कुछ लोग मुझसे जलते थे इसलिए मुझे अपनी चमड़ी मोटी करनी पड़ी : रवि शास्त्री
'वे हमेशा चाहते थे कि मैं असफल हो जाऊं'

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री ने इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) के नवनियुक्त प्रबंध निदेशक रॉब की को एक अहम सलाह दी है। शास्त्री ने कहा कि इस पद पर काम करने के लिए रॉब को अपनी चमड़ी मोटी करनी होगी, ताकि जलने वाले जलते ही रहे।
'द गॉर्डियन' से बात करते हुए शास्त्री ने कहा कि उनके कार्यकाल के समय भारत में एक ऐसा भी 'गैंग' था, जो हमेशा चाहता था कि वह असफल हों। उन्होंने कहा, "टीम इंडिया का कोच बनने से पहले मेरे पास कोई कोचिंग बैज लेवल-1, लेवल-2 नहीं था। कुछ लोग हमेशा चाहते थे कि मैं असफल हो जाऊं। लेकिन मेरी चमड़ी ड्यूक गेंद से भी मोटी है, इसलिए मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा। रॉब को भी ऐसा करने की ज़रूरत होगी। उन्हें केंट की ओर से लंबी कप्तानी का अनुभव है तो मुझे उम्मीद है कि वह अपने खिलाड़ियों से बेहतर संवाद स्थापित करेंगे।"
ग़ौरतलब है कि रॉब भी शास्त्री की तरह एक प्रमुख कॉमेंटेटर रह चुके हैं। शास्त्री ने यह भी कहा कि इंग्लैंड क्रिकेट में सुधार करने के लिए रॉब को पूर्व टेस्ट कप्तान जो रूट से चर्चा करना चाहिए। उन्होंने कहा, "इंग्लिश क्रिकेट की खामियों को समझने के लिए रॉब को निश्चित तौर पर रूट से एक लंबी चर्चा करनी चाहिए। इसके अलावा रॉब का कॉमेंट्री अनुभव भी इसमें बहुत काम आएगा क्योंकि एक कॉमेंटेटर के तौर पर वह इंग्लैंड क्रिकेट को बहुत नज़दीक से देखते आए हैं।"
शास्त्री ने यह भी कहा कि बेन स्टोक्स को इंग्लैंड टेस्ट टीम का अगला कप्तान नियुक्त किया जाना चाहिए। शास्त्री ने कहा कि इंग्लैंड टीम को विदेशों में टेस्ट सीरीज़ जीतने का लक्ष्य सेट करना होगा और इसके लिए टीम संस्कृति विकसित करने की ज़रूरत होगी, खिलाड़ियों में विश्वास जगाना होगा कि वे बेहतर प्रदर्शन कर कहीं भी जीत सकते हैं। यह माइंडसेट बदलने की भी बात है।
उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में 2-1 से टेस्ट सीरीज़ जीतने की भी घटना को याद करते हुए कहा, "मैंने खिलाड़ियों से कहा था कि वे ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को पूरी आक्रमकता से जवाब दें। अगर वे आपको एक बार स्लेज़ करते हैं तो आप उनको तीन बार करो, दो बार अपनी भाषा में और एक बार उनकी भाषा में। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट मैच जीतने के लिए आपके तेज़ गेंदबाज़ों को 20 विकेट लेने की भी ज़रूरत होती है और उसके लिए आक्रमकता व क्रूरता दोनों ज़रूरी है।"
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