अधिक विकेट लेने वाले इस गेंदबाज़ ने दिन के पांचवें ओवर में ही न्यूज़ीलैंड के सलामी बल्लेबाज़ चैड बॉवेस को एक बाउंसर पर चलता किया। बॉवेस शरीर पर आई इस बाउंसर को पुल करने के गए लेकिन सिर्फ़ बल्ले का ऊपरी किनारा ही लगा सके। पहले स्लिप से शॉर्ट फ़ाइन लेग की ओर दौड़कर ऋतुराज गायकवाड़ ने उनका शानदार कैच लपका।

इसके बाद उन्होंने लंच से आते हुए विपक्षी कप्तान रॉबर्ट ओडॉनेल और कैमरन फ़्लेचर को अंदर आती गुड लेंथ गेंदों पर पवेलियन भेजा। हालांकि मुकेश ख़ुद को श्रेय देने की बजाय इसमें भगवान का हाथ मानते हैं।

उन्होंने कहा, "मैं नैसर्गिक रूप से आउट स्विंग ही डालता हूं लेकिन यह ऊपर वाले का मेरे ऊपर करम है कि कुछ-कुछ गेंदें पड़कर अंदर आती हैं और वही गेंदें मुझे विकेट दिला देती हैं। आज जो मुझे अंतिम विकेट मिला, उस गेंद को मैंने बाहर निकालने की कोशिश की थी लेकिन वह पड़कर अंदर आई और मुझे विकेट दे गई।"

बिहार के गोपालगंज के मूल निवासी मुकेश 20 साल की उम्र तक पेशेवर क्रिकेट नहीं खेले थे। कोलकाता में रहकर टैक्सी चलाने वाले उनके ड्राइवर पिता ने उन्हें साथ कमाने के लिए बुलाया था, जहां से मुकेश की क़िस्मत ही पलट गई। वह अपना रोज का जीवन-यापन करने के लिए कोलकाता में क्लब क्रिकेट खेलने लगे, फिर 2014 में क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ बंगाल (सीएबी) द्वारा चलाए गए 'विज़न 2020' के ट्रायल्स में हिस्सा लिया और अब वह सिर्फ़ बंगाल ही नहीं भारत के अग्रणी तेज़ गेंदबाज़ों में से एक हैं।

अपनी इस यात्रा के बारे में मुकेश बहुत ही विनम्र हैं। वह कहते हैं, "मेरी जैसी कहानियां बहुत लोगों की होंगी। सबकी अपनी-अपनी और अलग-अलग कहानियां होती हैं। मेरा लक्ष्य है कि मुझे भारत के लिए खेलना है और इसके लिए मैं अपनी तरफ़ से अपना सौ फ़ीसदी दे रहा हूं।"

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दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं। @dayasagar95