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शेफ़ाली वर्मा: 'पिछला साल कठिन था, लेकिन मैंने मेहनत जारी रखी'

सेमीफ़ाइनल से ठीक पहले रिप्लेसमेंट के तौर पर चुनी गई शेफ़ाली ने फ़ाइनल में मैच जिताने वाला प्रदर्शन किया

शेफ़ाली वर्मा विश्व कप ट्रॉफ़ी के साथ  ICC/Getty Images

शेफ़ाली वर्मा ने रविवार को भारत की ऐतिहासिक विश्व कप जीत में अपनी अहम भूमिका पर बात करते हुए कहा कि पिछले एक साल की चुनौतियों से उबरने में लगातार मेहनत और एकाग्रता ने उनकी मदद की।

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चोटिल प्रतिका रावल के स्थान पर शामिल की गई 21 वर्षीय शेफ़ाली को फ़ाइनल में 87 रन बनाने और 36 रन देकर दो विकेट झटकने के लिए प्लेयर ऑफ़ द फ़ाइनल चुना गया था। भारत ने साउथ अफ़्रीका को 52 रनों से हराकर पहली बार विश्व कप ख़िताब जीता।

शेफ़ाली ने रोहतक (हरियाणा) में सम्मान समारोह के बाद पत्रकारों से कहा, "पिछला साल मेरे लिए बहुत कठिन था। मैंने कई संघर्ष झेले, लेकिन मैंने मेहनत जारी रखी और ईश्वर ने मेरे प्रयासों का फल दिया।"

शेफ़ाली को ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ सेमीफ़ाइनल से ठीक पहले भारतीय टीम में शामिल किया गया था। हालांकि उस मैच में वह बड़ी पारी नहीं खेल सकीं, लेकिन फ़ाइनल में उन्होंने बल्ले और गेंद दोनों से दमदार प्रदर्शन किया।

उन्होंने कहा, "जब मैं सेमीफ़ाइनल से पहले टीम से जुड़ी थी, तो मेरा केवल एक लक्ष्य था, भारत को विश्व कप जिताना। फ़ाइनल हमेशा एक बड़ा मंच होता है। शुरुआत में थोड़ी घबराहट थी, लेकिन फिर मैंने खुद को शांत रखा, अपनी रणनीति पर ध्यान दिया और उसे अच्छे से लागू किया। इसी ने मुझे ऑलराउंड प्रदर्शन करने में मदद की।"

रोहतक लौटने पर शेफ़ाली का प्रशंसकों और स्थानीय अधिकारियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने वहां मौजूद युवा लड़कियों को प्रेरित करते हुए कहा, "उन्हें हमेशा अपने चुने हुए क्षेत्र में कड़ी मेहनत करनी चाहिए और खुद पर विश्वास रखना चाहिए। नतीजे अपने आप मिलेंगे।"

भारतीय टीम ने इस जीत के साथ इतिहास रच दिया। यह भारत का पहला वैश्विक ख़िताब था। टीम ने टूर्नामेंट की शुरुआत में तीन लगातार हार झेली थीं, लेकिन इसके बाद शानदार वापसी की और ख़िताब जीता। शेफ़ाली, जो अक्सर सचिन तेंदुलकर को अपना आदर्श बताती हैं, ने अपने परिवार के निरंतर सहयोग के लिए भी आभार जताया।

फ़ाइनल को याद करते हुए उन्होंने कहा, "मैंने बस शांत रहकर अपनी योजनाओं पर अमल करने की कोशिश की और सब कुछ उम्मीद के मुताबिक़ हुआ। दिमाग़ में बस एक ही बात थी, देश के लिए इन सात घंटों में हमें अपना सब कुछ झोंक देना है।"

शेफ़ाली को शतक से चूकने का कोई अफ़सोस नहीं हुआ क्योंकि उनके लिए विश्व कप ट्रॉफ़ी उठाना ही सबसे अहम था।

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