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हेज़लवुड की हलचल : टेस्ट मैच से आईपीएल तक

तीन मैचों के भीतर ही वह आरसीबी के मुख्य तेज़ गेंदबाज़ बनकर उभरे हैं

टेस्ट मैचों में जॉश हेज़लवुड मुश्किल लेंथ पर गेंदबाज़ी करते हैं। इसी शॉर्ट ऑफ़ लेंथ से उनसे सबसे ज़्यादा विकेट मिलते हैं। वह एक ऐसे गेंदबाज़ हैं जो लगातार एक ही टप्पे पर गेंदबाज़ी करते रहते हैं। इस प्रकार के गेंदबाज़ से लगभग हर बल्लेबाज़ तंग आ जाता है, फिर चाहे वह टेस्ट क्रिकेट का बड़े से बड़ा बल्लेबाज़ ही क्यों ना हो।

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लंबे प्रारूप में हेज़लवुड के पास अपने शिकार के लिए जाल बिछाकर उसे अपने अंदाज़ में फंसाने के लिए बहुत समय होता है। हालांकि टी20 मैचों में केवल 24 गेंदें मिलती हैं। यह 24 गेंदें भी दो-दो ओवर के दो स्पेल में विभाजित होती हैं - पहले दो ओवर पावरप्ले में और बचे हुए दो ओवर पारी के अंत में। पावरप्ले और डेथ ओवर दो ऐसे क्षण हैं जहां बल्लेबाज़ सबसे अधिक आक्रामक होते हैं और इन दोनों स्थितियों में मैच कहीं भी पलट सकता है।

इन सबके बावजूद हेज़लवुड ने इस सीज़न में अब तक खेले गए प्रत्येक मैच में इन दो अहम स्थितियों में बल्लेबाज़ों की नाक में दम कर दिया हैं। मंगलवार को भी लखनऊ सुपर जायंट्स के विरुद्ध वह पहली गेंद से ही अपने काम पर लग गए। डीवाई पाटिल स्टेडियम की पिच पर गेंद अच्छी लेंथ से अतिरिक्त उछाल ले रहे थे। जब पिच पर ऐसा दोहरा उछाल होता है तो अच्छे से अच्छा बल्लेबाज़ मुश्किल में पड़ जाता है।

तेज़ गेंदबाज़ी के विरुद्ध बढ़िया बल्लेबाज़ी करने वाले क्विंटन डिकॉक भी पहले ओवर में चौंक गए जब मोहम्मद सिराज की गेंद गुड लेंथ से उछलकर उनके बाएं हाथ पर जा लगी। हेज़लवुड ने पावरप्ले का तीसरा और पांचवां ओवर डाला। पिच के मिज़ाज और एक बड़े लक्ष्य ने उन्हें आक्रामक फ़ील्ड लगाने की छूट दी।

हेज़लवुड अब तक इस सीज़न में खेले गए तीन मैचों में आठ विकेट झटक चुके हैं  BCCI

इसका फल उन्हें तुरंत ही मिल गया जब हेज़लवुड की गेंद ने डिकॉक के बल्ले का बाहरी किनारा लिया और स्लिप में ग्लेन मैक्सवेल ने एक मुश्किल कैच को पूरा किया। हेज़लवुड के प्लान को समझने के लिए यह जानना बहुत ज़रूरी है कि दो गेंद पहले डिकॉक ने इसी प्रकार की बाहर निकलती लेंथ गेंद को ऑफ़ साइड पर धकेलकर सिंगल लिया था। दो गेंदों के भीतर हेज़लवुड ने अपनी लेंथ में हल्का सा बदलाव किया और डिकॉक को बाहर का रास्ता दिखाया।

जब वह पांचवां ओवर डालने आए, लखनऊ के बल्लेबाज़ दबाव में थे क्योंकि पहले चार ओवर में केवल 24 रन बने थे। केएल राहुल ने लेग स्टंप की छोटी गेंद को आसानी से फ़ाइन लेग के ऊपर से पुल कर दिया लेकिन हेज़लवुड घबराए नहीं। उन्होंने पांचवें स्टंप पर दो लेंथ गेंदों पर मनीष पांडे के संयम की परीक्षा ली। ओवर की अंतिम गेंद पर पांडे के संयम का बाण टूटा और वह उछाल को नियंत्रित करने के लिए क्रीज़ में पीछे गए। हालांकि गेंद उनके बल्ले के ऊपरी भार पर लगी और शॉर्ट मिडविकेट पर एक आसान कैच मिल गया।

डेथ ओवरों के दौरान अपने दूसरे स्पेल के लिए वापस आते हुए हेज़लवुड ने युवा बल्लेबाज़ आयुष बदोनी को लेग साइड पर शॉट लगाने का मौक़ा ही नहीं दिया। ऑफ़ स्टंप के बाहर डाली गई गेंद पर उन्होंने चतुराई से अपनी उंगलियां फेर दी और गेंद बाहरी किनारा लेकर दिनेश कार्तिक के दस्तानों में जा समाई।

भले ही यह रॉयल चैलेंजर्स के साथ उनका पहला ही सीज़न है, हेज़लवुड इस टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं। हर्षल पटेल और मोहम्मद सिराज के रूप में आरसीबी के पास दो डेथ गेंदबाज़ पहले से ही मौजूद थे। लेकिन हेज़लवुड का अनुभव और मुश्किल परिस्थितियों में उनका धैर्य उन्हें अपनी योजनाओं पर अमल करने में मदद कर रहा है।

अब अंतिम 12 गेंदों पर लखनऊ को जीत के लिए 34 रनों की आवश्यकता थी और मार्कस स्टॉयनिस क्रीज़ की गहराई में तैयार खड़े थे। फ़ाफ़ डुप्लेसी ने हर्षल को नहीं बल्कि हेज़लवुड को निर्णायक 19वां ओवर डालने की ज़िम्मेदारी दी। पहली गेंद पर वह भाग्यशाली रहे कि अंपायर ने ऑफ़ स्टंप के काफ़ी बाहर की गेंद को वाइड करार नहीं किया। स्टॉयनिस इस बात को हज़म ही नहीं कर पाए और अंपायर के साथ बहस करने लगे। अंपायर को लगा था कि स्टॉयनिस ऑफ़ स्टंप से बाहर चले आए थे और इसलिए उन्होंने उस गेंद को वैध माना। अगली गेंद पर हेज़लवुड ने ऑफ़ स्टंप से बाहर शफ़ल कर रहे स्टॉयनिस का पीछा किया और गेंद उनके पैड पर लगने के बाद स्टंप्स से जा टकराई।

मैच के बाद ब्रॉडकास्टर स्टार स्पोर्ट्स से बातचीत के दौरान हेज़लवुड ने बताया कि उन्हें इस सीज़न के सभी मैदानों और ख़ासकर डीवाई पाटिल स्टेडियम में गेंदबाज़ी करने में मज़ा आ रहा है। उन्होंने कहा, "मुझे विषेशकर इस मैदान पर और पावरप्ले में गेंदबाज़ी करने में मज़ा आ रहा है। वानखेड़े पर थोड़ा उछाल है लेकिन यहां नई गेंद के साथ मामला अविश्वसनीय है। अगर आप ग़लत जगह पर गेंद डालते हैं तो उम्मीदानुसार रन पड़ेंगे लेकिन अगर आप सही ठिकाने पर गेंद डालेंगे तो आपको पहले कुछ ओवरों में विकेट लेने के मौक़े मिलते हैं जिससे आप सामने वाली टीम को बैकफ़ुट पर धकेल सकते हैं।"

हेज़लवुड ने पिछले सीज़न में चैंपियन टीम चेन्नई सुपर किंग्स के लिए भी इसी प्रकार की भूमिका को अंजाम दिया था। आरसीबी के टीम निदेशक माइक हेसन के अनुसार अपनी लेंथ को नियंत्रित करने की क्षमता हेज़लवुड को डीवाई पाटिल जैसी पिचों पर अहम गेंदबाज़ बनाती हैं।

यह नियंत्रण टेस्ट मैचों में लंबे स्पेल डालने का नतीजा है। इस आईपीएल में तेज़ गेंदबाज़ों का बोलबाला रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो साधारण गेंदबाज़ी करने वाले हेज़लवुड एक बड़े मैच विनर बनकर उभर सकते हैं।

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नागराज गोलापुड़ी ESPNcricinfo में न्यूज़ एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।