अभिनव मनोहर : निराशा के बाद आईपीएल खिलाड़ी बनने तक का सफ़र
गुजरात टाइटंस ने कर्नाटका के इस बल्लेबाज़ को 2 करोड़ 60 लाख में ख़रीदा

जब 27 वर्षीय अभिनव मनोहर को पिछले साल कर्नाटका के लिए खेलने का मौक़ा मिला, वह अपने परिवार से प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलने वाले दूसरे सदस्य बन गए। उनकी चचेरी बहन शरन्या सदारंगनी, वर्तमान में जर्मनी की महिला क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
शनिवार को अभिनव ने अपने परिवार का नाम फिर से रोशन किया जब इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की बड़ी नीलामी में गुजरात टाइटंस ने उन्हें 2 करोड़ 60 लाख की राशि में ख़रीदा। हार्दिक पंड्या की टीम ने कोलकाता नाइट राइडर्स और दिल्ली कैपिटल्स को पछाड़कर अभिनव को अपना फ़िनिशर बनाया। अभिनव को मिलने वाली राशि उनके बेस प्राइस से 13 गुना ज़्यादा है।
पांच साल पहले एक अभ्यास मैच में निर्धारित लक्ष्य का पीछा करने में विफल होने के बाद वह मुंबई इंडियंस के ट्रायल से निराश होकर लौटे थे। लेकिन इस बार न केवल मुंबई बल्कि अन्य टीमों के सफल ट्रायल के बाद उन्हें विश्वास था कि वह इस प्रतियोगिता का हिस्सा बन पाएंगे। यहां तक कि इस बार तो पूरा परिवार साथ बैठकर नीलामी देख रहा था।
अभिनव ने ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो को बताया, "मुझे ठीक से नींद नहीं आ रही हैं। पिछले हफ़्ते से मैं प्रति दिन केवल तीन-चार घंटे ही सो पा रहा हूं। इस बात की उत्तेजना और घबराहट थी कि मुझे चुना जाएगा या नहीं। यह बात मेरे दिमाग़ में चल रही थी और शनिवार को यह और भी ज़्यादा बढ़ गई। मैं पूरी तरह से इस बात को हज़म नहीं कर पाया हूं, शायद मुझे कुछ दिन और लगेंगे। घर पर हम सब साथ मिलकर ऑक्शन देख रहे थे।"
अभिनव के लिए यह एक उल्लेखनीय उदय रहा हैं क्योंकि तीन महीने पहले तक तो वह कर्नाटका के लिए खेलने के लिए संघर्ष कर रहे थे। कोरोना महामारी के कारण घरेलू सीज़न को छांटकर छोटा कर दिया गया था और संभावना थी कि उनका एक और साल व्यर्थ हो जाएगा। मानसिक तौर पर अभिनव इसके लिए तैयार थे और उन्होंने सोचा कि वह बिना किसी "बैक-अप विकल्प के", क्रिकेट में अपना नाम बनाने के लिए ख़ुद को और थोड़ा समय देंगे। और फिर उनके जीवन में आई यह नई किरण।
कर्नाटका की प्रथम श्रेणी लीग में अभिनव के बहुत रन बनाए थे, लेकिन यह तो वह तीन सालों से करते आ रहे थे। तो इस बार क्या नई बात थी? असल में करुण नायर के ख़राब फ़ॉर्म और सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी के लिए देवदत्त पड़िक्कल, मयंक अग्रवाल और केएल राहुल की ग़ैरमौजूदगी के कारण कर्नाटका को बल्लेबाज़ों की तलाश थी और अभिनव को मौक़ा मिल गया।
तब तक लोकल क्रिकेट में अभिनव को बड़े शॉट लगाने के लिए जाना जाता था। अब उन्हें असली चुनौती का सामना करना था। डेब्यू करने की ख़ुशी का वह पूरी तरह से आनंद ले पाते उससे पहले ही टीम का संकटमोचक बनने की ज़िम्मेदारी उन पर आ गई। सौराष्ट्र के ख़िलाफ़ 146 रनों का पीछा करते हए कर्नाटका ने 34 रन पर तीन विकेट गंवा दिए थे। अभिनव ने न केवल टीम की पारी को संभाला बल्कि अंतिम ओवर में एक रोमांचक जीत भी दिलाई। 49 गेंदों में चार चौकों और छह छक्कों की मदद से उन्होंने 70 रन बनाए। उस प्रतियोगिता में 150 के स्ट्राइक रेट से उन्होंने चार पारियों में कुल 162 रन बनाए।
इसके बाद तमिलनाडु के ख़िलाफ़ फ़ाइनल में उन्होंने दिखाया कि वह स्कोरबोर्ड को चलाकर लंबी पारी खेल सकते हैं। एक मुश्किल पिच पर कर्नाटका ने पावरप्ले के भीतर तीन विकेट गंवा दिए थे। अभिनव ने धीमी शुरुआत के बावजूद 37 गेंदों पर 46 रन बनाए और टीम को 152 के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया।
बेंगलुरु से उनके कोच इरफ़ान सैट बारीक़ी से अपने शिष्य के स्कोर फ़ॉलो कर रहे थे। कई साल पहले अभिनव के पिताजी और इरफ़ान बेंगलुरु में एक ही रास्ते पर अपना कारोबार चलाया करते थे। मनोहर परिवार की जूतों की दुकान थी जबकि इरफ़ान का कपड़ों का कारोबार था। अभिनव के पिताजी और उनके कोच के बीच दोस्ती हुई और अपनी क्रिकेट अकादमी में इरफ़ान ने अभिनव को अपना शिष्य बनाया।
इरफ़ान ने कई सारे बच्चों को क्रिकेट की तालीम दी हैं और वह कहते हैं कि शुरुआत में अभिनव भी अन्य बच्चों के तरह ही थे। हालांकि चार साल बाद उन्होंने देखा कि उनमें प्रतिबद्धता कूट-कूट कर भरी हुई थी। 14-15 साल की उम्र में जब बच्चें और मां-बाप क्रिकेट और पढ़ाई के बीच किसी एक को चुनते हैं, अभिनव ने रुकने का नाम नहीं लिया। और जब उन्होंने सिर में चोट लगने के बावजूद एक शतक जड़ा, इरफ़ान को पता चल गया कि उनके शिष्य में सफल होने के पूरे गुण हैं।
इरफ़ान कहते हैं, "अरशद अय्यूब हर साल गर्मियों के दौरान मैच खेलने के लिए हैदराबाद से अंडर-14 की एक टीम भेजते थे। हम भी उस उम्र के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों की टीम बनाते थे। अभिनव उस टीम में चुना गया और एक मैच में सिर पर चोट लगने के बावजूद उसने एक ताबड़तोड़ शतक जड़ा। इससे उन्होंने सभी का दिल जीत लिया और बड़े शॉट लगाने की क्षमता से उन्हें प्रभावित किया।"
"आम तौर पर उस उम्र में बच्चे अपने खेलने के अंदाज़ में लापरवाह हो सकते हैं। अभिनव के साथ उल्टा हुआ। वह अचानक से कुछ समय के लिए रक्षात्मक मोड में चला गया और इसका उसके खेल पर बुरा असर हुआ। उसका स्वाभाविक खेल आक्रमण करने का था और अंडर-16 से अंडर-19 तक के सफ़र में उसका स्वाभाविक खेल वापस आ गया। हालांकि कुछ बदलाव करने में उसे थोड़ा अधिक समय लगा।"
अभिनव को दूसरे तरीकों से भी बदलने की ज़रूरत थी। एक किशोर के रूप में वज़न के मुद्दों से जूझने के बाद, उन्होंने न केवल वज़न घटाने पर काम किया, बल्कि एक ऐसा आहार भी विकसित किया, जिससे उनकी बड़ी हिटिंग को मदद मिले। उन्होंने राहुल और मनीष पांडे के ट्रेनिंग कार्यक्रम से सीख ली और आज तक उसका पालन करते हैं। अब वह एक ऑल-फ़ॉर्मेट खिलाड़ी बनना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, "कर्नाटका के लिए खेलना बहुत बड़ी बात हैं, यह भारतीय टीम में प्रवेश करने जितना मुश्किल हैं। बल्लेबाज़ी क्रम में एक से बढ़कर एक नाम हैं और एक बल्लेबाज़ होने के नाते आयु-वर्ग के बाद आप सोचने लगते हैं कि मैं क्या कर रहा हूं? मुझे मौक़ा मिलेगा भी या नहीं? मैं भाग्यशाली हूं कि मेरे परिवार ने मुझ पर दूसरा कोई काम ढूंढ़ने का दबाव नहीं डाला। मेरे पिताजी ने कहा कि तुम अपना काम करते रहो और चीज़ें अपने आप बदलती चली जाएंगी। मैं प्रसन्न हूं कि उनकी यह बात सच हुई।"
शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।
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