स्वप्निल के लगभग ख़त्म करियर से लेकर उनकी सपनों की उड़ान की यात्रा
उनकी दृढ़ता ने उन्हें उस टीम में जगह बनाने में मदद की है जो उनके जैसे ही असंभव बदलाव को दर्शाती है

33 वर्षीय स्वप्निल सिंह के लिए IPL 2024 सपनों सरीखा रहा है। वह रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की लगातार छह जीतों का अहम हिस्सा रहे हैं। उन्होंने इन मैचों में 8.76 की इकॉनमी से छह विकेट भी लिए हैं। उन्होंने पावरप्ले में भी नियंत्रण के साथ गेंदबाज़ी की है।
RCB की टीम में स्वप्निल को मयंक डागर के बैकअप स्पिनर के रूप में रखा गया था। लेकिन जब डागर नहीं चले तो स्वप्निल को मौक़ा मिला, जिन्होंने इसे दोनों हाथों से भुनाया।
RCB Bold Diaries से बात करते हुए स्वप्निल ने कहा, "जब मैं यहां आया था, मुझे पता था कि मैं शुरुआती मैचों में नहीं खेलूंगा। लेकिन मैं अभ्यास में कभी भी यह सोचकर नहीं जाता था कि मुझे नहीं खेलना है। हमारा पहला अभ्यास सत्र मेरे लिए पहले मैच के जैसा था। पहली गेंद से ही मेरा लक्ष्य था कि मुझे खेलना है। नेट्स मेरे लिए मैच जैसा था।"
जब नवंबर में स्वप्निल RCB के ट्रायल के लिए आए थे तो उन्होंने प्रमुख कोच ऐंडी फ्लॉवर से अनुरोध किया था, "मुझे सिर्फ़ एक मौक़ा दीजिएगा, यह मेरा आख़िरी मौक़ा भी हो सकता है।"
"नीलामी वाले दिन मैं रणजी ट्रॉफ़ी के लिए देहरादून में था। जब पहले राउंड में मुझे नहीं चुना गया तो मुझे लगा कि मेरे लिए सब कुछ ख़त्म हो गया। मैंने सोचा था कि यह घरेलू सीज़न खेलकर मैं संन्यास ले लूंगा। मैं बहुत निराश था। लेकिन जब मेरे घर से फ़ोन आया कि मैं चुन लिया गया हूं, तो मैं फूट पड़ा।"
इससे पहले स्वप्निल पिछले साल लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) में नेट बॉलर थे, ऐसा रोल जो उन्होंने अनिच्छा से स्वीकार किया। उन्होंने कहा, "जब दीपक हुड्डा [उनके बड़ौदा टीम के साथी और LSG के खिलाड़ी] ने मुझे कॉल किया और पूछा कि क्या LSG के लिए नेट बॉलर बनना चाहता है, तो मैंने उसे डांटा और फोन रख दिया। उसने दोबारा कॉल किया और कहा, 'बस एक बार सोचकर देख'।"
इसके बाद स्वप्निल ने अपने मेंटॉर में से एक इरफ़ान पठान को कॉल किया। जब बड़ौदा में स्वप्निल का करियर ढलान पर जा रहा था तो इरफ़ान ने ही उनको नई टीम उत्तराखंड में जाने में मदद की थी। स्वप्निल का बड़ौदा के साथ सफ़र ख़त्म होने जा रहा था क्योंकि उन्हें टीम के कप्तान ने कहा था, "तुम्हारे लिए टीम में कोई जगह नहीं है।"
उन्होंने कहा, "मैं पूछा क्यों और कहा कि वह युवा को तरजीह दे रहे हैं। यह मेरे लिए अच्छा ही हुआ कि मैंने बड़ौदा छोड़ा। कई बार जब आपको अपने घर से निकाल दिया जाता है तो आप बाहर जाकर सीखते हो और अपने पैरों पर खड़े होते हो। अब मुझे मुझे अब एहसास हुआ कि शायद यह बहुत अच्छी बात हुई थी। अगर मैं बड़ौदा में रहता तो ख़त्म हो जाता।"
पठान ने स्वप्निल को सलाह दी कि नेट बॉलर का ऑफ़र अपना लो। उन्होंने कहा, "मैं दिल से कहूं तो खुशी के साथ वहां नहीं गया था। मैं भारी दिल से वहां गया था। लेकिन कुछ ही दिनों में वह मुझसे प्रभावित हो गए थे। हर नेट सेशन में मैंने शुरू से लेकर अंत तक गेंदबाज़ी की।"
"नरेंद्र हिरवानी (पहले सीज़न में LSG के स्पिन सलाहकार) ने मुझे बहुत पसंद किया। उन्होंने मेरी गेंदबाज़ी को 180 डिग्री में बदल दिया। मैं वास्तव में आशा करता हूं कि काश मैं अपने करियर के बहुत पहले से ही उनके साथ जुड़ा होता।"
स्वप्निल का पहला काम बायें हाथ की स्पिन गेंदबाज़ी है लेकिन वह निचले क्रम पर भी योगदान दे सकते हैं। उनके नाम दो प्रथम श्रेणी शतक, छह लिस्ट ए अर्धशतक और दो टी20 अर्धशतक हैं। यहां तक कि जब 2006 में उन्होंने अपना रणजी ट्रॉफ़ी डेब्यू किया तो वह 14 साल 355 दिन के थे और उस समय उनका पहला काम बल्लेबाज़ी था। लेकिन बाद में वह एक गेंदबाज़ के रोल में आ गए।
स्वप्निल का नाम 2008 अंडर-19 विश्व कप में भारतीय टीम में चल रहा था। लेकिन चयनकर्ताओं ने उन पर रवींद्र जाडेजा को तरजीह दी। इसके बाद उन्हें यहां से IPL डेब्यू करने में आठ साल लग गए जब उन्होंने 2016 में पंजाब किंग्स के लिए डेब्यू किया था और अगला सीज़न खेलने में उन्हें सात साल का इंतज़ार करना पड़ा। पिछले साल उन्होंने LSG के लिए दो मैच खेले थे लेकिन उन्हें कोई विकेट नहीं मिला।
स्वप्निल ने कहा, "सच कहूं तो एंडी फ़्लॉवर ने बड़ा रोल निभाया। मैंने उनसे पूछा, 'सर, आप मुझे बल्लेबाज़ी का मौक़ा क्यों नहीं देते हो? वह मान गए और मुझे बल्लेबाज़ी की इजाज़त दी। उस दिन जीजी (गौतम गंभीर) भी वहां थे और वे दोनों बहुत प्रभावित हुए। मैं शायद पहला नेट बॉलर हो सकता हूं जिसको नेट्स में बल्लेबाज़ी का भी मौक़ा दिया गया।"
इन सब के बाद जब पिछले साल दिसंबर में हुई नीलामी में पहले राउंड में वह नहीं बिके तो वह निराश थे, लेकिन अब पांच महीने बाद उनका करियर बहुत आगे बढ़ चुका है।
"मैं हमेशा अपने भाई से बात करता था और उससे कहता था, 'मैंने कोई चौका या छक्का नहीं मारा है, मेरे पास सिर्फ़ एक विकेट है। तो मैं चौका और छक्का मारना चाहता हूं, अगर मेरे पास विकेट है (हंसते हुए)'। मैं जानता था इस सीज़न अगर वे मुझे खिलाते हैं तो फ़ाफ़ [डुप्लेसी] मुझे कम से कम एक ओवर जरूर देंगे। उस मैच में मैंने चौका और छक्का लगाया लेकिन मैंने पहले ओवर में मैंने छह गेंद नहीं बल्कि सात गेंद [नो बॉल की वजह से] की। मैंने लेकिन उन सात गेंद में दो विकेट लिए, जिसमें ऐडन मारक्रम और क्लासन के विकेट थे। यह सब भगवान का आशीर्वाद है।"
उनका दो दशक का घरेलू क्रिकेट का सफ़र उनको लखनऊ से बड़ौदा और अब देहरादून लेकर आया। शनिवार की रात बेंगलुरु में उन्होंने जीत दर्ज की, जहां उन्होंने ना केवल अच्छी गेंदबाज़ी की बल्कि आख़िरी ओवर में एमएस धोनी का दबाव भरा कैच लेकर उनको आउट कराया।
अब जबकि संभावित रूप से तीन मैच बाक़ी हैं, क्या उनका सपनों का सीज़न फलता-फूलता रहेगा और उसका सही अंत हो पाएगा?
शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं।
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