विस्फोटक बल्लेबाज़ी के लिए पहचान रखने वाले पृथ्वी शॉ का दिखा परिपक्व शो
रणजी ट्रॉफ़ी फ़ाइनल के पहले दिन कप्तान ने मुंबई को अच्छी शुरुआत दिलाई

रणजी ट्रॉफ़ी 2021-22 के फ़ाइनल से पहले मुंबई के कप्तान पृथ्वी शॉ अपनी उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए थे। पांच मैचों में 33 की औसत से 264 रन बनाकर वह संतुष्ट नहीं थे। फ़ाइनल से पहले प्रेस कॉन्फ़्रेंस में उन्होंने मज़ाक़ करते हुए शिक़ायत की थी कि आजकल अर्धशतक बनाने के बाद कोई उन्हें बधाई नहीं देता है।
अब तक के अपने प्रथम श्रेणी करियर में पृथवी को आक्रामक शॉट खेलने और ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी करने के लिए जाना जाता है। उनके प्रथम श्रेणी आंकड़े बताते हैं कि पृथ्वी अपने करियर में 82.09 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं। रणजी ट्रॉफ़ी के इस सीज़न में अब तक उन्होंने इसी अंदाज़ को बरक़रार रखा था लेकिन फ़ाइनल के पहले दिन उन्होंने अपनी परिपक्वता का परिचय दिया।
चिन्नास्वामी स्टेडियम की पिच पर टॉस जीतने के बाद तेज़ गेंदबाज़ी के लिए अनुकूल परिस्थितियों में उन्होंने पहले बल्लेबाज़ी करने का निर्णय लिया। बेंगलुरु के मौसम को ध्यान में रखते हुए शायद यह मैच पहली पारी की बढ़त के आधार पर तय हो सकता है। इसलिए पहली पारी में बड़ा स्कोर खड़ा करना अहम है और कप्तान इस बात को जानते थे।
अपनी पारी की तीसरी ही गेंद पर पृथ्वी ने फ़्लिक के सहारे स्क्वेयर लेग क्षेत्र में अपना पहला चौका जड़ा। हालांकि इसके बाद उन्होंने हरकत करती गेंद के ख़िलाफ़ अपना समय लिया और पारी को आगे बढ़ाया। उन्हें भाग्य का साथ भी मिला जब कुमार कार्तिकेय की अंदर आती गेंद उनके फ़्रंटफ़ुट डिफ़ेंस में बल्ले का अंदरूनी किनारा लेकर शॉर्ट लेग के फ़ील्डर के सिर के ऊपर से निकल गई। चार ओवर बाद गौरव यादव की आउट स्विंग गेंद पर जब वह ड्राइव लगाने गए तब बल्ले का बाहरी किनारा लेकर गेंद दूसरी स्लिप और गली के बीच से निकल गई। इसके बावजूद पृथ्वी एक छोर पर डटे रहे।
उनकी सबसे कठिन परीक्षा हुई गौरव के अगले ओवर में। पहली लेंथ गेंद ऑफ़ स्टंप के बाहर पड़कर तेज़ी से अंदर आई और वह ग़लत लाइन खेलते समय बीट हुए। अगली गेंद ऑफ़ स्टंप के बाहर फ़ुल थी और वह इस बार बाहरी किनारे पर बीट हुए। ओवर की तीसरी और पांचवीं गेंद पर वह आक्रामक शॉट लगाने के प्रयास में बीट हुए। यह ऐसा ओवर था जिसमें अच्छे से अच्छा बल्लेबाज़ आउट हो सकता था लेकिन पृथ्वी बच गए।
इस ओवर के बाद उनके अंदाज़ में एक बदलाव सा आया और उन्होंने सूझबूझ भरी बल्लेबाज़ी की। अब वह शरीर से दूर की गेंदों पर प्रहार नहीं कर रहे थे और अच्छी गेंदों को सम्मान दे रहे थे। प्रहार करने के लिए प्रख्यात पृथ्वी एक समय 42 गेंदों पर 19 रन बनाकर खेल रहे थे लेकिन वह जानते थे कि टीम को रनों की नहीं बल्कि मुश्किल परिस्थितियों में विकेट बचाकर रखने की ज़रूरत थी।
समय लेकर सेट होने के बाद शॉ ने गियर बदला। उन्होंने विपक्षी टीम के सबसे घातक गेंदबाज़ कार्तिकेय को निशाना बनाया। कार्तिकेय के दूसरे स्पेल की दूसरी ही गेंद पर पृथ्वी ने क़दमों का इस्तेमाल करते हुए फ़्लाइटेड गेंद को मिडऑफ़ के सिर के ऊपर से छक्के के लिए भेज दिया। उन्हें अंदाज़ा था कि कार्तिकेय अपनी लेंथ पीछे खींचेंगे और तुरंत बैकफ़ुट पर जाकर उन्होंने अगली गेंद को कट करते हुए लगातार दूसरी बाउंड्री लगाई।
पृथ्वी अपने असली रंग में आ ही रहे थे जब अनुभव अग्रवाल की अंदर आती अद्भुत गेंद को स्ट्रेट ड्राइव लगाने के प्रयास में वह बोल्ड हो गए। हालांकि आउट होने से पहले पृथ्वी ने अपना काम कर दिया था। यशस्वी जायसवाल के साथ उन्होंने पहले विकेट के लिए 87 रन जोड़े और इस निर्णायक मुक़ाबले में अपनी टीम को शानदार शुरुआत दिलाई।
हालांकि जायसवाल के अर्धशतक और सरफ़राज़ ख़ान के नाबाद 40 रनों के बाद भी मुंबई पहले दिन को अपने नाम नहीं कर पाई। पहले दिन के खेल के बाद मुंबई ने पांच विकेट के नुक़सान पर 248 रन बना लिए हैं और मैच बराबरी पर फंसा हुआ है।
भले ही पृथ्वी अर्धशतक बनाने से वंचित रह गए, लेकिन पूरा विश्वास है कि टीम में ऐसा कोई नहीं होगा जिसने उन्हें इस महत्वपूर्ण पारी के लिए बधाई नहीं दी होगी।
अफ़्ज़ल जिवानी (@jiwani_afzal) ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं।
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