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राहुल की राह में अब रोड़े अनेक

उप कप्तानी जा चुकी है और राहुल इंदौर टेस्ट से बाहर किए जा सकते हैं लेकिन यह इसलिए नहीं कि भारत ने उन पर भरोसा खो दिया है

केएल राहुल के सामने अब मुश्किलों का पहाड़ है  Getty Images

कई बार लगता है कि दुनिया आपके ख़‍िलाफ़ है। केएल राहुल रविवार को ऐसा महसूस कर सकते हैं, एक जश्न वाला रविवार उनकी टीम के लिए जिन्‍होंने बॉर्डर-गावस्‍कर ट्रॉफ़ी में 2-0 की बढ़त बना ली है, लेकिन शायद यह क्षण उनके लिए उदासी से भरा था।

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जब भारत ने 115 रनों का पीछा करना शुरू किया तो राहुल थोड़ा दबाव में हो सकते थे, क्‍योंकि पिछली नौ टेस्‍ट पारियों में उनका सर्वश्रेष्‍ठ स्‍कोर 23 था। तब वह पारी की तीसरी गेंद खेलते हैं, नेथन लायन की एक शॉर्ट लेंथ पर राहुल बैकफुट पर जाते हैं, एक ऐसी गेंद जिस पर सभी भारतीय बल्‍लेबाज़ पूरी सीरीज़ में आसानी से फ्लिक लगाते आए हैं। राहुल ने भी फ्लिक किया और वह भी खूबसूरती से बल्‍ले के बीचों बीच।

कुछ क्षण बाद वह पवेलियन जा रहे थे। बॉल शॉर्ट लेग पर खड़े पीटर हैंड्सकॉम्‍ब के घुटने से उछलती है और कीपर एक आसान सा कैच ले लेते हैं।

8, 12, 10, 22, 23, 10, 2, 20, 17, 1.

मैच के बाद भारत के कप्तान रोहित शर्मा ने कहा कि टीम प्रबंधन टेस्ट मैच के सलामी बल्लेबाज़ के रूप में राहुल की क्षमता के बारे में आश्वस्त है। उन्होंने राहुल के ख़राब दौर से पहले 2021 में लॉर्ड्स और सेंचुरियन में उनके द्वारा बनाए गए शतकों का ज़‍िक्र किया।

रोहित ने कहा, "उनकी बल्‍लेबाज़ी के बारे में बहुत बातें हुई हैं लेकिन एक टीम प्रबंधन के तौर पर हम केवल राहुल ही नहीं व्‍यक्तिगत रूप से सभी की क्षमता को देखते हैं। अतीत में मुझसे बहुत सारे खिलाड़ियों के बारे में पूछा गया था, और अगर उस खिलाड़ी में क्षमता है तो वह रन बनाएगा। यह सिर्फ़ केएल के बारे में नहीं है, कोई भी।

उन्‍होंने आगे कहा, "अगर आप घर के बनाए उनके कुछ शतक को देखेंगे तो ये वे शतक हैं जो जिसमें मैंने राहुल सर्वश्रेष्‍ठ देखा है, ख़ासतौर पर लॉर्ड्स में जहां उन्‍होंने नम पिच पर बल्‍लेबाज़ी की, टॉस हार चुके थे, बल्‍लेबाज़ी के लिए मजबूर किया गया और इंग्‍लैंड में खेलना कभी आसान नहीं होता है और उन्‍होंने वहां बेहतरीन प्रदर्शन करके दिखाया और सेंचुरियन में भी। दोनों में भारत को जीत मिली तो दोबारा कहता हूं उनके पास क्षमता है।"

"हां उनके बारे में बहुत सी बातें हुई हैं लेकिन हम अपनी तरफ़ से साफ़ हैं कि हमें वह चाहिए और जाकर अपना खेल खेलें और करें जो वह कर सकते हैं जो हमने काफ़ी सालों में उनको करते देखा है।"

यह टीम प्रबंधन का नज़रिया हो सकता है। देर शाम को बीसीसीआई तीसरे और चौथे टेस्‍ट के लिए टीम की घोषणा करता है। टीम वही रहती है बस एक छोटी सी जानकारी अलग होती है। टीम में कोई उप कप्‍तान नहीं है।

इस सीरीज़ में राहुल पहले दो टेस्‍ट में उप कप्‍तान थे। वहीं इस सीरीज़ से पहले उन्‍होंने बांग्लादेश में पिछले दो टेस्‍ट में भारत की कप्‍तानी की, जहां रोहित चोट की वजह से बाहर थे।

रविवार का डिमोशन ऐसा लगा कि राहुल के टेस्‍ट करियर में सांप-सीढ़ी वाले खेल में एक और डाइस फेंक दिया गया है। यह बहुत पहले नहीं था कि वह दो साल की अनुपस्थिति से मध्य-क्रम के आकांक्षी से सलामी बल्लेबाज़ के रूप में पहली पसंद के सलामी बल्लेबाज़ से लेकर उप-कप्तान से स्टैंड-इन कप्तान तक एक साल से कम समय में पहुंच गए थे।

ऐसा लगता है कि अब सीढ़ियां उखड़ गई हैं और हर कोने पर सांप घात लगाए बैठे हैं।

मीडिया में, विशेष रूप से सोशल मीडिया पर टीम में राहुल की जगह की गहन छानबीन की जाती है और उनके कट्टर आलोचकों में उनके अपने राज्य के एक पूर्व भारतीय खिलाड़ी है।

हो सकता है कि रविवार को रोहित के शब्द गहरी सहानुभूति से भरे हुए हों, क्योंकि वह एक ही यात्रा के लगभग हर चरण से गुजरे हैं। वह 2007 में बेहतरीन क्षमता के साथ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में आए, लेकिन उन्हें अपने वनडे औसत को बढ़ाने में 64 वनडे लग गए वह भी 30 की उम्र के बाद। उन्‍हें 2013 तक टेस्‍ट डेब्‍यू के लिए इंतज़ार करना पड़ा और पहले दो टेस्‍ट में शतक लगाया, लेकिन बाद में ख़ासकर विदेशी दौरे पर ख़राब फ़ॉर्म से जूझे, जिससे वह मध्‍य क्रम में जगह बनाने को जूझे। 2019 में वह टेस्‍ट में ओपनर के तौर पर उतरे और इससे वह तीनों प्रारूपों के स्‍थाई खिलाड़ी बने।

उस पूरे सफ़र के दौरान रोहित को लगातार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा क्योंकि उनके करियर के समान चरणों में समान रिकॉर्ड वाले अन्य खिलाड़ियों की तुलना में ग़लत तरीके से उनको समर्थन देने का आरोप लगा था।

यह अनुचित लग सकता है लेकिन कुछ खिलाड़ी हैं जो पेस और बाउंस में जल्‍दबाज़ी नहीं दिखाते, मैदान के चारों ओर उनके पास शॉट हैं और उनके पास एक अच्‍छी तक़नीक है और इनमें से कई को स्‍कोरिंग करने में समय लगता है। चयनकर्ता यह जानते हैं और कम स्‍कोर बनाने के हिसाब से फै़सला नहीं लेते हैं। बल्‍लेबाज़ी एक ऐसी चीज़ है जहां बेहतर समय देखा जाता है, असफलता लगातार हो सकती है और लक आपके साथ हो सकता है और जब यह दोनों मिलते हैं तो चीजे़ कभी कभी कमजोर हो जाती हैं।

एक बड़े पर्याप्त नमूने आकार पर हालांकि, यह लिंक आमतौर पर स्पष्ट हो जाता है और अच्छे खिलाड़ी अच्छे रिकॉर्ड के साथ समाप्ति करते हैं। 47 टेस्ट के करियर में राहुल का औसत 33.44 का है। 2018 की शुरुआत के बाद से उनका औसत 25.82 है और उन्होंने 48 पारियों में सिर्फ़ छह बार 50 से अधिक का स्कोर बनाया है।

हालांकि कम करने वाले कई कारक हैं। राहुल का करियर टेस्ट क्रिकेट में भारत के बल्लेबाज़ों के घर और बाहर दोनों जगह चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने के साथ मेल खाता है। जिस टेस्‍ट में राहुल शामिल रहे वहां शीर्ष तीन बल्लेबाज़ों का औसत 32.98 रहा है। भारत के सबसे महान सलामी बल्लेबाजों में से एक वीरेंद्र सहवाग का औसत 49.34 था, लेकिन उनका करियर काफ़ी हद तक बल्लेबाज़ी के अनुकूल परिस्थितियों के साथ मेल खाता था। सहवाग के साथ टेस्ट में शीर्ष तीन बल्लेबाज़ों का औसत 44.49 रहा।

यही वजह है कि भारत ने राहुल पर भरोसा जताया है।

वे उनको इंदौर टेस्‍ट से बाहर कर सकते हैं, लेकिन यह इसलिए नहीं होगा कि उन्‍होंने उन पर से भरोसा खो दिया है। यह इसलिए होगा क्‍योंकि शुभमन गिल महान बल्‍लेबाज़ बनने की ओर अग्रसर दिख रहे हैं। उन्‍होंने सफ़ेद गेंद क्रिकेट में भारत की सपाट पिचों पर यह करके दिखाया है, और भारत जानता है कि उन्‍हें टेस्ट क्रिकेट में लगातार और बड़ा स्कोर करने में समय लग सकता है लेकिन जैसा उन्होंने रोहित के साथ किया और जैसा उन्होंने राहुल के साथ किया, वे उसे वह समय देंगे जिसकी उन्‍हें ज़रूरत है।

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कार्तिक कृष्‍णास्‍वामी ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।