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टी20 विश्व कप में रोहित और कोहली को अर्जित करनी होगी अपनी जगह

मिडिल ओवर्स में कोहली का स्ट्राइक रेट चिंता का सबब है

रोहित और कोहली दोनों ही अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ टी20 सीरीज़ का हिस्सा होंगे  AFP/Getty Images

इस बात की पूरी संभावना है कि रोहित शर्मा एकदिवसीय विश्व कप की अपनी फ़ॉर्म को टी20 विश्व कप में भी जारी रखेंगे। वह पहले से ही उस इंटेंट के साथ खेल रहे हैं। इस बात से कौन इनकार कर सकता है कि वनडे में पावरप्ले के दौरान उनका स्ट्राइक रेट 135 के ऊपर रहता है और टी20 में वह छह ओवर के बाद इससे भी तेज़ गति से रन बनाते हैं।

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अगर विराट कोहली अपना मन बना लें तो क्या वह मिडिल ओवर्स में स्पिनरों के ख़िलाफ़ धावा नहीं बोल सकते? वह पारी की शुरुआत भी कर सकते हैं और विपक्षी टीम को पावरप्ले में स्पिनर्स के साथ गेंदबाज़ी करने पर मजबूर भी कर सकते हैं। इसके साथ ही वह शुरुआती ओवरों में फ़ील्ड रिस्ट्रिक्शन का फ़ायदा उठाते हुए स्पिनर के ख़िलाफ़ आक्रमण कर सकते हैं ताकि भारतीय टीम को मिडिल ओवर्स में स्पिनर का कम सामना करना पड़े।

अनजान परिस्थितियों को देखते हुए टी20 क्रिकेट में कुछ भी हो सकता है। टी20 विश्व कप से पांच महीने पहले यह कहा जा सकता है कि भारतीय टीम लगातार एक ही चीज़ करने के एवज़ में अलग परिणामों की अपेक्षा कर रही है।

पिछले चार टी20 विश्व कप की तस्वीरें एक दूसरे से अलग नहीं रही हैं। भारतीय टीम पहले बल्लेबाज़ी करते हुए बीच मझधार में फंस जाती है और इसके चलते उन्हें टूर्नामेंट से बाहर का रास्ता देखना पड़ता है। अगर वह हर टॉस जीतने और चेज़ करने की उम्मीद लगाए नहीं बैठे हैं तब भी अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ टी20 सीरीज़ के लिए चयनित दल को चुने जाने के पीछे कोई ठोस कारण होना चाहिए। चयनित दल को देखते हुए इसकी प्रबल संभावना है कि रोहित और कोहली दोनों ही आगामी टी20 विश्व कप का हिस्सा होंगे जिन्होंने पिछले टी20 विश्व कप के बाद एक भी टी20 अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबला नहीं खेला है।

2018 के बाद से ही टी20 क्रिकेट में एक भी ऐसा साल नहीं रहा है जब रोहित ने 140 के ऊपर के स्ट्राइक रेट से बनाए हों। आईपीएल में भी उनसे कप्तानी वापस ले ली गई है।

कोहली ने पिछले IPL में मिडिल ओवर्स के दौरान स्पिन के ख़िलाफ़ 124 गेंदें खेली और उन्होंने सिर्फ़ 110 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए। जबकि सूर्यकुमार ने मिडिल ओवर्स में स्पिन के ख़िलाफ़ 148 गेंदें खेली और उन्होंने 59 गेंदों पर बाउंड्री लगाने की कोशिश की। पूरे IPL में उन्होंने मिडिल ओवर्स में स्पिन के ख़िलाफ़ हर 3.43 गेंद पर बाउंड्री लगाने की कोशिश की जोकि कोहली की तुलना में बेहतर आंकड़ा है। कोहली ने हर 3.88 गेंद पर बाउंड्री लगाने का प्रयास किया।

यह कुछ बेसिक और ज़ाहिर पहलू हैं जो हम इंगित कर सकते हैं। हालांकि चयनकर्ता और टीम मैनेजमेंट अधिक एडवांस मेट्रिक्स से लैस होंगे, जो आपको बताएंगे कि इन दो खिलाड़ियों के लिए एक इलेवन भी काफ़ी छोटा है। इस मामले में निर्णय लेने वाले लोग वैसे स्मार्ट पूर्व क्रिकेटर हैं जोकि लापरवाही नहीं बरतते। चयन के बाद प्रेस वार्ता ना होने के चलते हमें संभावित कारणों पर गौर करना चाहिए।

हार्दिक पंड्या चोटिल हैं। उनकी फ़िटनेस और उपलब्धता को लेकर संशय बना रहा है। हार्दिक की अनुपस्थिति में सूर्यकुमार यादव ने ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ टी20 में कप्तानी की लेकिन अब वह भी चोटिल हैं।

रोहित और कोहली की वापसी से यह तय है कि तिलक वर्मा, श्रेयस अय्यर और रिंकू सिंह को एक साथ प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिले। यहां तक कि शुभमन गिल भी इस फ़ैसले से प्रभावित हो सकते हैं जिन्होंने पिछले IPL में बेहतरीन इंटेंट के साथ टी20 में अपनी क्षमता को साबित किया था। ये कुछ ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने टीम को एक बेहतर ढांचा दिया है। चाहे वो बतौर बाएं हाथ का बल्लेबाज़ हो, स्पिन हिटर या फिर एक फ़िनिशर।

अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ टी20 श्रृंखला में रोहित और कोहली के खेल पर सबकी नज़रें होंगी। अगर वे टी20 फ़ॉर्मैट के अनुरूप नहीं खेल पाते हैं तो इन दोनों या दोनों में से किसी एक के बाहर होने की गुंजाइश अभी भी बची हुई है। इन दोनों को वास्तव में अपनी जगह अर्जित करनी होगी। कोहली की तुलना में रोहित के लिए यह ज़्यादा आसान रह सकता है क्योंकि उनका नैचुरल गेम इस फ़ॉर्मैट को सूट करता है। हालांकि कम से कम इस समय यह बातें उम्मीदों के स्तर पर ही हैं।

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सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo के वरिष्ठ लेखक हैं