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टीम इंडिया में चयन के बाद भावुक हुआ मुकेश कुमार का परिवार

टीम के व्हॉट्सऐप ग्रुप में ऐड होने पर तेज़ गेंदबाज़ को चयन का पता चला

न्यूज़ीलैंड 'ए' के ​​ख़िलाफ़ पहले टेस्ट में पांच विकेट और ईरानी कप के पहले दिन चार विकेट ने भारतीय टीम में मुकेश की राह को आसान किया  Mallikarjuna/KSCA

बंगाल के तेज़ गेंदबाज़ मुकेश कुमार को भारतीय वनडे टीम में अपने चयन का पता तब चला जब उन्हें टीम के व्हॉट्सऐप ग्रुप में जोड़ा गया।

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राजकोट में रेस्ट ऑफ़ इंडिया के साथ ईरानी ट्रॉफ़ी का मैच खेल रहे मुकेश ने पीटीआई को बताया, "मैं बहुत भावुक हो गया। सबकुछ धुंधला नज़र आ रहा था। मुझे सिर्फ़ अपने स्वर्गवासी पिता काशी नाथ सिंह का चेहरा याद आ रहा था। जब तक मैंने बंगाल के लिए रणजी ट्रॉफ़ी नहीं खेल ली, तब तक मेरे पिता को नहीं लगता था कि मैं पेशेवर रूप से कुछ अच्छा करने लायक हूं। उनको शक़ था कि मैं क़ाबिल हूं भी या नहीं।"

मुकेश ने अपने पिता को पिछले सीज़न (2019-20) के रणजी फ़ाइनल से पहले खो दिया था। वह सुबह में ट्रेनिंग लेते और फिर अस्पताल में भर्ती अपने पिता के पास समय बिताते।

बिहार के गोपालगंज ज़िले के रहने वाले मुकेश के पिता चाहते थे कि वह सरकारी नौकरी करें। पिता की ख़्वाहिश पूरी करने के लिए उन्होंने डिग्री के बाद तीन बार सीआरपीएफ़ की परीक्षा दी। उन्होंने कहा, "आज मेरी मां की आंखों में आंसू आ गए थे। वह बहुत भावुक थीं। घर में सब रोने लगे थे।"

मुकेश सीआरपीएफ़ में तो नहीं जा सके लेकिन प्रथम श्रेणी क्रिकेटर होने के नाते अब वह सीएजी (नियंत्रक और महालेखा परीक्षक कार्यालय) में कार्यरत हैं। वह बंगाल के सबसे निरंतर नई गेंद के गेंदबाज़ रहे हैं। न्यूज़ीलैंड 'ए' के ​​ख़िलाफ़ पहले टेस्ट में पांच विकेट और ईरानी कप के पहले दिन चार विकेट ने भारतीय टीम में उनकी राह को आसान किया।

क्या वह अपनी गेंद को दोनों ओर स्विंग कराने की अपनी क्षमता को ईश्वर का उपहार कहेंगे? 28 साल के इस खिलाड़ी ने कहा, "आपके हाथों की कलाकारी भागवान की देन है, लेकिन उनके दिए हुए आशीर्वाद पर मेहनत नहीं करोगे तो कुछ नहीं होगा।"

मुकेश लिए भारतीय ड्रेसिंग रूम में प्रवेश करने का मौक़ा जितना संभव हो उतना सीखने का अवसर है। उन्होंने कहा, "जीवन सब कुछ सीखने के बारे में है और यह कभी नहीं रुकता। मेरी कोशिश होगी कि जब तक मैं क्रिकेट खेलूं तब तक मैं सीखना बंद न करूं।"

इंडिया ए के कोच वीवीएस लक्ष्मण, जो कुछ सीज़न पहले बंगाल के मेंटॉर भी थे, उन्होंने मुकेश को एक सलाह दी जिसने हाल के मैचों में अद्भुत काम किया। मुकेश ने कहा, "लक्ष्मण सर ने मुझसे कहा कि मुकेश तुम बंगाल के लिए जिस भी लेंथ पर गेंदबाज़ी करो या बल्लेबाज़ों को जैसे भी सेट करो, बस वह लगातार करते रहो। मैंने सिर्फ़ उनके निर्देश का पालन किया।"

मुकेश ने अधिकांश सफलता लाल गेंद से हासिल की है (31* प्रथम श्रेणी मैचों में 113 विकेट*), उन्होंने लिस्ट ए में 18 मैचों में 5.25 की इकॉनमी से 17 विकेट झटके हैं। यह पूछे जाने पर कि लाल एसजी टेस्ट गेंद के बाद सफ़ेद कूकाबुरा गेंद से गेंदाबाज़ी करने पर क्या उन्हें बदलाव करने की आवश्यकता होगी, मुकेश ने कहा, "मूल बातें वही रहती हैं। सफ़ेद कूकाबुरा गेंद को भी आपको शीर्ष क्रम बल्लेबाज़ों को आगे डालने की ज़रूरत है और गेंद पुरानी होने पर हार्ड लेंथ और कटर गेंद डालने की ज़रूरत है।"

वह हाल के दिनों में उन गिने-चुने क्रिकेटरों में से एक हैं जिन्होंने आईपीएल खेले बिना भारतीय सफ़ेद गेंद टीम में जगह बनाई है। मुकेश से पूछा गया कि अगर वह डेब्यू करेंगे तो क्या उनकी माताजी उन्हें देखने आएंगी? मुकेश ने उत्तर देते हुए कहा, "मुझे ग्राउंड से देखने से ज़्यादा मेरी मम्मी मुझे क़ामयाब देखना पसंद करेंगी।"

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