ऑस्ट्रेलिया के लिए भारत 'परम चुनौती': मैकग्रा
पूर्व ऑस्ट्रेलियाई तेज़ गेंदबाज़ का मानना है 'बैज़बॉल' के सामने गेंदबाज़ों को अपनी योजना पर टिके रहना ज़रूरी

पूर्व ऑस्ट्रेलियाई तेज़ गेंदबाज़ ग्लेन मैकग्रा का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया के लिए भारत में टेस्ट सीरीज़ जीतना "परम चुनौती" है। अगले साल की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया भारत में चार टेस्ट खेलने आएगा और उसी वर्ष लॉर्ड्स में होने वाले विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के लिहाज़ से यह एक बहुमूल्य श्रृंखला होगी। ऑस्ट्रेलिया ने 2004 के बाद भारत को भारत में किसी सीरीज़ में नहीं हराया है और मैकग्रा उस टीम का अहम हिस्सा थे।
मैकग्रा ने 'क्रिकेट डॉट कॉम' पर कहा, "ऑस्ट्रेलिया के लिए भारत में आकर इन परिस्थितियों में अच्छा खेलना और सीरीज़ जीतना एक बड़ी चुनौती है। 2004 में हम भाग्यशाली थे कि हम ऐसा कर पाए थे। आपको टर्न भरी पिचों पर बल्लेबाज़ी करनी पड़ती है और गेंदबाज़ों को भी इन परिस्थितियों के हिसाब से गेम बदलना पड़ता है। आजकल आईपीएल के चलते लगभग सभी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी यहां आते है और खेलने के आदी हो चुके हैं। श्रीलंका और पाकिस्तान में खेलकर ऑस्ट्रेलिया ने दिखाया है वह उपमहाद्वीप में खेल सकते हैं लेकिन भारत परम चुनौती है।"
ऑस्ट्रेलिया ने इसी साल पाकिस्तान में तीन टेस्ट की सीरीज़ 1-0 से जीता और श्रीलंका में पहली टेस्ट जीतने के बाद डेब्यू कर रहे प्रभात जयसूर्या की फिरकी के चलते दूसरा और अंतिम टेस्ट हारे थे। वर्तमान विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में साउथ अफ़्रीका और ऑस्ट्रेलिया शीर्ष के दो स्थानों पर हैं और श्रीलंका, भारत और पाकिस्तान तीनों उनसे काफ़ी पीछे हैं।
हालांकि साउथ अफ़्रीका के इंग्लैंड दौरे के बाद इसमें कुछ फेरबदल देखने को मिल सकती है। नए कोच ब्रेंडन मक्कलम के आने के बाद इंग्लैंड लगातार चार टेस्ट मैच चौथी पारी में बड़े स्कोर का पीछा करते हुए जीता है। 'बैज़बॉल' से प्रचलित उनकी शैली पर भी मैकग्रा ने अपनी प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा, "अगर बल्लेबाज़ हर समय तेज़ी से रन बनाने और गेंदबाज़ों को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं तो ज़ाहिर है विकेट लेने के मौक़े भी बढ़ जाते हैं। बतौर गेंदबाज़, यह ज़रूरी हो जाता है कि आप अपनी प्लान और फ़ील्ड के हिसाब से गेंदबाज़ी करें। इंग्लैंड ने इस नीति की शानदार शुरुआत की है और चार टेस्ट मैचों में सही मंशा दिखाते हुए चौथी पारी में बड़े लक्ष्य का पीछा किया है।
उन्होंने आगे कहा, "ऐसा हर बार नहीं होगा। अगर ऐसा करते हुए उनके शुरुआती विकेट जल्दी गिरें तो देखना दिलचस्प होगा वह क्या करते हैं। मुझे ऐसे खिलाड़ी अच्छे लगते हैं जो आत्मविश्वास के साथ अपनी प्लान पर टिके रहते हैं, फिर चाहे बल्ले से या गेंद से। गेंदबाज़ों को भी आत्याक्रमक बल्लेबाज़ों के ख़िलाफ़ खेलना सीखना पड़ता है।"
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