Features

यूपी की रोमांचक जीत पर करण शर्मा : मुझे पता था कि मैं कर सकता हूं

करण रिटायर्ड हर्ट हो गए थे लेकिन अपनी टीम को मुश्किल में देख वह दोबारा बल्लेबाज़ी करने आए

जीत के बाद अपने साथियों के साथ सेल्फ़ी लेते नीतीश राणा  ESPNcricinfo Ltd

रणजी ट्रॉफ़ी में सोमवार का दिन रोमांच से भरपूर रहा। कर्नाटका ने त्रिपुरा के ख़िलाफ़ एक बड़ा उलटफेर होने से ख़ुद को बचा लिया, उत्तराखंड के ख़िलाफ़ दिल्ली ने सात रन से जीत दर्ज की और मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में मुंबई के ऊपर उत्तर प्रदेश की टीम ने जीत दर्ज कर इस दिन को और रोमांचक बना दिया।

Loading ...

यूपी को अंतिम दिन जीत के लिए 83 ओवर में 195 रन चाहिए थे। हालांकि दो विकेट के नुकसान पर 120 रन बनाकर खेल रही यूपी के इसी स्कोर पर दो और विकेट गिर गए। लेकिन इससे भी बड़ा झटका यूपी को तब लगा जब जीत से महज़ 50 रन दूर होने के दौरान करण शर्मा को रिटायर्ड हर्ट होना पड़ा। उन्हें रिस्ट निगल हुआ था और इसकी पीड़ा असहनीय हो चली थी। जिसके चलते करण को मैदान छोड़ने पर मजबूर होना पड़ गया।

सलामी बल्लेबाज़ आर्यन जुयाल पहले ही 76 रन बनाकर आउट हो गए थे। जबकि पहली पारी के शतकवीर नीतीश राणा छह के निजी स्कोर पर पवेलियन लौट चुके थे। अब अक्षदीप नाथ और 20 वर्षीय समीर रिज़वी से यूपी की उम्मीदें बंधी हुई थीं।

करण के मैदान छोड़ने के आठ गेंद बाद ही ऑफ़ स्पिनर तनुष कोटियान की गेंद पर लॉन्ग ऑन को क्लियर करने गए रिज़वी भी आउट हो गए। उन्होंने पहली पारी में तीन छक्के लगाए थे लेकिन इस बार वह दोहरा नहीं पाए। अब यूपी के बस पांच विकेट बचे हुए थे, एक खिलाड़ी चोटिल था और 48 रन और बनाने थे। यूपी के कप्तान राणा ड्रेसिंग रूम में गए और उन्होंने करण से पूछा, "जाएगा?" करण बहुत पीड़ा में थे, इसलिए उन्होंने पेन किलिंग इंजेक्शन लिया। इंजेक्शन ने अपना असर दिखाना शुरु भी नहीं किया था कि कोटियान ने अराउंड द विकेट आकर शिवम शर्मा को पगबाधा कर दिया।

मुंबई अब जीत की दहलीज़ पर खड़ा था। भुवनेश्वर कुमार नए बल्लेबाज़ थे। पिछले तीन सीज़न से मुंबई के टॉप विकेट टेकर शम्स मुलानी दूसरे छोर पर थे। सिली प्वाइंट, एक फ़ाइन पहली स्लिप थी और एक फ़्लाई सेकेंड स्लिप भी घुटनों के बल था। फ़्लाइटेड गेंद को ब्लॉक करने के बाद भुवनेश्वर कट करने गए लेकिन वह पगबाधा हो गए। यूपी अब 154 पर 7 था, उसे अभी भी जीत के लिए 41 रन चाहिए थे।

करण ने बताया, "जब मैं रिटायर्ड हर्ट होकर आ गया था, तब नीतीश भाई ने कहा कि मुझे दोबारा बल्लेबाज़ी करने जाना होगा। उन्होंने कहा, 'जाना है तो जाना है।' उन्होंने मुझे दोबारा बल्लेबाज़ी के लिए काफ़ी प्रेरित किया। जब कप्तान ऐसा कहता है तो एक खिलाड़ी होने के नाते आपको पता होता है कि आपको टीम के लिए यह करना है। जब मुझे थोड़ा बेहतर महसूस हुआ, डिफ़ेंड करने में सक्षम हुआ और जब गेंद को अच्छी तरह से वॉच कर पा रहा था, इसी पल मुझे पता चल गया था कि मैं कर सकता हूं।"

राणा के इस सीज़न दिल्ली से यूपी आने से दो सीज़न तक करण ने ही यूपी का नेतृत्व किया था। वह इससे पहले भी अपनी टीम को मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकाल चुके थे। डेढ़ साल पहले ही, उन्होंने रणजी ट्रॉफ़ी के नॉक आउट मुक़ाबले में 213 रन चेज़ करते हुए अपनी टीम के लिए 93 रन बनाए थे। इससे कुछ ही समय पहले उन्होंने महाराष्ट्र के ख़िलाफ़ 357 रन चेज़ करने के दौरान 144 गेंदों पर 116 रन की पारी खेली थी।

सोमवार को करण रिटायर्ड हर्ट होने के 28 गेंद बाद ही कलाई पर पट्टी बांधकर मैदान में वापस लौट गए। टी होने में दस मिनट का समय ही बाक़ी था और उन्होंने सोचा कि अगर वह इन 10 मिनट को झेल जाते हैं तो उन्हें रिकवर करने के लिए 20 मिनट और मिल जाएंगे। यूपी ने टी से पहले 106 गेंदों में 29 रन ही बनाए थे और तीन विकेट भी गंवा दिए थे। अब उन्हें अंतिम सत्र में जीत के लिए 35 रन चाहिए थे और तीन विकेट बचे हुए थे। ज़ाहिर है किसी एक टीम का दावा अधिक मज़बूत नहीं था।

करण दर्द में होने के चलते ड्राइव नहीं कर पा रहे थे और बल्ले की ग्रिप पर भी पकड़ नहीं बना रहे थे।

करण ने कहा, "दर्द में होने के चलते मैं हर शॉट नहीं खेल सकता था, मेरा तो हाथ ही नहीं चल रहा था। ऐसे में मेरा पास डिफ़ेंस का ही विकल्प बचा था। मैं बल्ले को ग्रिप नहीं कर पा रहा था। अगर मेरा टॉप हैंड ही नहीं चल पा रहा था तो ऐसे में मैं बॉटम हैंड से कैसे खेल सकता था? अक्षदीप काफ़ी आशावान थे कि हम चेज़ कर सकते हैं। मैंने सोचा कि मैं एंकर का रोल अदा करूंगा और एक छोर पर खड़ा करूंगा क्योंकि मुझे अपने डिफ़ेंस पर भरोसा था। मेरे दिमाग में यही चल रहा था।"

यूपी धीरे धीरे लक्ष्य की ओर बढ़ रहा था। मुलानी की गेंद पर मिडवकेट बाउंड्री पर अक्ष द्वारा चौका लगाने के बाद अब यूपी को जीत के लिए सिर्फ़ 20 रन की दरकार थी। यह चौका भी 86 गेंद बाद आया था। हालांकि अभी एक और ट्विस्ट आना बाक़ी था।

कोटियान ने एक लेग स्लिप और शॉर्ट लेग के साथ अराउंड द विकेट गेंदबाज़ी जारी रखी और उन्होंने नाथ को पगबाधा आउट कर दिया। गेंद शायद लेग स्टंप को मिस करती हुई जाती लेकिन अंपायर ने उंगली खड़ी कर दी और मुंबई का खेमा एक बार फिर जोश से भर गया।

दो विकेट बचे थे और 19 रन बनाने थे। करण ने ओवर की पांचवीं और छठी गेंद पर सिंगल ढूंढना शुरु कर दिया। तीन रन बाद उन्होंने दिलेरी दिखाई, ग्रिप को जितना ज़ोर से वह पकड़ सकते थे उन्होंने पकड़ा और उन्होंने डीप मिडविकेट और वाइड लॉन्ग ऑन होने के बावजूद कोटियान को मिडविकेट के ऊपर से दो छक्के जड़ दिए।

करण ने कहा, "जब नाथ आउट हो गए तो मैंने ख़ुद से कहा कि मुझे कैसे भी यह करना है। मैंने अपनी आंखें बंद की और बैट को जितना संभव था उतनी ज़ोर से पकड़ लिया। मैंने अंदर से सोच लिया था कि कुछ भी हो ग्रिप को लूज़ नहीं पड़ने देना है। परिस्थिति ही ऐसी थी कि मुझे जोखिम लेना था। भाग्यवश उनकी ओर से ऑफ़ स्पिनर गेंदबाज़ी कर रहा था और मैंने ख़ुद को बैक करने का फ़ैसला किया।"

यूपी को अब जीत के लिए चार रन चाहिए थे। 70वें ओवर की दूसरी गेंद को करण ने लॉन्ग ऑन पर धकेला और दूसरे रन के लिए दौड़े लेकिन उन्हें एक रन से ही संतोष करना पड़ा। आक़िब ख़ान, कोटियान की अगली कुछ गेंदों पर ख़ुद को बचाने में सफल हो गए लेकिन अचानक ही एक मोटा बाहरी किनारा लगा और गेंद डीप थर्ड बाउंड्री की ओर गई और इतने में दोनों बल्लेबाज़ों ने तीन रन पूरे करते हुए यूपी को जीत दिला दी।

इस जीत के बाद करण ने कहा, "ये छह अंक बेहद ज़रूरी थे क्योंकि होम गेम काफ़ी मुश्किल होता है क्योंकि वहां पर कोहरा और ख़राब रोशनी काफ़ी चुनौती खड़ी कर देते हैं। ये अंक इसलिए भी ज़रूरी थे क्योंकि इससे पहले एक दो मैच ऐसे थे जहां हम अंक अर्जित कर सकरे थे। हम यह नहीं सोच रहे थे कि मैच किसके पक्ष में जा रहा है। एक टीम के तौर पर हमें विश्वास था। मुंबई की टीम ने पहले लीड उतारी और फिर लीड चढ़ाई, आप मानो या ना मानो 120 की बढ़त पर पार पाना और फिर टारगेट सेट करना आसान नहीं होता। और फिर उनके गेंदबाज़ों ने जैसी गेंदबाज़ी की, वो काबिले तारीफ़ है।"

रणजी ट्रॉफ़ी के इतिहास में यह यूपी की मुंबई के ख़िलाफ़ सिर्फ़ तीसरी जीत है। इससे पहले यूपी ने 2005-06 और 1997-98 में मुंबई को हराया था। इस जीत ने यूपी के अभियान को ज़िंदा किया ही लेकिन तीन मैचों से चला आ रहा मुंबई की जीत का कारवां भी थम गया।

Karan SharmaNitish RanaTanush KotianDelhi vs UttarakhandKarnataka vs TripuraMumbai vs UPRanji Trophy

विशाल दीक्षित ESPNcricinfo में सहायक एडिटर हैं