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ड्रिफ़्ट, स्विंग, क्रैंप : किस तरह फ़िंगर स्पिनर्स ने इस टी20 विश्वकप में एक अलग छाप छोड़ी है

इमाद वसीम ने तो अपनी तेज़ और ड्रिफ़्ट लेती हुई गेंदों से बल्लेबाज़ों को पावरप्ले में भी बांधे रखा है, और बन गए हैं इस विश्वकप के पोस्टर ब्वॉय

इमाद वसीम ने इस टी20 विश्वकप में 5.23 की इकॉनमी से गेंदबाज़ी की है जबकि पावरप्ले में उनकी इकॉनमी 5.66 की रही है  AFP/Getty Images

पाकिस्तान के लिए इमाद वसीम नई गेंद से गेंदबाज़ी करते हैं। बाएं हाथ का यह गेंदबाज़ ड्रिफ़्ट के साथ दाएं हाथ के बल्लेबाज़ के लिए गेंद को अंदर लाते हैं। इस टी20 विश्वकप में पाकिस्तान की बेहतरीन गेंदबाज़ी आक्रमण के एक बेहतरीन अंग हैं इमाद वसीम। गुरुवार को दूसरे सेमीफ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ उनका पावरप्ले में स्पेल बेहद अहम साबित हो सकता है।

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वैसे तो इमाद वसीम ने सभी फ़ॉर्मैट को मिलाकर 100 से ज़्यादा मैच खेले हैं, लेकिन इस विश्वकप में वह एक अलग पहचान बनाते हुए नज़र आ रहे हैं। बाएं हाथ के इस स्पिन गेंदबाज़ की स्टॉक गेंद की सीम पहली स्लिप की ओर रहती है और जब वह गेंद डालते हैं तो उसमें ओवर स्पिन और साइड स्पिन का मिश्रण भी देखा जा सकता है।

उनकी आर्म गेंद को देखें तो वह सामने वाले उंगली से उसपर बैकस्पिन लाते हैं और सीम सीधी रखते हैं जो थोड़ा सा फ़ाइन लेग की दिशा में रहती है। जिससे कि हवा में गेंद स्विंग होती है और दाएं हाथ के बल्लेबाज़ के लिए अंदर की ओर आती है। पिच पर टप्पा खाकर यह तेज़ी से स्किड करते हुए कोण के साथ अंदर आती है।

इमाद की विविधता भरी गेंदबाज़ी की वजह से बल्लेबाज़ उनके ख़िलाफ़ खुलकर शॉट नहीं लगा पाते हैं, जिसकी वजह से वह पावरप्ले में बेहद कारगर साबित होते हैं।

 Kshiraja Krishnan / ESPNcricinfo Ltd

विराट कोहली और मिचेल सैंटनर के बीच की जंग तो इस बार के टी20 विश्वकप की सबसे बड़ी सुर्ख़ियों में से एक रही है, जब सैंटनर के ख़िलाफ़ कोहली ने सुपर-12 के मुक़ाबले में दस गेंदों पर महज़ पांच रन बनाए थे। कोहली लगातार फ़िराक़ में थे कि पीछे जाकर रूम बनाया जाए और ऑफ़ साइड में शॉट खेला जाए, लेकिन सैंटनर क्रीज़ के कोने से जाकर और कोण के साथ बल्लेबाज़ को क्रैंप कर रहे थे।

सफ़ेद गेंद से और ख़ासतौर से टी20 क्रिकेट में बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज़ की रणनीति होती है कि दाएं हाथ के बल्लेबाज़ों को रूम बनाने की जगह न दी जाए, ताकि वह हाथ खोलते हुए स्पिन के साथ या स्पिन के ख़िलाफ़ कोई बड़ा शॉट आसानी से न लगा पाए और यह तब और भी अहम हो जाता है जब स्पिन गेंदबाज़ पावरप्ले में गेंदबाज़ी कर रहे हों क्योंकि तब सिर्फ़ दो ही खिलाड़ी 30 गज़ के दायरे से बाहर रह सकते हैं।

आर अश्विन कई बार दाएं हाथ के बल्लेबाज़ों को इन स्विंगिंग रिवर्स कैरम गेंद डालते हैं और बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों के लिए उनके पास पारंपरिक आर्म गेंद है  BCCI

आर अश्विन को अगर आप देखें तो उनके पास रिवर्स कैरम गेंद का विकल्प भी मौजूद है, जो दाएं हाथ के बल्लेबाज़ के लिए इन स्विंग जैसी गेंद होती है। जबकि बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों के लिए अश्विन कई बार पारंपरिक आर्म गेंद का भी इस्तेमाल करते हैं। अश्विन अक्सर क्रीज़ के काफ़ी वाइड जाकर गेंद डालते हैं ताकि कोण के साथ गेंद अंदर की ओर आ सके और बल्लेबाज़ों के पास हाथ खोलने का मौक़ा न रहे।

टी20 के इतिहास पर अगर बारीकी से नज़र डाली जाए तो आप पाएंगे कि समय और परिस्थितियों के साथ गेंदबाज़ी का तरीक़ा भी बदलता गया है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की पिचों पर फ़िंगर स्पिनर्स कोण के साथ गेंद को अंदर लाने पर ध्यान देते हैं ताकि बल्लेबाज़ों को क्रैंप किया जा सके। जबकि अगर पिच फ़्लैट हो तो फिर वही गेंदबाज़ ऑफ़ स्टंप के बाहर गेंद डालना मुनासिब समझते हैं, ताकि बल्लेबाज़ की पहुंच से गेंद को दूर रखा जाए।

अकील हुसैन की आर्म गेंदों पर ऐरन फ़िंच को शरीर के काफ़ी पास से खेलना पड़ा और नतीजा ये हुआ कि वह प्ले-डाउन हो गए  ICC via Getty

टी20 में ठीक इसी तरह सुनील नारायण ओवर द विकेट से बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों को गेंदबाज़ी करते हैं और कुछ उन्हीं की शैली में भारत के क्रुणाल पंड्या भी फ़्लैट पिचों पर ऑफ़ स्टंप के बाहर यॉर्कर को बड़े हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। टी20 विश्वकप में इस बार की परिस्थितियां भी कुछ ऐसी हैं जिसने फ़िगर स्पिनर्स को कुछ अलग करने और सोचने पर अमादा कर दिया।

इसका एक अच्छा उदाहरण हैं स्कॉटलैंड के बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज़ मार्क वॉट, जो क्रीज़ का अद्भुत इस्तेमाल तो करते ही हैं साथ ही साथ वह पावरप्ले के दौरान नई गेंद से किसी सीम गेंदबाज़ की तरह भी गेंद डालते हैं, जो हवा में लहराती हुई दाएं हाथ के बल्लेबाज़ के लिए अंदर की ओर आती है।

अगर कोविड-19 की वजह से टी20 विश्वकप यूएई में स्थानांतरित न हुआ होता तो शायद हम और भी ज़्यादा प्रयोग देख सकते थे, हालांकि दूसरी तस्वीर ये भी हो सकती थी कि तब फ़िंगर स्पिनर्स का चयन भी कम ही होता। वैसे एक बात तो है कि यूएई में टी20 विश्वकप होने से फ़ायदा पाकिस्तान और इमाद वसीम को ज़रूर हुआ, क्योंकि यूएई उनका दूसरा घर ही है और सालों से वे इन परिस्थितियों में खेल रहे हैं। सवाल यह भी है कि अगर पाकिस्तान ज़्यादा क्रिकेट अपने घर में ही खेल रहा होता तो फिर क्या इमाद वसीम ऐसा नाम बना पाते ?

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कार्तिक कृष्णास्वामी ESPNcricinfo में सीनियर सब-एडिटर हैं, अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट सैयद हुसैन ने किया है।