Features

मोंगा : टी20 क्रिकेट खेलने के अपने अंदाज़ से भारत मार खा गया

दो महत्वपूर्ण मैच में टॉस के समय भाग्य ने भी उनका साथ नहीं दिया

हां या ना? क्या विराट कोहली अब दबाव में प्रदर्शन नहीं कर पाते? गौतम गंभीर का फ़ैसला

हां या ना? क्या विराट कोहली अब दबाव में प्रदर्शन नहीं कर पाते? गौतम गंभीर का फ़ैसला

भारत और न्यूज़ीलैंड के मैच से जुड़े अहम सवालों के जवाब दे रहे हैं गौतम गंभीर

पाकिस्तान के ख़िलाफ़ विश्व कप क्रिकेट में मिली पहली हार के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस में भारतीय कप्तान विराट कोहली से पूछा गया कि क्या रोहित शर्मा की जगह इशान किशन को टीम में शामिल किया जाना चाहिए। सत्ताधारी कोहली ने उस विचार पर उनका मज़ाक उड़ाया, जिसके बाद सब हंस पड़े और उस रिपोर्टर के पास कहने को कुछ नहीं था। किंग कोहली ने उस व्यक्ति को सबक़ सिखाया और उनपर मीम बनने शुरू हो गए। कप्तान ने अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखते हुए उस रिपोर्टर को कोई अपशब्द नहीं कहा जिस बात की दाद देनी चाहिए।

Loading ...

अगर कोई व्यक्ति यह सोचता है कि कोहली और रोहित शर्मा किसी टी20 टीम के लायक़ नहीं है तो वह साफ़ शब्दों में उनकी निंदा करने के बराबर है। वह दोनों एक छोर पर सूझबूझ भरी बल्लेबाज़ी करने के लिए जाने जाते हैं और पिछले कुछ वर्षों में टी20 क्रिकेट में स्पिन के ख़िलाफ़ उन्होंने संघर्ष किया है। अगर वह दोनों साथ मिलकर बल्लेबाज़ी करते हैं तो रन गति धीमी हो जाती है। आईपीएल में यह अंदाज़ कारगर साबित होता है क्योंकि अपनी टीम में वह इस तरह से खेलने वाले इकलौते बल्लेबाज़ हैं। कोहली के पास जोखिम उठाने और बड़े शॉट लगाने के लिए एबी डीविलियर्स मौजूद हैं जबकि मुंबई इंडियंस का पूरा बल्लेबाज़ी क्रम बड़े शॉट लगाने में माहिर है।

देखा जाए तो भारत इन दोनों के कारण टूर्नामेंट से बाहर होने की कगार पर नहीं खड़ा है। लेकिन सच बात यह भी है कि टी20 टीम में उनकी जगह पर सवालिया निशान ना उठा पाना इस प्रारूप के प्रति भारत ने नज़रिए को साफ़ दर्शाता है।

इस साल भारत की क़िस्मत अच्छी थी। अगर किसी विश्व कप में एंकरों से भरा उनका शीर्ष क्रम काम कर सकता था तो वह यह टूर्नामेंट था। यह उन मैचों के लिए बनाई गई टीम थी जहां 150 रन मैच जिताऊ स्कोर होता है। उनके पास संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की धीमी पिचों के लिए सही गेंदबाज़ों के साथ-साथ कम से कम जोखिम लेकर रन बटोरने वाले बल्लेबाज़ थे। इसलिए उन्हें ट्रॉफ़ी का एक प्रबल दावेदार माना जा रहा था।

न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ अहम मुक़ाबले में बिखर गया भारत का टॉप और मिडिल ऑर्डर

न्यूज़ीलैंड से हार के बाद भारत का सेमीफ़ाइनल में जाने का रास्ता हुआ कठिन

आईपीएल 2021 के दौरान पहले से ही बड़े पैमाने पर इन पिचों का इस्तेमाल हो चुका था लेकिन अक्तूबर में शाम 6 बजे मैच शुरू होने का मतलब यह है कि पहली पारी के बाद ही भारी मात्रा में ओस का आगमन होता है। इसके चलते लक्ष्य का पीछा करने वाली टीमों को फ़ायदा पहुंचता है। न्यूज़ीलैंड द्वारा भारत को हराए जाने से पहले सुपर 12 के कुल 16 मैचों में से 13 में लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम को जीत मिली है। तीन में से दो बार लक्ष्य का बचाव नामीबिया और स्कॉटलैंड के ख़िलाफ़ किया गया है और तीसरी बार महज़ तीन रनों के अंतर से पहले बल्लेबाज़ी करने वाली टीम को जीत मिली है।

एक ऐसे ग्रुप में जिसमें दो सेमीफ़ाइनल स्थानों के लिए तीन स्पष्ट दावेदार लड़ रहे हों, और जहां ये तीनों टीमें शुरुआत में एक-दूसरे का सामना कर रही हों, वहां ग़लती की कोई गुंजाइश नहीं होती है। दूसरे ग्रुप में, अगर आप एक मैच जल्दी हार जाते हैं, तो आप अन्य टीमों से आपकी मदद करने की उम्मीद कर सकते हैं। यहां ऐसी मदद एक बड़ी उलटफेर से ही मिल सकती है।

टी20 में पहले बल्लेबाज़ी करना वैसे भी एक मुश्किल काम है, लेकिन जब परिस्थितियां ऐसी हों तो आपको प्रतिस्पर्धी होने के लिए असाधारण चीज़ें करनी पड़ती है। यहां तक कि वेस्टइंडीज़, जिसके पास बेहतर टीम संरचना और इस प्रारूप की बेहतर समझ है, टॉस हारकर तीन में से केवल एक मैच जीतने में सफल हुआ है। यह जीत बांग्लादेश के ख़िलाफ़ दोपहर के मैच में आई थी। भारत के पास तो दोपहर में खेलने का अवसर भी नहीं है क्योंकि उनके सभी मुक़ाबले प्राइम टाइम पर खेले जाते हैं।

भारत ने टॉस का मुक़ाबला करने के लिए वह सब कुछ करने की कोशिश की जो वे कर सकते थे। वे जानते थे कि 140 रन पर्याप्त नहीं होंगे, इसलिए वे 170 की तलाश में 110 रन पर सिमटने का जोखिम उठाने को तैयार थे। उन्होंने किशन के साथ ओपनिंग करके दाएं हाथ के दो बल्लेबाज़ों की सलामी जोड़ी को बदला, जिनके ख़िलाफ़ पाकिस्तान के दो बाएं हाथ के गेंदबाज़ों ने सफलतापूर्वक आक्रमण किया था। न्यूज़ीलैंड के पास भी ट्रेंट बोल्ट और मिचेल सैंटनर का वैसा ही संयोजन था जो दाएं हाथ के बल्लेबाज़ों को बांध सकता था। साथ ही भारत पावरप्ले में रन चाहता था क्योंकि उन्हें पता था कि बीच के ओवरों में बल्लेबाज़ी मुश्किल हो जाती है।

हार्दिक की ख़राब फ़िटनेस के कारण पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भारत के पास केवल पांच गेंदबाज़ी विकल्प थे  AFP/Getty Images

भारतीय बल्लेबाज़ों ने आक्रामक रुख़ अपनाया लेकिन वह काम ना आया। किशन और केएल राहुल बदक़िस्मत थे कि अपने बड़े शॉट पर उन्होंने लेग साइड पर पीछे तैनात इकलौते फ़ील्डर को खोज लिया। रोहित और कोहली दोनों ने नुक़सान की भरपाई करने के लिए अस्वाभाविक पारी खेली। रोहित, जो बड़े शॉट खेलने से पहले समय लेना पसंद करते हैं, ने पहली गेंद पर छक्का लगाने की कोशिश की। कोहली, जिन्होंने आईपीएल के पूरे यूएई चरण में मध्य ओवरों में स्पिनरों पर बमुश्किल हमला किया, ने अपनी छठी गेंद पर स्लॉग किया। साथ ही वह हमेशा सिंगल लेकर स्कोर चलाने के अपने अंदाज़ के विपरित कवर के ऊपर से खेलने का प्रयास करते नज़र आए।

भारतीय पारी में सबसे बड़ी साझेदारी हार्दिक पंड्या और रवींद्र जाडेजा के बीच आई, लेकिन जब चयनकर्ताओं ने इस टीम को चुना, तो वे इन दोनों के बीच एक अलग तरह की साझेदारी की उम्मीद कर रहे थे। ऐसी साझेदारी जो विपक्षी बल्लेबाज़ के ख़िलाफ़ एक दूसरे को बचाते हुए कुल मिलाकर चार ओवर गेंदबाज़ी करें।

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को ये ज़रूर देखना चाहिए कि चयनकर्ताओं ने जब टीम की घोषणा की तो हार्दिक को हर मैच में चार ओवर डालने के लिए फ़िट क्यों माना गया और मुंबई इंडियंस ने उनकी फ़िटनेस के बारे में क्यों नहीं बताया। क्या हार्दिक ने एनसीए में चोट से वापसी कर रहे खिलाड़ियों के लिए निर्धारित फ़िटनेस टेस्ट लिया था? क्या मुंबई ने बीसीसीआई को बताया था ? क्या यह एक नई चोट थी या पुरानी चोट का पुनरावर्तन?

अंतिम तीन मैच जीतने के बावजूद भारत सेमीफ़ाइनल की दौड़ से बाहर हो सकता है  ICC via Getty

ऐसा नहीं है कि पंड्या द्वारा गेंदबाज़ी ना किए जाने के बारे में पता चलने के बाद भारत के पास हरफ़नमौला खिलाड़ियों का विकल्प तैयार था। और आप रातों रात ऐसे खिलाड़ियों का निर्माण नहीं कर सकते। चयनकर्ताओं के पास दो विकल्प थे - या तो एक ठीक-ठाक ऑलराउंडर पर अपना दांव खेलना या हार्दिक के प्राथमिक कौशल (डेथ ओवरों में ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी) के साथ जाना। वह दूसरे विकल्प के साथ गए जो इन परिस्थितियों में उचित है।

कोहली के अनुसार भारत का प्रतिस्पर्धा ना कर पाना बहादुरी की कमी के कारण था लेकिन देखा जाए तो इसके पीछे का बड़ा कारण भूमिकाओं की स्पष्टता की कमी है। टी20 क्रिकेट की दिग्गज टीमें, चेन्नई और मुंबई, अपने खिलाड़ियों के लिए सही भूमिकाओं की पहचान करने के मूल-मंत्र पर चलती हैं और फिर उन्हें बार-बार वही भूमिका को निभाने देते हैं। साथ ही साथ वह शुरुआती विफलताओं पर कभी ध्यान नहीं देते।

कोहली के बाद भारतीय टी20 टीम के नए नेतृत्व को यही सुनिश्चित करना होगा। उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वे बहुत से ऐसे बल्लेबाज़ों का चयन न करें जो आईपीएल में एक समान भूमिकाएं निभाते हैं। उन्हें मध्य क्रम में रनों की गति को बढ़ाना होगा, फिर चाहे ओपनर्स की तुलना में बाक़ी बल्लेबाज़ों के आंकड़ों में गिरावट ही क्यों न आए। उन्हें इस बात का पुनर्मूल्यांकन करना होगा कि उनके बल्लेबाज़ अपनी विकेटों को कितना महत्व देते हैं। ऑलराउंडर ढूंढना और तेज़ गति और बाएं हाथ के स्विंग गेंदबाज़ तो क़िस्मत की बात है, लेकिन उनके पास जसप्रीत बुमराह और स्पिनर मौजूद हैं जिनके इर्द-गिर्द गेंदबाज़ी आक्रमण को मज़बूत बनाया जा सकता है। क्या वे उमरान मलिक जैसे किसी युवा तेज़ गेंदबाज़ को आज़माकर देखेंगे ?

इन सब के बावजूद वास्तविकता यह है कि भारत 2012 के बाद से किसी आईसीसी इवेंट के सेमीफ़ाइनल में जगह बनाने में अपनी पहली विफलता की ओर बढ़ रहा है। लेकिन यह भारतीय क्रिकेट के लिए कोई आपदा नहीं है। यह एक ऐसा वर्ष है जिसमें उन्होंने विदेश में अविश्वसनीय चीज़ें हासिल की हैं। 2013 के बाद से आईसीसी ख़िताब की कमी के बारे में बात करें तो हमें ये भी ध्यान रखना होगा कि आईसीसी ट्रॉफ़ी जीतने के लिए आपके घर से दूर जीती गई चार टेस्ट सीरीज़ से अधिक भाग्य की आवश्यकता है। यह कहना सही नहीं है कि भारत के टी20 क्रिकेट का पुनर्गठन लंबे समय से नहीं हुआ है, लेकिन टूर्नामेंट के शुरुआती चरण से बाहर निकलने से इस तरह के बदलाव करने का अवसर मिलता है।

Virat KohliRohit SharmaIshan KishanHardik PandyaRavindra JadejaIndiaIndia vs New ZealandICC Men's T20 World Cup

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।