शशांक सिंह: मुंबई के 'मैदानों' से निकलकर IPL हीरो बनने का सफ़र
32 साल की उम्र में शशांक के करियर को एक नई उछाल मिली है, लेकिन वह बिना ज़्यादा दूर की सोचे वर्तमान में ही जीना चाहते हैं

27 साल की उम्र तक शशांक सिंह के नाम एक भी प्रथम श्रेणी मैच नहीं था। उन्होंने मुंबई के 'मैदानों' में लगभग एक दशक तक संघर्ष किया था, लेकिन उनके नाम सीनियर क्रिकेट में कुछ लिस्ट ए और टी20 मैच ही जुड़ पाए थे। इसके बाद उन्होंने अपने गृहराज्य छत्तीसगढ़ से खेलने के लिए मुंबई को छोड़ने का निर्णय लिया।
छत्तीसगढ़ के लिए 2019-20 के अपने पहले साल में ही शशांक ने सीनियर क्रिकेट में छत्तीसगढ़ की मुंबई पर पहली जीत में एक अहम भूमिका निभाई और 40 गेंदों में 43 रन बनाए। इस दौरान उन्हें सूर्यकुमार यादव, शिवम दुबे और सरफ़राज़ ख़ान से स्लेज का भी सामना करना पड़ा, जिनसे वह पिछले साल मुंबई के मध्यक्रम में जगह पाने की लड़ाई लड़ रहे थे।
अब शशांक का मानना है कि छत्तीसगढ़ की ओर रूख़ करना उनके करियर का सबसे अहम फ़ैसला था। उनके IPS पिता शशांक को एक IAS अधिकारी बनाना चाहते थे, लेकिन शशांक ने क्रिकेटर बनने का लिया।
पिछले सप्ताह गुजरात टाइटंस के ख़िलाफ़ 29 गेंदों में 61 रनों की पारी खेल शशांक ने अपनी टीम पंजाब को एक अहम जीत दिलाई। इसके बाद शशांक रातों-रात एक स्टार बनकर उभरे हैं।
शशांक ने ESPNcricinfo से बात करते हुए कहा, "एक प्रोफ़ेशनल के रूप में आप गेम को फ़िनिश करना चाहते हैं। इस प्रदर्शन का बहुत सारा श्रेय शिखर धवन को जाता है, जिन्होंने पहले दिन से ही चीज़ों को विज़ुअल करना सिखाया। उनके अनुभव मेरे लिए बहुत उपयोगी थे।
फ़रवरी में डीवाई पाटिल टी20 टूर्नामेंट के दौरान धवन ने शशांक की कप्तानी में खेला था, जहां उनकी टीम में दिनेश कार्तिक भी थे। यहां पर धवन, शशांक की कप्तानी और बल्लेबाज़ी दोनों क्षमताओं से प्रभावित हुए थे। तभी उनको लगा था कि शशांक IPL का दबाव लेने को तैयार हैं और पंजाब टीम को ऐसे अनुभवी खिलाड़ी की सेवाओं का ज़रूर उपयोग करना चाहिए।
शशांक ने कहा, "किसी घरेलू खिलाड़ी को पहले ही मैच से मौक़े देना एक बड़ी बात है। अगर कप्तान आपके पास आता है और कहता है कि हम आपको बैक करेंगे तो आपके आत्मविश्वास पर एक बड़ा और सकारात्मक अंतर पड़ता है। जब वे आपको समर्थन देतें हैं, तो आपके ऊपर बड़े टूर्नामेंट का दबाव हट जाता है।"
शशांक की टूर्नामेंट की शुरुआत कुछ ख़ास नहीं हुई थी और वह दिल्ली कैपिटल्स के ख़िलाफ़ पहले मैच में गोल्डन डक (पहली गेंद पर शून्य) पर आउट हुए थे। अगले मैच से पहले वह नर्वस भी थे, जब शिखर उन तक आए और उनके कंधे को थपथपा कर बोला कि वह और टीम के निदेशक संजय बांगड़ उनका समर्थन करते रहेंगे।
"यह मेरे लिए बड़ी बात थी और इससे मुझे विश्वास मिला कि मैं इस स्तर पर खेल सकता हूं और अच्छा कर सकता हूं," शशांक ने बताया।
इसके बाद से शशांक ने फ़िनिशर के तौर पर बिना आउट हुए 21, 9 और 61 का स्कोर किया है, जिसका उन्होंने शुरुआत से ही अभ्यास किया है।
शशांक बताते हैं, "चाहे वह लोकल ट्रेन से लंबी दूरी की यात्रा हो या फिर मैचों और ट्रेनिंग के लिए भटकना हो, बॉम्बे का संघर्ष मेरे लिए बहुत मायने रखता है। जब आप मैदान पर प्रदर्शन करते हैं, तभी इन संघर्षों का मूल्य है।"
"किसी घरेलू खिलाड़ी को पहले ही मैच से मौक़े देना एक बड़ी बात है। अगर कप्तान आपके पास आता है और कहता है कि हम आपको बैक करेंगे तो आपके आत्मविश्वास पर एक बड़ा और सकारात्मक अंतर पड़ता है। जब वे आपको समर्थन देतें हैं, तो आपके ऊपर बड़े टूर्नामेंट का दबाव हट जाता है।"शशांक सिंह
शशांक आगे बताते हैं, "मैं डीवाई पाटिल में सालों से खेलता आ रहा था और मुंबई की टीम में जगह बनाने के लिए मुझे ढेरों रन बनाने पड़ते थे। उस समय मुंबई के मध्य क्रम में जगह बनाना आसान नहीं था क्योंकि वर्तमान भारतीय खिलाड़ी सूर्यकुमार, श्रेयस अय्यर, सरफ़राज़ और शिवम दुबे तब उस मध्यक्रम का हिस्सा थे। सभी अच्छा कर रहे थे और यह बहुत कठिन था। एक ही चीज़ थी, जिससे मुझे बहुत ताक़त मिलती थी और वह था मेरा ख़ुद पर विश्वास। मुझे विश्वास था कि मैं इनके बीच भी जगह बनाने के योग्य हूं। ये सब चीज़ें मुंबई क्रिकेट से मिली हैं।
"जब मैं मध्य प्रदेश क्रिकेट में एज ग्रुप क्रिकेट खेल रहा था तो वहां मेरे लिए कोई प्रतिस्पर्धा नहीं थी। मुंबई में मुझे रियालिटी चेक मिला। जब भी मैं मुंबई के बल्लेबाज़ों को बल्लेबाज़ी करते हुए देखता था तो मुझे लगता था कि इनके क़रीब कोई नहीं है। लेकिन मैंने अपेन दिवंगत कोच स्वर्गीय विद्या परड़कर और अबे कुरूविला के साथ कड़ी मेहनत की और अपने आपको भी उनके क़रीब लाया।"
इससे पहले शशांक दिल्ली कैपिटल्स, राजस्थान रॉयल्स का हिस्सा थे, लेकिन उन्हें पहली बार 2022 में सनराइज़र्स हैदराबाद के लिए खेलने को मिला। हैदराबाद के लिए उन्होंने अपनी पहली पारी में गुजरात के ख़िलाफ़ नाबाद छह गेंदों में 25 रन बनाए, लेकिन अगले चार मैचों में वह असफल रहे और अपनी जगह खो बैठे।
उस सीज़न चेन्नई सुपर किंग्स के ख़िलाफ़ मैच के बाद शशांक ने महेंद्र सिंह धोनी से बात की थी, जो उनके बहुत काम आई।
शशांक ने बताया, "माही भाई ने मुझे बताया कि अगर आप फ़िनिशर के तौर पर अपनी टीम को 10 में से दो मैच भी जिताते हो तो आप सफल हो। इससे मुझे बहुत आत्मविश्वास मिला और मैंने उन क्षेत्रों का चुनाव किया, जहां पर मुझे काम करना था। इसके बाद मैंने अपने कोचों के साथ काम करना शुरू किया।"
उन्होंने कहा, "नंबर छह या सात पर बल्लेबाज़ी करने के लिए आपको मानसिक रूप से बहुत सक्रिय होना पड़ता है। आपको अधिकतम छह या आठ गेंदें मिलती हैं, इसलिए आपको एंगल और पेस का प्रयोग करने आना चाहिए। हम नेट्स पर भी इसी तरह अभ्यास करते हैं कि हमें 15-20 मिनट से अधिक बल्लेबाज़ी नहीं मिलेगी। यह मुख्यतः दिमाग़ का खेल है।"
गुजरात के ख़िलाफ़ अपनी मैच-जिताऊ पारी के बारे में बात करते हुए शशांक ने कहा, "मैच से एक दिन पहले शाम को मैंने राशिद ख़ान और नूर अहमद के ढेर सारे वीडियो देखे थे। मुझे योजना बनानी थी कि उनकी गेंदों को कैसे पढ़ना है। मैच के दौरान नूर की एक गेंद पर मैं पगबाधा होने से बाल-बाल बचा। इसके बाद मैंने आक्रमण करने का फ़ैसला किया। मुझे पता था कि अगर मैं थोड़ा भी रक्षात्मक रहूंगा, वह मुझे खा लेगा। यह सबकुछ माइंडसेट और इंटेंट का मामला है।"
पंजाब टीम के माहौल के बारे में बात करते हुए शशांक ने कहा, "मैदान पर जो भी हो, हम उसको मैदान में ही छोड़कर आते हैं। टीम रूम और टीम बस में हमेशा पंजाबी गानें चलते हैं और हम हमेशा क्रिकेट, मूवी और गानों की बातें करते रहते हैं। सभी लोग एक बेहतर मानसिक स्थिति में हैं और इससे अच्छा प्रदर्शन करने में मदद मिलती है।"
32 साल की उम्र में शशांक के करियर को एक नई उछाल मिली है, लेकिन वह बिना ज़्यादा दूर की सोचे वर्तमान में ही जीना चाहते हैं।
शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं
Read in App
Elevate your reading experience on ESPNcricinfo App.