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CSK vs DC रिपोर्ट कार्ड : इंपैक्ट प्लेयर के तौर पर पथिराना के उपयोग या स्पिन टू विन के नुस्ख़े ने दिलाई चेन्नई को जीत?

दिल्ली को 27 रनों से हरा प्ले ऑफ़ के दावों को चेन्नई ने किया मज़बूत

रुसो को आउट करने के बाद जश्न मनाते जाडेजा  Associated Press

आईपीएल 2023 के 55वें मैच में चेन्नई सुपर किंग्स ने अपने घरेलू मैदान पर दिल्ली कैपिटल्स को 27 रनों से हरा दिया। इस जीत के साथ चेन्नई ने 15 अंकों के साथ प्ले ऑफ़ के दावों को और मजबूत किया है, वहीं दिल्ली कैपिटल्स आठ अंकों के साथ अंक तालिका में अभी भी सबसे नीचे है। अब कोई चमत्कार ही उन्हें प्ले ऑफ़ तक पहुंचा पाएगा। आइए देखते हैं कि खेल के अलग-अलग विभागों में दोनों टीमों ने कैसा प्रदर्शन किया।

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बल्लेबाज़ी

चेन्नई (B+) : चेपॉक की पिच धीमी और स्पिनरों की मददगार मानी जाती है, जहां रन बनाना इतना भी आसान नहीं होता। यही कारण है कि आपको चेन्नई के स्कोरकार्ड में कई बल्लेबाज़ों के 20 से अधिक रन दिखेंगे, लेकिन कोई भी बल्लेबाज़ 30 के स्कोर तक नहीं पहुंच सका। कई बल्लेबाज़ तो 100 के स्ट्राइक रेट को नहीं पार कर पाए, लेकिन शिवम दुबे और महेंद्र सिंह धोनी ने 200 के अधिक से स्ट्राइक रेट से रन बनाकर अपनी टीम को एक चुनौतीपूर्ण स्कोर तक पहुंचाया। अंत में यह स्कोर काफ़ी भी साबित हुआ।

दिल्ली कैपिटल्स (B-) - चेपॉक की पिच पर 169 रनों के लक्ष्य का पीछा करना दिल्ली के लिए आसान नहीं रहने वाला था लेकिन इस मुश्किल को दीपक चाहर ने अपने पहले दो ओवर में दो झटके देकर ही असंभव की तरफ़ धकेलना शुरू कर दिया। रही सही कसर मनीष पांडे और मिचेल मार्श के बीच हुई गफ़लत ने पूरी कर दी। पावरप्ले में ही दिल्ली ने तीन विकेट गंवा दिए। इसके बाद रायली रुसो और मनीष पांडे ने साझेदारी पनपाई लेकिन उस गति से रन नहीं बना पाए जिसकी दिल्ली को दरकार थी। मिडिल ओवर्स में रवींद्र जाडेजा, महीश थीक्षणा और मोईन अली दिल्ली पर दबाव क़ायम करने में सफल रहे। जिस वजह से मैच दिल्ली के हाथ से काफ़ी पहले ही फिसल गया।

गेंदबाज़ी

चेन्नई (A) - चेन्नई के पास डिफ़ेंड करने के लिए उतना बड़ा लक्ष्य नहीं था लेकिन पिच भी बल्लेबाज़ों के लिए चुनौती भरी ही थी। हालांकि चेन्नई को जीत हासिल करने में मुश्किल हो सकती थी अगर दीपक चाहर ने दूसरी ही गेंद पर डेविड वॉर्नर और फिर अपने अगले ओवर में फिल सॉल्ट को पवेलियन चलता नहीं किया होता। मनीष और रुसो के बीच साझेदारी ज़रूर पनप रही थी लेकिन उनके ऊपर तेज़ी से रन बनाने का दबाव भी बढ़ रहा था। जिसका मथीशा पथिराना ने फ़ायदा उठाते हुए अपनी सटीक यॉर्कर पर मनीष को पगबाधा कर दिया। इसके बाद जाडेजा ने भी रुसो को पवेलियन भेज दिया। अंत में अक्षर और ललित यादव ने अपने हाथ ज़रूर खोले लेकिन तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी।

दिल्ली (B) - चेन्नई की सलामी जोड़ी ने एक अच्छी शुरुआत की लेकिन जल्द ही अक्षर ने दोनों सलामी जोड़ी को पवेलियन चलता कर दिया। वहीं अजिंक्य रहाणे और अंबाती रायुडू पर भी नकेल कसने में दिल्ली के गेंदबाज़ सफल रहे लेकिन शिवम दुबे के कुछ बड़े शॉट्स ने मोमेंटम चेन्नई के पक्ष में झुका दिया। जिसका फ़ायदा डेथ में धोनी ने उठा लिया। पंद्रह ओवर में पांच विकेट झटकने के बावजूद दिल्ली के गेंदबाज़ चेन्नई को एक अच्छे स्कोर तक पहुंचने से रोक नहीं पाए।

फ़ील्डिंग और रणनीति

चेन्नई (A) - थीक्षणा ने अपने फ़ॉलो थ्रू में दो कैच ज़रूर छोड़े लेकिन इसके बावजूद चेन्नई के फ़ील्डरों ने अच्छे क्षेत्ररक्षण का मुज़ाहिरा किया। बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी के साथ ही चेन्नई ने दिल्ली को सबसे बड़ी मात अपनी रणनीति से दी। मिडिल ओवर्स में धोनी ने अपने तीनों स्पिनर को रोटेट किया और जब दिल्ली के हाथ खोलने की बारी आई तब वह 13वें ओवर में अपने डेथ ओवर विशेषज्ञ पथिराना को ले आए। धोनी की इस चाल ने दिल्ली को मैच से बाहर कर दिया। तीन विकेट झटकने वाले पथिराना ने अंतिम ओवर में तीन चौके ज़रूर खाए लेकिन तब तक चेन्नई की जीत पर औपचारिक तौर पर मुहर लग चुकी थी। हालांकि पथिराना ने तीन विकेट ज़रूर झटके लेकिन असली दबाव मोईन और जाडेजा ने बनाया जिनके आठ ओवरों में दिल्ली के बल्लेबाज़ सिर्फ़ 35 रन ही बटोर सके।

दिल्ली (C) - गेंदबाज़ी में एक अच्छी शुरुआत को दिल्ली भुनाने में असफल रही। फ़ील्डिंग में दिल्ली ने कोई बहुत बड़ी ग़लती तो नहीं की लेकिन रणनीति में वह चेन्नई से पिछड़ती हुई नज़र आई। अक्षर को एक बार फिर बल्लेबाज़ी के लिए काफ़ी देर भेजा गया। यह एक ऐसा सवाल है जो दिल्ली के टीम से लगातार पूछे जा रहे हैं। आज भी मनीष पांडे के आउट होने के बाद अक्षर को मैदान में न भेजना हैरानी भरा फ़ैसला था क्योंकि उस समय दिल्ली ऐसी स्थिति में नहीं थी कि वह लेफ़्ट एंड राइट के कॉम्बिनेशन के प्लान के हिसाब से चल सके। गेंदबाज़ी में भी मिडिल ओवर्स में कुलदीप के ओवर धोनी के लिए बचाकर रखे गए। अगर कप्तान वॉर्नर ने थोड़ा आक्रामक रुख़ अपनाया होता तो संभव है चेन्नई उतना स्कोर नहीं खड़ा कर पाती।

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