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मोंगा : क्या केकेआर का लगातार आक्रामक रवैया जोखिम से भरा है?

कोलकाता के इसी रवैये ने उन्हें आठ में से चार टीमों तक तो पहुंचा दिया लेकिन उनकी मंज़िल का अभी आधा सफ़र ही तय हुआ है

David Hussey: 'Cool and calm' coach McCullum has been a major factor in KKR's performance

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The Kolkata Knight Riders chief mentor also talks about Venkatesh Iyer, Lockie Ferguson, and Shubman Gill's contribution in their win against Rajasthan Royals

कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) टी20 क्रिकेट की प्रयोगशाला है। अगर टी20 हिप्स्टर नाम की कोई संस्था है तो फिर वह केकेआर की ओर ज़रूर आकर्षित होगी। टी20 को वे वैसे ही देखते हैं और मानते हैं जैसे बाहर बैठों को लगता है और सोचते हैं। बाहर बैठे लोगों के पास खोने को बहुत कम होता है और यही सोच केकेआर को दूसरों से अलग बनाती है।

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केकेआर के बल्लेबाज़ों को कुछ भूमिकाएं दी गईं हैं, वह उसी हिसाब से खेलते हैं और आउट भी होते हैं। उनके गेंदबाज़ों की सोच भी दूसरों से अलग है, वे चौकों और छक्कों में विश्वास रखते हैं, वे कुछ बेहद की ख़राब फ़ील्डर्स को टीम में रखते हैं, क्योंकि वे मैच विनर हैं, वे सुनील नारायण को सलामी बल्लेबाज़ बना देते हैं, वे मिस्ट्री स्पिन, बाएं हाथ के स्पिनरों और कलाइयों के स्पिनरों में ढेर सारा निवेश करते हैं।

चलिए कुछ आंकड़ों के ज़रिए हम आपको समझाने की कोशिश करते हैं। इस टीम ने 2359 गेंदें पावरप्ले में स्पिनरों से डलवाईं हैं, इनके बाद जो दूसरी टीम है जिसने सबसे ज़्यादा स्पिन गेंदबाज़ी पावरप्ले में कराई है उसके नंबर हैं 1370 गेंदें। केकेआर ने डेथ ओवर्स में स्पिनरों से 1333 गेंदें डलवाईं हैं, दूसरे नंबर पर जिस टीम की ओर से सबसे ज़्यादा स्पिन डेथ ओवर्स में डलवाए गए हैं वह है 770 गेंद। किसी भी टीम ने बाएं हाथ के कलाइयों के स्पिनर का इस्तेमाल उतना नहीं करवाया जितना केकेआर ने कुदलीप यादव और ब्रैड हॉग से करवाया है। यहां तक कि दोनों ने साथ में भी खेला है, इस साल उनकी टीम में दो मिस्ट्री स्पिनर एक साथ खेल रहे हैं। इन दोनों का ही केकेआर ने उनके ख़राब फ़ॉर्म में भी साथ दिया।

केकेआर के नए कोच ब्रेंडन मैक्कलम ने इंडियंन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की शुरुआत ही धमाकेदार अंदाज़ में की थी, जब 2008 में बतौर खिलाड़ी उन्होंने 158 रनों की पारी खेली थी। उसके बाद से अब तक किसी भी केकेआर के बल्लेबाज़ ने शतक नहीं जड़ा है। आईपीएल के सभी सीज़न खेलने वाली किसी भी टीम ने केकेआर के बल्लेबाजों से कम अर्धशतक नहीं बनाए है।

पिछले कुछ सालों के आंकड़े और भी हैरान करने वाले हैं। शुभमन गिल बतौर सलामी बल्लेबाज़ 123 के स्ट्राइक रेट से रन बना रहे हैं, उन्हें टीम की ओर से पूरा साथ मिल रहा है। पैट कमिंस ने जब भी खेला, उन्हें लॉकी फ़र्ग्‍युसन से ज़्यादा तरजीह दी गई, ये जानते हुए कि लॉकी का टी20 रिकॉर्ड कमिंस से बेहतर है। हो सकता है ऐसा कमिंस की महंगी क़ीमत की वजह से किया जाता रहा हो।

कमोबेश अगर देखा जाए तो केकेआर अपनी इस रणनीति को सही भी साबित कर रही है। उन्होंने आईपीएल में 62.6 % रन बाउंड्रीज़ के ज़रिए बनाए हैं। उनके अलावा 60.2 % के साथ मुंबई इंडियंस ही एक ऐसी टीम है जिनका बाउंड्री प्रतिशत 60 में आता है। कोई भी ऐसी टीम नहीं है जिसने किसी सीज़न में हर पांचवीं गेंद को सीमा रेखा के बाहर पहुंचाया हो और केकेआर ने ऐसा दो सीज़न में किया है।

इस बार भी उनकी क़िस्मत केकेआर की उसी धमाकेदार रणनीति ने ही बदल डाली। इस साल उनके सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज़ और सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ को उनकी पिछली टीमों ने ज़ाया कर दिया था। वरुण चक्रवर्ती एक ऐसे खिलाड़ी हैं जिनकी फ़ील्डिंग अच्छी नहीं है और वह बल्लेबाज़ी में कुछ ख़ास नहीं कर पाते, आर अश्विन ने ही उन्हें तमिलनाडु प्रीमियर लीग से खोजा था और किंग्स-XI पंजाब में ले गए थे। लेकिन वहां वरुण की पहचान नहीं हो पाई, भारतीय टीम में उनका चयन नहीं हुआ था क्योंकि वह फ़िटनेस टेस्ट में फ़ेल हो गए थे। केकेआर ने उनका साथ दिया, उनकी मिस्ट्री स्पिन को समझा और नारायण के साथ अब वह दूसरी टीम के लिए किसी ख़तरे से कम नही। उन्होंने अपने प्रदर्शन से टी20 विश्वकप में भारतीय टीम में जगह बनाने में भी क़ामयाब रहे।

राहुल त्रिपाठी ऐसा लगता है मानो टी20 के लिए ही बनाए गए हों, जब उन्होंने राइज़िंग पुणे सुपर जायंट्स के लिए पदार्पण किया था, तब वह पावरप्ले में हर गेंद को मारना चाहते थे। ऐसा लगता था कि उनकी भूमिका पावरप्ले तक ही सीमित है और उसके बाद ऐसा लगता था कि जो गेंद आ रही है वह उनके लिए आख़िरी गेंद है और वह अपने इस आक्रामक अंदाज़ को धीमा भी नहीं करना चाहते थे क्योंकि उनके बाद कई बल्लेबाज़ों को आना होता था। पुणे के साथ उनका क़रार ख़त्म होने के बाद राजस्थान रॉयल्स के साथ वह एक निचले मध्य क्रम में खेलने लगे थे।

रॉयल्स के बाद उन्हें केकेआर ने अपने साथ जोड़ा और उन्हें एक ऐसा स्थान दिया जहां वह सबसे ज़्यादा असरदार हैं। त्रिपाठी ने अभी अपने खेल पर ध्यान दिया और कुछ बदलाव भी किए और अब स्पिन के ख़िलाफ़ मध्य ओवरों में वह बेहद शानदार बल्लेबाज़ बन चुके हैं। सलामी बल्लेबाज़ों को छोड़ दें तो मध्य ओवरों में 150 के स्ट्राइक रेट के साथ राहुल त्रिपाठी सबसे ऊपर हैं।

आईपीएल के इस दूसरे हाफ़ में केकेआर के पलटवार में अगर किसी ने अहम योगदान दिया तो वह हैं वेंकटेश अय्यर, जिन्हें केकेआर ने खोजा और तराशा। साथ ही साथ उनका इस्तेमाल डेथ ओवर्स में गेंदबाज़ के तौर पर भी किया जा रहा है।

यानी केकेआर एक जोखिम भरा खेल खेलने के लिए जाने जाते हैं, जो बाहर बैठे लोगों के लिए बिल्कुल परफ़ेक्ट लगता है, लेकिन कभी कभी इसकी वजह से उन्हें ख़ामियाज़ा भी उठाना पड़ा है। उदाहरण के तौर पर 2019 में उनके 66.42 % रन बाउंड्रीज़ से आए थे। उसके बाद भी वह उस साल प्लेऑफ़ में नहीं पहुंच पाए। जो ज़्यादा अहमियत रखता है, और ये एक अच्छी रणनीति और रवैये से ही मुमकिन हो पाता है। मैदान पर उनकी रणनीति पूरी तरह से रंग लाती नहीं दिखी थी, वह भले ही उन तीन टीमों में से हों जिन्होंने आईपीएल का ख़िताब एक से ज़्यादा बार जीता हो, लेकिन इस बार उन्होंने सिर्फ़ सातवीं बार ही प्लेऑफ़ में जगह बनाई है।

अगर ये रवैया उन्हें हमेशा ख़िताब के क़रीब नहीं ले जा रहा, तो फिर टीम मालिक का भी धैर्य कम हो सकता है। क्योंकि अगर टी20 ऐसे ही खेला जाता है तो फिर क़ामयाबी भी ऐसे ही मिलनी चाहिए। अब तक तो केकेआर ने इस रवैये के साथ आठ में से चार टीमों के बीच पहुंच गई हैं, लेकिन अभी भी अपनी मंज़िल के वह आधे ही रास्ते पर हैं।

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सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo के असिस्टेंट एडिटर हैं, अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट सैयद हुसैन ने किया है।