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रणजी ट्रॉफ़ी : मौसम की मार से परेशान उत्तर भारत की टीमें

कई टीमों ने रणजी ट्रॉफ़ी के शेड्यूल पर फिर से विचार करने की मांग की

रणजी ट्रॉफ़ी के तीसरे राउंड का पहला दिन भी ख़राब मौसम, कोहरा और अपर्याप्त रोशनी के कारण प्रभावित होने से अछूता नहीं रहा। इससे ख़ासकर उत्तर भारत में होने वाले मैच प्रभावित हुए। तीन मैचों (उत्तर प्रदेश बनाम बिहार, मेरठ; पंजाब बनाम त्रिपुरा, मोहाली और चंडीगढ़ बनाम गुजरात, चंडीगढ़) में पहले दिन एक भी गेंद नहीं फेंकी जा सकी, वहीं दिल्ली के पालम ग्राउंड में हो रहा सर्विसेज़ बनाम झारखंड मैच भी डेढ़ घंटे की देरी से शुरू हुआ।
इससे पहले उत्तर भारत में हुए रणजी ट्रॉफ़ी के पहले दो राउंड के मैच भी इन्हीं वजहों से ख़ासा प्रभावित हुए थे। इसमें हरियाणा बनाम राजस्थान, लाहली; चंडीगढ़ बनाम रेलवे, चंडीगढ़; जम्‍मू कश्‍मीर बनाम हिमाचल प्रदेश, जम्‍मू; दिल्‍ली बनाम पुडुचेरी, दिल्‍ली; उत्तर प्रदेश बनाम बंगाल, कानपुर; रेलवे बनाम पंजाब, मुल्‍लनपुर; दिल्‍ली बनाम जम्‍मू कश्‍मीर, जम्‍मू; और सर्विसेज़ बनाम राजस्थान, दिल्ली के मैच प्रमुख हैं।
इनमें से दो (हरियाणा बनाम राजस्‍थान और दिल्‍ली बनाम जम्‍मू कश्‍मीर) मैचों में सिर्फ़ 42-42 ओवर का ही खेल हो सका और एक भी पारी पूरी नहीं हो सकी। इसका ख़ामियाज़ा दोनों टीमों को भुगतना पड़ा और पहली पारी भी नहीं समाप्त होने के कारण उन्हें सिर्फ़ एक-एक अंक से संतोष करना पड़ा। अब इन ड्रॉ हुए अधूरे मैंचों का असर टीम के नॉकआउट क्वलिफ़िकेशन पर पड़ेगा, जिसके कारण कई टीमें चिंतित हैं।
ऐसे में अब रणजी टीमों के भीतर से आवाज़ भी उठने लगी है कि जनवरी के ठंड भरे मौसम में उत्तर भारत की टीमों को बाहर के (अवे) मैच दिए जाएं। उत्तर प्रदेश के कोच और पूर्व भारतीय क्रिकेटर व चयनकर्ता सुनील जोशी ने कहा है कि लगातार प्रभावित हो रहे मैचों की वजह से अब इसका हल निकालना ज़रूरी हो गया है।
जोशी ने ESPNcricinfo से बातचीत में कहा, "देखिए, अगर मैच ही पूरा नहीं हो पाए तो रणजी ट्रॉफ़ी जैसे बड़े टूर्नामेंट में टीमों को नुक़सान उठाना पड़ता है। मेरी यही सलाह है कि जहां पर कोहरा अधिक होता है, उन टीमों को घरेलू मैचों के बजाय पहले बाहर के मैच दिए जाएं। उत्तर भारत की टीमों को फ़रवरी में ही घरेलू मैच दिए जाएं, तब तक कोहरा भी कम हो जाता है। आप देखेंगे कि पिछले दो राउंड में कितने ही मैच कोहरे या ख़राब रोशनी से प्रभावित हुए हैं। कई मैच में तो एक भी पारी नहीं हो सकी।"
उत्तर प्रदेश के ख़िलाफ़ मेरठ में रणजी मुक़ाबला खेलने पहुंचे बिहार के खिलाड़ियों का पहला सवाल यही था कि यहां पर मौसम कैसा है और धूप पिछली बार कब निकली थी। इससे ना सिर्फ़ मैच बल्कि खिलाड़ियों का अभ्यास भी प्रभावित हुआ।
बिहार टीम के कप्‍तान आशुतोष अमन ने कहा, "हर कोई चाहता है कि उनका मैच पूरा हो और मौसम का मैच पर असर नहीं पड़े। हमें उम्‍मीद है कि मेरठ में होने वाला मैच पूरा हो सकेगा। मेरी यही सलाह है कि इसका अब हल निकालने की ज़रूरत है क्‍योंकि हर कोई मैच जीतने उतरता है, लेकिन कोई नहीं चाहता कि मौसम की वजह से मैच ड्रॉ हो जाए। अगर कोई हल है तो उम्‍मीद है BCCI इस बारे में ज़रूर सोचेगी।"
आपको बता दें कि पटना में हुए बिहार के दो घरेलू मैच भी ख़राब रोशनी और कोहरे की वजह से प्रभावित होने से नहीं बच सके थे। ये मैच भी कोहरे के कारण लगभग हर दिन देरी से शुरू हुए और फिर ख़राब रोशनी के कारण जल्दी समाप्त हुए।
उत्तर भारत में हो रहे मैचों से ना सिर्फ़ घरेलू बल्कि बाहर की टीमें भी प्रभावित हो रही हैं। राजस्थान के पहले दो मैच लाहली और दिल्ली में थे और दोनों ही मैच पूरे नहीं हो सके। इससे उनके कोच अंशू जैन निराश दिखे, जिनकी टीम विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल में पहुंचने के बाद रणजी ट्रॉफ़ी में भी अच्छा प्रदर्शन करना चाहती है। उनका मानना है कि ऐसे मौसम में उन्हें घरेलू मैच मिलते तो ज़्यादा बेहतर होता।
जैन ने कहा, "अगर उत्तर भारत में होने वाले हमारे मैच जनवरी के बाद से होते तो अधिक बेहतर होता। हमारे दो मैच पहले ही इससे प्रभावित हो चुके हैं। सबको पता है कि इस समय उत्तर भारत में कोहरे का प्रकोप होता है। अगर हम अपने घरेलू मैदान जयपुर में खेल रहे होते तो समस्या नहीं होती और खिलाड़ियों को पवेलियन के बजाय मैदान में समय बिताने का अधिक मौक़ा मिलता।"
उन्होंने आगे कहा, "हालांकि मैं यह नहीं कहता हूं कि रणजी ट्रॉफ़ी अक्तूबर में शुरू होना चाहिए। तब बहुत गर्मी होती है और इससे तेज़ गेंदबाज़ों को लंबा स्पेल करने में दिक्कत होगी। जनवरी का समय सही है, लेकिन तब जनवरी में उत्तर भारत में मैचों को कराने से बचना जाहिए। अगर उत्तर भारत के मैच 25 जनवरी के बाद हों तो वह सबसे उपयुक्त समय होगा।"
2018-19 सीज़न से पहले रणजी ट्रॉफ़ी, विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी (लिस्ट-ए टूर्नामेंट) और सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी (टी20 टूर्नामेंट) से पहले होता था। तब भारतीय घरेलू सीज़न अक्तूबर-नवंबर में शुरू होकर जनवरी-फ़रवरी तक चलता था। इसके बाद टी20 और लिस्ट-ए टूर्नामेंट खेले जाते थे। सर्विसेज़ के कप्तान रजत पालीवाल इसके एक और पक्ष को उजागर करते हैं, जिसमें IPL एक मुख्य क़िरदार है।
पालीवाल कहते हैं, "गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) तक उत्तर भारत में मौसम ऐसे ही टाइट रहता है, इसके बाद चीज़ें कुछ बेहतर होती हैं। हालांकि रणजी ट्रॉफ़ी का आयोजन पहले भी नहीं किया जा सकता क्योंकि आईपीएल नीलामी के कारण सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी और विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी अब पहले होते हैं। हां, अगर पहले तीन राउंड के मैच दक्षिण या पश्चिम भारत में हो, तो वह ज़्यादा बेहतर है। उत्तर भारत में फ़रवरी में मैच हों तो कोई दिक्कत नहीं है। हमारे पिछले ही मैच में हर दिन 15 से 20 ओवर कम हुए। जम्मू में बहुत ही कम ओवर हुए और कोटला, दिल्ली में भी हुआ मैच प्रभावित हुआ।"
पालीवाल इस समस्या का समाधान भी सुझाते हुए दिखते हैं। वह कहते हैं, "ऐसा भी हो सकता है कि सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी अक्तूबर में हो और फिर रणजी ट्रॉफ़ी नवंबर में शुरू हो जाए। इसके बाद विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी से सीज़न का अंत हो। ऐसी संभावनाओं पर भी विचार किया जा सकता है। मुझे उम्मीद है कि अगले सीज़न के लिए इस पर ज़िम्मेदारों द्वारा विचार किया जाएगा। किसी भी मैच में अगर ओवरों की कटौती होती है तो इससे खेल का परिणाम और मिलने वाले अंक प्रभावित होते हैं। यह संभावना अधिक होती है कि मैच का कोई परिणाम ना निकले और यह ड्रॉ हो।"
हालांकि सर्विसेज़ के ख़िलाफ़ खेल रहे झारखंड के बल्लेबाज़ी कोच सतीश सिंह इन सभी लोगों से उलट सोच रखते हैं। उनका मानना है कि यह प्रकृति का खेल है और इसमें ज़्यादा कुछ नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा, "अभी तक का हम लोगों का जो शेड्यूल है, वह सही है। भारत में प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलने का यह सबसे सही समय और मौसम है। भारतीय जलवायु के अनुसार इसे ना ज़्यादा पहले और और ना ही ज़्यादा बाद में किया जा सकता है। प्रकृति के साथ तो आप लड़ नहीं सकते। आप कहीं भी और कभी भी मैच कराएंगे, तो एक-दो मैच में ऐसा होगा ही। अगर आप अंकों के नुक़सान पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं तो इतने बड़े टूर्नामेंट में एकाध-दो मैच में ऐसा होगा ही। हमें एक टीम के रूप में इस शेड्यूल से कोई समस्या नहीं है।"

दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं।dayasagar95