LSG का वह प्लान बी, जिसे नहीं समझ पाए GT के बल्लेबाज़
LSG के इस सीज़न सबसे सफल गेंदबाज़ शार्दुल ठाकुर ने बताया टीम की सफलता के पीछे का राज़
जाफ़र: मारक्रम ने मैच बनाया लेकिन अंजाम तक पूरन ने पहुंचाया
IPL 2025 के 26वें मुक़ाबले LSG vs GT का सटीक विश्लेषण वसीम जाफ़र और पीयूष चावला के साथ10 ओवरों में 100 रनों से अधिक की साझेदारी और एक भी विकेट नहीं गिरा। यहां से आसानी से लग रहा था कि गुजरात टाइटंस (GT) मैच में 200 रन को तो पार कर सकती है, लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि GT ने सात रनों के अंदर तीन विकेट गंवा दिए और अंत में 20 ओवर में 180 रन तक ही पहुंच पाई। इसके पीछे की वजह लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) का प्लान बी था, वह प्लान जिस पर वे पहले 10 ओवरों में अमल नहीं कर पाए थे।
दरअसल, काली मिट्टी की विकेट पर जहां पर शॉर्ट ऑफ़ गुड लेंथ और शॉर्ट लेंथ गेंदें रूककर आती हैं, वहां पर पहले पांच ओवरों में LSG के तेज़ गेंदबाज़ों ने 40 प्रतिशत गेंदें की। गिल आगे निकलकर पंच करने, शॉर्ट आर्म जैब लगाने या शॉर्ट आर्म कट मारने में माहिर हैं। दूसरी ओर साई सुदर्शन भी अपनी क्लासिकल बल्लेबाज़ी से अधिक मौक़े नहीं देते हैं। यही वजह रही कि GT पहले छह ओवरों में 54 रन बनाने में क़ामयाब रही।
दूसरी ओर बात करें LSG के स्पिनरों की तो छठें ओवर से लेकर 10वें ओवर तक स्पिनरों ने जितने भी ओवर किए, उसमें 33.33 प्रतिशत गेंदें शॉर्ट ऑफ़ गुड लेंथ या शॉर्ट लेंथ की थी, जिस पर दोनों ओपनरों ने प्रहार किया और 10 ओवर में स्कोर को 100 रन के पार ले गए।
लेकिन 13वें ओवर में ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने सात रनों के भीतर ही तीन विकेट गंवा दिए?
इसकी वजह- LSG का प्लान बी था। वह प्लान बी, जिस पर वे आगे अंतिम के ओवरों तक टिके रहें और उनको लगातार सफलताएं मिली और फिर मैच में वापसी का मौक़ा मिला। यह प्लान बी था- फु़लर और गुड लेंथ का अधिक से अधिक इस्तेमाल। इस पूरे मैच में 10 विकेट गिरे, उसमें एकमात्र ऋषभ पंत का विकेट था जो शॉर्ट ऑफ़ लेंथ पर आया, जहां वह रैंप करने के प्रयास में थर्ड मैन पर कैच थमा बैठे।
इससे पहले 13वें ओवर की पहली गेंद आवेश ख़ान की फु़लर थी, जिस पर गिल ने लांग ऑन पर खेलने के प्रयास में अपना विकेट गंवा दिया। इसके बाद चौथे स्टंप की फुलर गेंद पर ही रवि बिश्नोई ने ड्राइव के प्रयास में एक्स्ट्रा कवर पर सुदर्शन का विकेट चटकाया। ऐसी विकेट पर जहां वी में शॉट खेलने की दरक़ार थी, वहां पर जॉस बटलर भी पुल करने के प्रयास में टॉप एज़ देकर शॉर्ट फ़ाइन लेग पर कैच दे बैठे। यही नहीं वॉशिंगटन सुंदर, शरफ़ेन रदरफ़ोर्ड, राहुल तेवतिया सभी आगे की गेंदों पर आउट हुए।
ESPNcricinfo के डाटा के अनुसार 10 ओवर के बाद जो छह ओवर तेज़ गेंदबाज़ों ने किए उसमें केवल 27.84 प्रतिशत गेंद शॉर्ट ऑफ़ गुड लेंथ या शॉर्ट लेंथ थीं। वहीं चार ओवर जो स्पिनरों ने किए उसमें केवल 4.17 प्रतिशत गेंद इस तरह की थीं। दूसरी ओर स्क्वायर की छोटी बाउंड्री को तलाशते हुए GT के बल्लेबाजों ने आड़े बल्ले चलाए जिससे वे उछाल नहीं मिलने वाली पिच पर फंसते चले गए।
मैच के बाद इस पर पत्रकार वार्ता में शार्दुल ठाकुर ने कहा, "मेरे ख़्याल से पावरप्ले ऐसी चीज़ है जहां पर दो ही फ़ील्डर बाहर होते हैं, तो गेंदबाज़ी दल पर भी दबाव बढ़ता चला जाता है। छह ओवर के बाद जब फ़ील्ड खुल जाती है तो हमें दोबारा सोचने और लेंथ को सही करने का भी समय मिलता है। स्ट्रैटेजिक टाइम आउट में भी समय मिलता है कि हम क्या लेंथ में सुधार कर सकते हैं। तो एक गेंदबाज़ी दल के तौर पर कहीं ना कहीं प्लान कई बार बदलने होते हैं। इसलिए कई बार हमें पहले और बाद के 10 ओवरों में चीज़ें बदलती हुई दिख जाती हैं।"
जब शार्दुल से विस्तार से इस प्लान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "अगर आप देखें तो इस ग्राउंड पर एक साइड पर मैच था, तो स्क्वायर पर छोटी-बड़ी साइड थी। चूंकि दोपहर का मैच था तो पिच भी सूखी हुई थी। तो हमने एक गेंदबाज़ी दल और एक टीम प्रबंधन के तौर पर यही प्लान बनाया कि उनको बड़ी साइड पर खेलने देंगे। अगर वहां पर कोई चौके-छक्के मारता है तो आप उनकी तारीफ़ कर सकते हैं, वे भी यहां पर खेलने ही आए हैं। तो सारा प्लान हमारा इसी पर निर्भर कर रहा था और गेंदबाज़ों ने भी 10 ओवर के बाद उसी प्लान पर सही से गेंदबाज़ी की।"
शार्दुल के लिए यह समय बिल्कुल किसी सपने से कम नहीं हैं। वह अभी इस सीज़न सबसे अधिक विकेट लेने के मामले में दूसरे नंबर पर हैं और इस मैच में हैट्रिक पूरा करने से भी थोड़ा सा चूक गए। पिछले एक साल में उनको चोट भी लगी, वह नीलामी में बिक भी नहीं सके और फिर अचानक से उनको रिप्लेसमेंट के तौर पर बुलावा आया। वह इसको एक सैटबैक तो मानते हैं लेकिन एक ताक़त के तौर पर भी देख रहे हैं, जो उनकी बॉडी लैंग्वेज में नज़र भी आता है।
उन्होंने इस पर कहा, "सैटबैक तो था, लेकिन अगर हम सैटबैक को पॉज़िटिव तौर पर लेते हैं तो अच्छा होता है। तो जब भी मुझे अपने खेल के बारे में सोचने का मौक़ा मिला तो खु़द से यही कह रहा था कि काफ़ी सारे स्किल मेरे आर्मरी में हैं तो उससे ही खु़द को बेहतर बनाना है। तो उसी पर फ़ोकस रहा। बतौर क्रिकेटर हमारा काम है कि हम क्रिकेट खेलते रहें, हमेशा क्रिकेट से प्रेरणा लें, तो जब भारतीय टीम से भी बाहर हुआ तो उस बारे में सोच नहीं रहा था।
"नीलामी में भी मुझे किसी ने चुना नहीं तो उस बारे में अधिक नहीं सोचा, क्योंकि उस समय मैं रणजी ट्रॉफ़ी खेल रहा था। मेरे लिए यह मायने रखता था कि अपनी टीम के लिए मैं 100 प्रतिशत दूं और जैसा मैंने प्लान किया था कि जो मेरे कौशल हैं उसको मैं कैसे बेहतर कर सकूं उस पर ध्यान लगाऊं। उससे निजी तौर पर भी उभार मिलता है और कमबैक का भी मौक़ा मिलता है।"
निखिल शर्मा ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर हैं। @nikss26
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