महिला टी20 विश्व कप : शेफ़ाली और ऋचा ने दिखाया भारतीय महिला टीम का उज्ज्वल भविष्य
दोनों युवा बल्लेबाज़ों ने वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ विपरीत परिस्थितियों में शानदार पारियां खेली

वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ सिर्फ़ 119 रन का पीछा करने उतरी भारतीय टीम को उनकी सलामी बल्लेबाज़ शेफ़ाली वर्मा ने शानदार शुरुआत दिलाई। शमिला कॉनेल की पहली वैध गेंद पर उन्होंने चौका जड़ा। ऑफ़ स्टंप से बाहर की रूम वाली छोटी गेंद पर शेफ़ाली क्रीज़ के भीतर ही रहीं। उन्होंने गेंद का इंतज़ार किया और अपनी पूरी ताक़त से उसे बैकवर्ड प्वाइंट के बगल से स्क्वेयर बाउंड्री पर भेज दिया। अगली गेंद पर फिर से उन्होंने ऐसा किया, जो ऑफ़ स्टंप से और ज़्यादा बाहर थी। ओवर के अंत तक शेफ़ाली के ख़ाते में तीन चौके और भारत के स्कोरबोर्ड पर 14 रन थे। वह भी तब, जब भारत को छह से भी कम के रनरेट से रन बनाने थे।
चौथे ओवर तक शेफ़ाली की साथी स्मृति मांधना पवेलियन में थीं। लेकिन इसका कोई असर शेफ़ाली की बल्लेबाज़ी पर नहीं पड़ा। उन्होंने विकेट लेने वाली करिश्मा रामहैरक के अगले ओवर में लांग ऑन और डीपमिडविकेट को चीरते हुए चौका लगाया और पावरप्ले को 41 रन पर दो विकेट के स्कोर पर समाप्त किया। इस दौरान जेमिमाह रॉड्रिग्स भी पवेलियन लौट चुकी थीं। हालांकि करिश्मा के अगले ओवर में ही शेफ़ाली भी हवाई स्वीप खेलने के चक्कर में लांग लेग पर कैच दे बैठीं, लेकिन तब तक वह भारत को अच्छी और तेज़ शुरुआत दे चुकी थीं।
शेफ़ाली का विकेट गिरने के बाद उनकी अंडर-19 विश्व कप की एक और सहयोगी ऋचा घोष क्रीज़ पर आईं। उनको दूसरे छोर पर अपने कप्तान हरमनप्रीत कौर का भी बेहतर सहयोग मिला। ऋचा ने पहले स्ट्राइक रोटेट किया, इसलिए पहली 15 गेंदों पर उनके नाम सिर्फ़ 14 रन थे। लेकिन जब कॉनेल ने शॉर्ट गेंदें करनी शुरू की तो उन्होंने भी पुल नामक हथियार निकाला और मिडविकेट की ओर मारना शुरू किया। इन दोनों युवा बल्लेबाज़ों ने दिखाया कि इस विश्व कप में भारतीय टीम की बल्लेबाज़ी सिर्फ़ अनुभवी खिलाड़ियों पर निर्भर नही है और वे मैच जिताने की क्षमता रखती हैं। जिस तरह से इन दोनों ने तेज़ गेंदबाज़ों की शॉर्ट गेंदों पर पुल लगाया, वह भारतीय टीम की अगली पीढ़ी की निर्भिकता को दिखाता है।.
मैच के बाद भारतीय कप्तान हरमनप्रीत ने कहा, "ये दोनों बल्लेबाज़ पारंपरिक नहीं हैं, जो ड्राइव या दूसरे क्लासिक शॉट खेलें। उन्हें शॉर्ट गेंदों को खेलने में मज़ा आता है। उन्हें पता है कि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट कैसे बदल रहा है, कौन सी गेंदों का सामना उन्हें करना पड़ेगा, किस स्पीड से गेंद आएगी। मुझे लगता है कि वे पर्याप्त परिपक्व हो चुकी हैं। यह अच्छा है कि वे किसी भी परिस्थिति में ज़िम्मेदारी लेने को तैयार हैं।"
फ़िरदौस मूंडा ESPNcricinfo की साउथ अफ़्रीका संवाददाता हैं
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