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नीतीश राणा : 100 मैचों में से एक ही बार ऐसी जीत मिलती है

रिंकू सिंह ने बताया कि उमेश यादव ने उन्हें बिना सोचे मारने की सलाह दी

जीत मिलने के बाद रिंकू के साथ जश्न मनाने के लिए दौड़ते राणा  AFP/Getty Images

रविवार को गुजरात टाइटंस के ख़िलाफ़ अंतिम ओवर में कोलकाता नाइट राइडर्स के रिंकू सिंह ने लगातार पांच छक्के के लगातार अपनी टीम को इस सीज़न की दूसरी जीत दिला दी। हालांकि कोलकाता के कप्तान नीतीश राणा मानते हैं कि 100 में से एक बार ही ऐसा होता है जब आपको ऐसे मुक़ाबले में जीत मिलती है। लेकिन रिंकू ने इसे संभव कैसे किया? उनके पास एक ही जवाब है, "मैं सिर्फ़ गेंदों को हिट करता रहा।"

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अंतिम ओवर की पहली गेंद पर उमेश यादव द्वारा सिंगल लेने से स्ट्राइक पर पहुंचे रिंकू ने यश दयाल की अंतिम पांच गेंदों पर पांच छक्के जड़ दिए और कोलकाता ने 205 रनों का लक्ष्य हासिल कर लिया।

पोस्ट मैच प्रेज़ेंटेशन में रिंकू ने कहा, "ईमानदारी से बताऊं तो मैं अधिक सोच नहीं रहा था, बस हर गेंद पर रिएक्ट कर रहा था। मैंने यह सोचा नहीं था कि मैं पांच छक्के लगा दूंगा, मैं सिर्फ़ गेंदों को हिट करता रहा, मुझे ख़ुद पर भरोसा था और हम मैच जीत गए।"

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रिंकू ने 21 गेंदों पर 48 रन बनाए, जिनमें 40 रन उन्होंने अपनी अंतिम सात गेंदों पर बनाए।

रिंकू ने कहा, "मुझे भीतर से इसे संभव कर पाने का विश्वास था क्योंकि पिछले साल भी मैंने लखनऊ सुपर जायंट्स के ख़िलाफ़ ऐसी ही पारी खेली थी। यहां भी मुझे अपने ऊपर कुछ वैसा ही विश्वास था। राणा भाई ने मुझसे कहा था, 'बिलीफ़ रखियो और अंत तक खेलियो'।"

उमेश ने भी इस बाएं हाथ के बल्लेबाज़ को स्ट्राइक देने पर कुछ ऐसी ही सलाह दी थी। "भईया ने भी मुझे कहा, 'लगा रिंकू, सोचियो मत'।"

यह पारी इसलिए भी अहम थी क्योंकि यह ऐसे समय आई जब कोलकाता मुक़ाबले से बाहर हो चुकी थी। वेंकटेश अय्यर ने 40 गेंदों पर 83 बनाकर स्टेज सेट कर दिया था लेकिन 16वें ओवर में वह अल्ज़ारी जोसेफ़ की गेंद पर आउट हो गए। इसके बाद अगले ओवर में राशिद ख़ान ने पहले आंद्रे रसल को आउट किया और अगली दो गेंदों पर सुनील नारायण और शार्दुल ठाकुर को उनकी पहली ही गेंद पर आउट कर के इस सीज़न की पहली हैट्रिक ले ली।

नीतीश ने कहा, "अगर आप देखेंगे तो हमने अच्छी गेंदबाज़ी की। सिर्फ़ अंतिम दो ओवर (45 रन) ख़र्चीले रहे। 18 अच्छे ओवर डालने के बाद अगले दो ओवर हमारे पक्ष में नहीं गए। राशिद के ओवर में बल्लेबाज़ी करते समय यही चीज़ हमारे साथ हुई, जिसने हमें पूरी तरह से बैकफ़ुट पर धकेल दिया। लेकिन सारा श्रेय रिंकू को जाता है, अगर आज अंक हमारे खाते में आए हैं तो यह सिर्फ़ रिंकू की वजह से ही संभव हो पाया है।"

नीतीश ने आगे कहा, "लोग अमूमन मुझसे यह पूछते हैं कि रिंकू ऊपर बल्लेबाज़ी करने के लिए क्यों नहीं आते और क्यों हमेशा छोटे क़िरदार या सेकेंड्री रोल निभाते हैं। मैं आज यह कहना चाहता हूं, ज़रा सोचिए अगर यह उनका सेकेंड्री रोल है तो उनका प्राइमरी रोल कैसा होगा और यह भी रिंकू मेरे लिए कितने महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं। पिछले मैच में भी जब एक छोर पर डटे रहने और लगातार हिट करते रहने की ज़रूरत थी, रिंकू ने उस ज़िम्मेदारी को भी बखूबी निभाया।"

रिंकू पर भरोसा करने की वजह पिछले साल उनके द्वारा खेली गई ऐसी ही एक मिलती जुलती पारी थी, हालांकि कोलकाता उस मुक़ाबले को जीत नहीं पाई थी।

नीतीश ने कहा, "जब रिंकू ने दूसरा छक्का लगाया तो हमारा विश्वास बढ़ गया। यश भी गेंद को सटीक जगह नहीं डाल पा रहे थे इसलिए मुझे कहीं न कहीं यह लग रहा था कि रिंकू इस लक्ष्य को मुमकिन कर देंगे। एक कप्तान के तौर पर यह ज़रूरी होता है कि लक्ष्य भले ही कितना बड़ा हो लेकिन उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। हालांकि अगर ईमानदारी से बताऊं तो 100 में से ऐसा एक बार ही होता है जब आप ऐसे मुक़ाबले को जीतते हैं।"

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