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नसीम शाह, ऐसा लड़का जो एक दिन दुनिया पर राज करेगा

पाकिस्‍तान के उभरते तेज़ गेंदबाज़ की ज़िंदगी पर एक नज़र

19 वर्षीय नसीम शाह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ चुके हैं  AFP/Getty Images

नसीम शाह क्रिकेट के मैदान पर जो कुछ भी करते हैं उसमें जोश भर देने वाली ऊर्जा होती है। यदि उनके बाउंसरों ने विराट कोहली को चौंकाया, तो उनके सीम मूवमेंट में केएल राहुल फंस गए और उन्‍होंने इमरान ताहिर की तरह जश्‍न मनाया।

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जब नसीम दौड़ते हैं तो सभी रुक जाते हैं और उनको देखते हैं, चाहे बात ट्रेनिंग की हो या प्रेस बॉक्‍स की। यहां तक की डाइनिंग रूम में भी सभी अपनी चम्‍मचें नीचे रख देते हैं और उनको देखते रहते हैं। रविवार को उन्‍होंने पहली ही गेंद पर राहुल को बोल्‍ड किया और फिर कोहली का स्‍वागत एक बाउंसर के साथ किया और इसके बाद वह बस हंस दिए। सभी की निगाहें उन पर थी, यहां तक कि उन प्राइवेट सुरक्षा कर्मचारी की भी जिनका काम दर्शकों को संभालना था।

इतनी आक्रामकता के बाद भी नसीम में एक युवा लड़के वाला चार्म हैं, वह बस खेल के हर पहलू का लुत्‍फ़ उठाना चाहते हैं, वह पूरे दिल से गेंदबाज़ी करना पसंद करते हैं। यहां तक की दो घंटे के व्‍यस्‍त सेशन में भी जब भी उनके हाथ में गेंद होती है, वह अपना 100 प्रतिशत देना चाहते हैं, यह जानते हुए भी कि सामने वाला बल्‍लेबाज़ उनका साथी है।

नसीम हंसते हुए खेलते हैं, उनके अंदर गेंदबाज़ों वाली वह आक्रामकता नहीं है। अगर आप उनकी ज़िंदगी में झांकेंगे,वह केवल 19 साल के हैं, तो आप जानेंगे कि क्रिकेट उनके लिए क्‍या मायने रखता है। उन्‍होंने गरीबी को देखा है। उन्‍होंने अपनी मां को खोया है। वह सभी चुनौतियों से अनुभव लेकर आगे निकल रहे हैं। यह सब उनके सपनों को खोजने की वजह से है। एक सपना जो कभी ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा में लोअर दीर में अपने गृहनगर में वास्तविकता से दूर लग रहा था, लेकिन अब और नहीं।

नसीम ने मैदान पर लगे कुछ गंभीर झटकों को भी पार कर लिया है। जैसे उनकी पीठ पर कई स्ट्रेस फ़्रैक्चर, जिसके कारण उन्हें नेट या ज़मीन की तुलना में अस्पताल के बिस्तरों पर पीईटी स्‍कैन और रिपोर्ट को देखते हुए अधिक समय बिताना पड़ा, लेकिन चिंता अभी है क्‍योंकि इस साल की शुरुआत में ही उनके कंधे में परेशानी आई थी।

फ़रवरी 2020 में 16 वर्षीय नसीम ने बांग्लादेश के विरुद्ध टेस्ट हैट्रिक ली थी  Associated Press

इन चोटों के बावजूद उन्‍होंने अपनी ख़तरनाक गति, स्विंग और सीम के साथ बल्‍लेबाज़ी क्रम को ढहाया है। वह टेस्‍ट क्रिकेट में हैट्रिक लेने वाले सबसे युवा गेंदबाज़ हैं। उन्‍होंने इंग्‍लैंड, वेस्‍टइंडीज़, ऑस्‍ट्रेलिया, न्‍यूज़ीलैंड, श्रीलंका में खेला और अब यूएई में एशिया कप में खेल रहे हैं। जिस ऑस्‍ट्रेलिया में उन्‍होंने अपने टेस्‍ट करियर की शुरुआत की थी, उम्‍मीद है कि वह इसी देश में आने वाले समय में अपना पहला टी20 विश्‍व कप खेलेंगे।

बिल्‍कुल भी बुरा नहीं है, है ना। एक ऐसे गेंदबाज़ के लिए जिसके पास चार साल पहले दो जोड़ी जूते भी नहीं थे। वह नहीं जानते थे कि लेदर गेंद क्‍या होती है या क्‍या सीम पोज़िशन होती है। वह बस तेज़ से तेज़ गेंद करना चाहते थे, वह इसमें कोई समझौता नहीं करना चाहते थे।

पाकिस्‍तान के पूर्व ओपनर मुदस्‍सर नज़र को आज भी उनका पदार्पण सीज़न और वह ख़तरनाक स्‍पेल याद है। नज़र पीसीबी में डायरेक्‍टर ऑफ़ अकादमी थे और वह युवा क्रिकेटरों के कौशल को पहचाकर उनको लाहौर स्थित राष्‍ट्रीय क्रिकेट अकादमी तक पहुंचाते थे।

मुदस्‍सर ने ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो से बातचीत में बताया, "उनके पहले प्रथम श्रेणी सीज़न में, मुझे याद है जहां नसीम एक पुछल्‍ले बल्‍लेबाज़ को गेंदबाज़ी कर रहे थे। आप देख सकते थे कि वह नसीम का सामना करते हुए डर रहा था। वह तीनों स्‍टंप्‍स को खोल देता था, यह नसीम के लिए पारी को समाप्‍त कर देने का निमंत्रण था, लेकिन वह लगातार शॉर्ट गेंद डालते रहें, वह उस समय ही बहुत आक्रामक थे। इसके बाद हमने उन्‍हें बैठाया और कहा कि भाई इस तरह से गेंदबाज़ी नहीं की जाती है, आपका पहला लक्ष्‍य बल्‍लेबाज़ों को आउट करने का होना चाहिए (हंसते हुए)।"

एनसीए की दीवारें अब्‍दुल क़ादिर अकादमी से सटी हुई हैं, जहां नसीम ने 15 साल की उम्र में पहली बार पेशेवर ट्रेनिंग करना शुरू किया था। वह अपने चाचा के यहां आकर रहने लगे और अकादमी के लिए साइकिल से लंबा सफ़र तय करते थे। अकादमी में उनके पहले ही दिन उन्‍हें पुरानी गेंद थमा दी गई। दो ओवर बाद उनको नई गेंद मिली और उन्‍होंने इसको लेने से मना नहीं किया। वह ख़ास था। सौद ख़ान, जो अकादमी में कौशल को निखारते थे वह उनके पहले कोच थे और अब्‍दुल क़ादिर के बेटे सुलेमान क़ादिर उनके मेंटॉर थे।

नवंबर 2019 में नसीम ने टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया  Getty Images

पहले छह महीनों तक नसीम का रूटीन कुछ इस तरह से था - ट्रेनिंग के लिए साइकिल से आना, चार घंटे गेंदबाज़ी करना, घर लौटना और ख़ाना खाना और शाम को यही सब दोबारा से करना। यह कुछ लोगों के लिए रोबोट की तरह काम करना हो सकता था लेकिन नसीम के लिए वह सब था जो वह करना चाहते थे। एक बार जब यह बात फैल गई कि यह विशेष लड़का है जो चमत्कार कर सकता है, तो उन्‍हें तुरंत पीसीबी अकादमी में कई आयु-समूह शिविरों में से एक में शामिल किया गया।

यह वह समय था जब मुदस्‍सर दुबई से वापस पाकिस्‍तान लौटे थे, क्‍योंकि उससे पहले वह आईसीसी अकादमी में क्रिकेट विकास के प्रमुख थे। पाकिस्‍तान के लिए 76 टेस्‍ट और 122 वनडे खेलने वाले मुदस्‍सर 2009 से इस पद पर थे लेकिन जब पीसीबी के चेयरमैन शहरयार ख़ान ने उन्‍हें यह ऑफ़र दिया तो वह इसको ठुकरा नहीं सके।

मुदस्‍सर का पहला काम अंडर-16 स्‍तर के ऐसे खिलाड़ियों को पहचानना था जो 2017 में क्रिकेट ऑस्‍ट्रेलिया के साथ एक्‍सचेंज़ कार्यक्रम में पीसीबी के लिए चुने जा सकें। नसीम उस सूची में थे। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में बाउंसरों से पुछल्‍ले बल्‍लेबाज़ों को परेशान करने से पहले ही मुदस्‍सर, नसीम के कौशल से रूबरू हो गए थे।

मुदस्‍सर ने कहा, "मेरा पहला प्रभाव यह था कि वह तेज़ गेंदबाज़ी कर सकते थे और वह तेज़ थे, लेकिन और तेज़ हो सकते थे। हालांकि उनके पास एक ऐसा गेंदबाज़ी एक्‍शन था, जिससे उनकी कमर पर ज़्यादा दबाव पड़ता था। यह अधिक क्रिकेट खेलने की वजह से और भी ख़तरनाक हो गया था। उन्‍होंने एनसीए में गेंदबाज़ी की, इसके बाद अगले स्‍तर पर लगातार गेंदबाज़ी की और उनको पता ही नहीं चला कि इसका उन पर क्‍या प्रभाव पड़ रहा है।"

2017 के अंत में उनको पहली बार स्‍ट्रेस फ़्रैक्‍चर हुआ और उनको रिहैब में सात महीने बिताने पड़े। उन्‍होंने कहा "उन्‍होंने चोट की ख़बर को मुझसे अच्‍छे से संभाला या कह सकते हैं कि किसी अन्‍य बच्‍चे से अच्‍छी तरह से, लेकिन डिप्रेशन तो था ही, लेकिन वह तैयार थे। वह रोज़ सुबह आते थे और कहते थे सर, मुझे खेलना है। कोच के तौर पर हमारा काम यही होता था कि हम उनको समझाएं कि अभी उनको ख़ुद पर ध्‍यान देने की ज़रूरत है।"

मुदस्सर नज़र ने पाकिस्तान के लिए 76 टेस्ट और 122 वनडे मुक़ाबले खेले  Getty Images

मुदस्सर ने कोचिंग उत्कृष्टता की ख़ोज में बायोमेकैनिक्स और चोट प्रबंधन के बारे में कई पाठ्यक्रम शुरू किए हैं। एक जटिल मुद्दे को आम आदमी के शब्दों में समझाने की उनकी क्षमता चीज़ों को परिप्रेक्ष्य में रखने में मदद करती है।

उन्‍होंने कहा, "नसीम का एक्‍शन साइड ऑन है और उनका अगला पैर शरीर के साथ आगे गिरने की जगह अलग भागता है। वह इसके साथ सिर की स्थिति जब लेते हैं तो उनकी सारी ऊर्जा पिच की ओर जाने की जगह गली की ओर जाती है जिससे उनकी पीठ पर अधिक तनाव पड़ा।"

"उन्‍हें गेंदबाज़ी का इतना शौक़ है कि आप उनको रोके नहीं रख सकते। अपनी मांसपेशियों में सामांजस्‍य बैठाने के लिए आपको अपने मस्तिष्क से संदेश मिलता है, लेकिन क्‍योंकि युवा लड़के खेलने के इच्‍छुक होते हैं तो उनके लिए पुरानी आदतों में लौटना आसान होता है। हमें छह महीने तक नसीम को क़ाबू में रखना था। और इंच दर इंच हमने उनके सामने वाले हाथ को पार करने पर काम किया। केवल जब हम पूरी तरह से संतुष्ट हो गए कि वह ऐसा करने में सक्षम थे तो ही हमने उन्‍हें खेलने दिया।"

दो महीने में ही फ़िट होने के बाद नसीम क़ैद-ए-आज़म ट्रॉफ़ी में लाहौर ब्‍लूज़ के ख़िलाफ़ खेल रहे थे। एक साल के अंदर ही वह ऑस्‍ट्रेलिया में थे और अपना टेस्‍ट पदार्पण कर रहे थे। तब आपको महसूस हुआ कि वह कितने अच्‍छे हैं। उन्‍हें अंडर-19 या ए टीम क्रिकेट खेलने की ज़रूरत नहीं पड़ी। वह इन सभी को पार करते हुए सीधा सीनियर टीम में खेले।

मुदस्‍सर ने कहा, "यह लड़का अपनी आक्रामकता और गति से बल्‍लेबाज़ों को आउट करना चाहता था, उनके लिए सबसे ज़्यादा अहम यह समझना था कि कैसे हर बल्‍लेबाज़ को गेंदबाज़ी की जाती है, कैसे अलग-अलग पिचों पर गेंदबाज़ी की जाती है और कैसे उनको आउट किया जाता है। उन्‍होंने धीरे-धीरे ज़्यादा मैच खेलने शुरू किए और यही वजह थी कि वह 2020 अंडर-19 विश्‍व कप के लिए दावेदारी पेश कर रहे थे। हालांकि हम सभी जानते थे कि वह उस वक़्त उस स्‍तर से बेहद आगे थे।"

2019 में नसीम ने ब्रिस्‍बेन में ऑस्‍ट्रेलिया के ख़िलाफ़ टेस्‍ट में पदार्पण किया और एक ही सप्‍ताह बाद उन्‍हें अपनी मां की मृत्‍यु की ख़बर मिली। उन्‍होंने टीम के साथ ही रहने का निर्णय लिया, जो उनकी मानसिक मज़बूती को दिखाता है।

पदार्पण से अब तक वह पाकिस्‍तान टीम के लिए लगातार खेल रहे हैं और कुछ ही दिनों पहले उन्‍होंने टी20 अंतर्राष्‍ट्रीय में पदार्पण किया है। ऐसा लग रहा है कि वह टी20 विश्‍व कप टीम में भी होंगे।

गति, स्विंग और आक्रामकता इन सभी तोहफ़ों के बाद भी नसीम को बेहतर बनने की ज़रूरत है। मुदस्‍सर ने कहा, "मैं अभी भी उनको क्रीज़ का इस्‍तेमाल करते नहीं देखता हूं, लेकिन जैसे ही वह अधिक गेंदबाज़ी करेंगे तो बेहतर होते जाएंगे। मैं आशा करता हूं कि वह फ़िट रहें। इस लड़के का उपनाम शाह है, जिसका मतलब उर्दू में शहशांह होता है जो एक दिन दुनिया पर राज करेगा।"

Naseem ShahMudassar NazarPakistanIndia vs PakistanMen's T20 Asia Cup

शशांक किशोर ESPNcricinfo के सीनियर सब एडिटर हैं।