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तेंदुलकर बनाम श्रीलंका : वनडे चैंपियन से पहली और सबसे यादगार मुलाक़ात

वैसे भारत के दिग्गज बल्लेबाज़ ने टेस्ट क्रिकेट में भी श्रीलंका के विरुद्ध कुछ कमाल की पारियां खेली हैं

श्रीलंका के विरुद्ध 2011 विश्व कप जीत में सचिन तेंदुलकर ने 18 रन बनाए थे  AFP

आख़िर वह समय आ ही गया है। रोड सेफ़्टी वर्ल्ड सीरीज़ (आरएसडब्ल्यूएस) के फ़ाइनल में इंडिया लेजेंड्स एक बार फिर भिड़ेंगे श्रीलंका लेजेंड्स से। वैसे इस साल श्रीलंकाई ख़ेमा बहुत मज़बूत नज़र आया है और उनसे पार पाने के लिए भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलियाई लेजेंड्स के ख़िलाफ़ किए गए प्रदर्शन को दोहराना होगा।

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यह तो बात हुई टीमों की, लेकिन यह इस सीज़न आख़िरी बार सचिन तेंदुलकर को बल्लेबाज़ी करते देखना का मौक़ा भी होगा। अगर आप हमारी साइट को फ़ॉलो करते हैं तो आपको पता होगा हमने हर बार इंडिया लेजेंड्स की विपक्षी टीम के साथ तेंदुलकर की कुछ ख़ास यादों को ताज़ा किया है। क्यों ना इसी को बरक़रार रखते हुए हम श्रीलंका के ख़िलाफ़ उनके रिकॉर्ड को भी एक बार याद करें?

एक बहुत ख़ास घरेलू मैच


अगर आप तेंदुलकर के करियर से परिचित हैं तो आपको पता होगा कि करियर के पहले चार सालों में उन्हें भारत में बहुत कम खेलने का मौक़ा मिला। इसमें एक अपवाद था श्रीलंका का 1990 में भारत दौरा, जिसमें चंडीगढ़ में खेले गए इकलौते टेस्ट में भारत की पारी की जीत में 17-वर्षीय तेंदुलकर ने केवल 11 बनाए।

वनडे सीरीज़ का दूसरा मैच पुणे के नेहरू स्टेडियम में खेला गया। कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन के पास पांच गेंदबाज़ी के विकल्प होते हुए भी उन्होंने तेंदुलकर से नौ ओवर करवाए। श्रीलंका की सलामी जोड़ी के 52 बनाने के बाद तेंदुलकर ने रोशन महानामा और दम्मिका राणातुंगा दोनों को आउट किया। बाद में भारत की चेज़ में पांचवें नंबर पर उतरकर अज़हर के साथ 80 रनों की साझेदारी में केवल 41 गेंदों पर 53 ठोके। उस दिन वनडे क्रिकेट में दो चीज़ें पहली बार हुईं - यह तेंदुलकर के वनडे करियर में 50 या उससे अधिक का पहला स्कोर था और वनडे में उनका पहला प्लेयर ऑफ़ द मैच ख़िताब भी। (वैसे इस मैच की कोई फ़ुटेज उपलब्ध नहीं थी, लेकिन जब श्रीलंका अगली बार 1994 की शुरुआत में भारत के पूरे दौरे पर आई तो तेंदुलकर ने जलंधर में एक मनोरंजक पारी खेली थी।)

फ़ाइल तस्वीर : 1993 में सचिन तेंदुलकर ने श्रीलंका में अपना पहला टेस्ट शतक जड़ा था  Graham Chadwick / Getty Images

1990 के दशक का सबसे क़ीमती टेस्ट शतक?


लगभग 19 साल पहले मैंने कॉमेंटेटर हर्षा भोगले से पूछा था कि 1980 के आसपास उनके करियर की शुरुआत से उनके लिए भारत का सबसे यादगार दौरा कौन सा था? उनका जवाब था 1993 में भारत का श्रीलंका दौरा, जिसे मैंने व्यक्तिगत तौर पर 11 साल की उम्र में केवल रेडियो और अख़बार के सहारे ही फ़ॉलो किया था।

कैंडी में आयोजित पहले टेस्ट में मौसम की वजह से केवल 12 ओवरों का खेल हो पाया।

कोलंबो में विनोद कांबली ने पहली पारी में शतक जड़ा, जिससे पहले उन्होंने लगातार टेस्ट पारियों में दोहरे शतक लगाए थे। भारत को अच्छी बढ़त मिली थी लेकिन तीन दिनों के खेल के बाद भारत को अपने 310 रनों की बढ़त को एक अजेय स्थिति में बदलना था। चौथे दिन नवजोत सिद्धू ने अपना सैंकड़ा पूरा किया लेकिन उसके बाद तेंदुलकर ने ज़बरदस्त बल्लेबाज़ी करते हुए अविजित 104 बनाए और भारत को मज़बूत स्थान पर ला खड़ा किया। यह उनके लिए पांचवें देश में अपना छठा टेस्ट शतक था। भारत ने 1986 के बाद पहली बार विदेशी धरती पर टेस्ट जीता। अगली ऐसी जीत भारत को 2000 में ही नसीब हुई और विदेश में पूरी सीरीज़ जीतने के लिए उन्हें 2004 तक इंतज़ार करना पड़ा।

फ़ाइल तस्वीर : 1996 में जब तेंदुलकर भारतीय कप्तान बने तो टीम में थोड़ी अस्थिरता थी  Getty Images

कप्तानी की भावभीनी शुरुआत


1996 में जब तेंदुलकर कप्तान बने तो टीम में थोड़ी अस्थिरता ज़रूर थी। हालांकि सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ के रूप में कुछ युवा खिलाड़ी टीम में आ चुके थे, विश्व कप और इंग्लैंड दौरे के बाद काफ़ी अनुभवी खिलाड़ी या तो टीम से बाहर जा चुके थे या उस दौरान फ़ॉर्म में नहीं थे।

इस सब के बीच चार देशों की सिंगर वर्ल्ड सीरीज़ के भारत के पहले ही मुक़ाबले में तेंदुलकर ने इस प्रश्न का जवाब दे दिया कि क्या कप्तानी उनकी बल्लेबाज़ी पर असर डालेगी। एक ज़िम्मेदाराना पारी में उन्होंने केवल पांच चौके और एक छक्का मारा लेकिन दूसरे छोर पर अज़हर के अलावा कोई बल्लेबाज़ ज़्यादा देर नहीं टिक पाया। आख़िरकार सनथ जयसूर्या ने चेज़ में ताबड़तोड़ शतक से मैच को एकतरफ़ा बनाकर छोड़ा।

35वें टेस्ट शतक के साथ सचिन तेंदुलकर ने सुनील गावस्कर को पीछे छोड़ा था  Raveendran / AFP

जब तेंदुलकर बने गावस्कर से भी अव्वल


2005 के दिल्ली टेस्ट में मैच से पहले सारा ड्रामा गांगुली के चयन को लेकर था। यह वह दौर था जब ग्रेग चैपल कोच बनकर आए थे, और ऐसे में गांगुली को कप्तानी के साथ टीम में जगह से हाथ धोना पड़ा। कोटला टेस्ट से पहले बीसीसीआई अध्यक्ष के हस्तक्षेप से उन्हें एकादश में स्थान दिया गया।

पहले दिन के आख़िरी ओवर में चामिंडा वास को फ़्लिक करते हुए तेंदुलकर ने टेस्ट में अपना 35वां शतक जड़ा। उनके जश्न के कारण दो थे - एक तो उन्होंने सुनील गावस्कर के 34 टेस्ट शतकों के रिकॉर्ड को तोड़ा था, और साथ ही ठीक 365 दिन बाद शुरू हुए किसी टेस्ट में 100 का आंकड़ा छूआ। वैसे उस वक़्त नॉन-स्ट्राइकर छोर पर पूर्व कप्तान गांगुली ही थे जो सबसे पहले उनके गले मिले।

भला नाक़ाम होना भी यादगार हो सकता है?


यक़ीन नहीं आता तो अप्रैल 2011 की बात सोच लीजिए। जब आप एक लक्ष्य का पीछा 19 साल से करते आए हैं और यह आपको मिल जाए तो क्या ही शतक और क्या ही 18 रन, क्यों?

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देबायन सेन ESPNcricinfo के सीनियर असिस्टेंट एडिटर और स्थानीय भाषा प्रमुख हैं।