रेटिंग्स : साधु और अर्चना ने भारत को विश्व कप चैंपियन बनाया
शेफ़ाली की युवा टीम ने भारतीय महिला क्रिकेट की पहली आईसीसी ट्रॉफ़ी जीती

अब तक टूर्नामेंट में अविजित रही इंग्लैंड को मात देकर भारत ने पहला अंडर-19 महिला टी20 विश्व कप अपने नाम किया। शेफ़ाली वर्मा की युवा टीम ने वह कर दिखाया जिसकी भारतीय महिला क्रिकेट और उसके चाहने वालों को लंबे समय से इंतज़ार थी - एक विश्व कप ट्रॉफ़ी जीतना। आइए देखते हैं कि निर्णायक मुक़ाबले में खिलाड़ियों ने कितने अंक कमाए।
क्या सही और क्या ग़लत?
जब आप विपक्षी टीम को 68 के स्कोर पर ऑलआउट करें और छह ओवर और सात विकेट शेष रहते मैच जीत जाए, तो इसका एक ही अर्थ है कि सबकुछ सही गया। हर गेंदबाज़ ने विकेट झटका तो वहीं प्रत्येक बल्लेबाज़ ने कम से कम एक बाउंड्री लगाई।
यह कहना ग़लत नहीं होगा कि इस मैच में भारतीय टीम ने कुछ ग़लत नहीं किया।
(रेटिंग्स 1 से 10, सर्वाधिक 10)
शेफ़ाली वर्मा, 8 : कप्तान शेफ़ाली ने इंग्लैंड के निचले क्रम में एक विकेट निकाला और बल्ले के साथ तेज़ शुरुआत दिलाई। अपने आक्रामक अंदाज़ को बरक़रार रखने में वह आउट हुईं लेकिन उनकी कप्तानी बेमिसाल थी।
श्वेता सहरावत, 5 : श्वेता इस विश्व कप की सबसे सफल बल्लेबाज़ तो बनी लेकिन फ़ाइनल में वह कुछ कमाल नहीं कर पाईं और केवल पांच रन बना सकी। हालांकि यह दरकिनार नहीं किया जा सकता कि इस प्रतियोगिता में उनकी औसत 99 की रही।
सौम्या तिवारी, 8.5 : डायरेक्ट हिट पर रन आउट और फिर दो लगातार विकेट गंवाने के बाद एक संभली हुई पारी खेलकर सौम्या ने फ़ाइनल में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह अंत तक खड़ी रहीं और विनिंग रन उन्हीं के बल्ले से निकला।
जी तृषा, 8.5 : अपनी बढ़िया बल्लेबाज़ी से तो तृषा ने काफ़ी अंक बटोरे ही लेकिन उनका सबसे बड़ा योगदान लॉन्ग ऑन पर विपक्षी कप्तान और प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट ग्रेस स्क्रिवेंस का शानदार डाइविंग कैच रहा। आगे भागते हुए उन्होंने सामने की ओर डाइव लगाई और गेंद को लपका। 24 अहम रन बनाने के बाद विजयी शॉट खेलने की लालच उनकी विकेट ले बैठी।
ऋचा घोष, 6 : छोटे लक्ष्य का पीछा करते हुए ऋचा को बल्लेबाज़ी करने का मौक़ा नहीं मिला लेकिन अपनी विकेटकीपिंग से उन्होंने इस जीत में अपनी भूमिका निभाई। चपलता दिखाते हुए ऋचा ने एक तेज़-तर्रार स्टंपिंग को अंजाम दिया।
ऋषिता बसु, कोई अंक नहीं : बल्लेबाज़ी में केवल एक गेंद खेलने वाली ऋषिता ने फ़ील्डिंग में मेहनत ज़रूर की।
तितास साधु, 10 : इकलौती तेज़ गेंदबाज़ के रूप में इस टीम में खेल रही तितास ने सीनियर घरेलू टीम बंगाल के साथ अपने अनुभव का पूरा इस्तेमाल करते हुए इंग्लैंड को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। शीर्ष क्रम को चुप रखते हुए उन्होंने दो अहम सफलताएं अर्जित की और प्लेयर ऑफ़ द मैच बनी।
मन्नत कश्यप, 7 : अपनी रणनीति को बदलते हुए भारत ने मन्नत का इस्तेमाल पावरप्ले की बजाय पारी के मध्य भाग में किया। काफ़ी गेंदबाज़ इस बदलाव से परेशान होते लेकिन मन्नत ने किफ़ायती गेंदबाज़ी करते हुए एक शिकार किया।
अर्चना देवी, 10 : अर्चना का इस्तेमाल पावरप्ले में नई गेंद के साथ किया गया और एक ही ओवर में दो बड़ी मछलियों को जाल में फंसाकर वह कप्तान और कोच के भरोसे पर खरी उतरी। इसके अलावा कवर पर फ़ील्डिंग करते हुए उन्होंने दायीं तरफ़ डाइव लगाकर एक हाथ से शानदार कैच लपका।
पार्शवी चोपड़ा, 8 : निरंतरा की प्रतीक साबित होते हुए पार्शवी ने फ़ाइनल में भी दो विकेट निकाले। गेंद को दोनों तरफ़ घुमाते हुए उन्होंने रन गति पर अंकुश लगाने का काम किया।
सोनम यादव, 7 : इंग्लैंड के निचले क्रम को समेटने में सोनम ने अपना योगदान दिया। अंतिम बल्लेबाज़ को आउट करने से पहले उन्होंने कवर प्वाइंट क्षेत्र में आसान कैच भी लपका।
अफ़्ज़ल जिवानी (@jiwani_afzal) ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं।
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