महिला T20 वर्ल्ड कप में भारत के लचर प्रदर्शन के प्रमुख कारण
क्या बल्लेबाज़ी क्रम में अस्थिरता ने मुश्किल पैदा की? क्या भारतीय दल में निर्णय लेने की क्षमता में कमी दिखाई दी?
कहां हुई टीम इंडिया से चूक, क्या सेमीफ़ाइनल की उम्मीद अब ख़त्म ?
विश्व कप में भारत की ऑस्ट्रेलिया से हार की समीक्षा यश झा, विशाल दीक्षित और एस सुदर्शनन के साथT20 वर्ल्ड कप 2016 के बाद यह पहली बार है जब भारतीय टीम महिला T20 वर्ल्ड कप के सेमीफ़ाइनल में नहीं पहुंची है। हरमनप्रीत कौर और उनकी टीम भारत वापस लौटेगी और अगले सप्ताह न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ तीन वनडे मैचों की श्रृंखला के लिए अहमदाबाद में एकत्रित होगी। इस बीच में उनके पास इस पूरे अभियान के बारे में चिंतन करने का समय होगा। हम उन बिंदुओं पर चर्चा करते हैं, जो वर्ल्ड कप में भारत के लचर प्रदर्शन का कारण बने।
बल्लेबाज़ी क्रम में अस्थिरता
पिछले वर्ष दिसंबर में अमोल मजूमदार के कोच बनने के बाद नंबर तीन भारतीय टीम ने छह विकल्प आज़माए लेकिन इनमें एक भी विकल्प असरदार साबित नहीं हुआ। जिसके बाद टीम प्रबंधन ने इस स्थान पर हरमनप्रीत को इंपैक्ट बैटर के तौर पर उपयोग करने का निर्णय लिया।
2022 से हरमनप्रीत ने T20 की 84 पारियों में 94.07 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं। योजना यह थी कि हरमनप्रीत इस स्थान पर आक्रामकता के साथ खेलेंगी और नंबर तीन की नियमित बैटर जेमिमाह रॉड्रिग्स मध्य ओवरों में स्पिन के ख़िलाफ़ मोर्चा संभालेंगी। लेकिन न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ एक हार ने भारत को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ रॉड्रिग्स को नंबर तीन पर भेजा गया। एक ऐसे मैच में जहां बेहतर नेट रन रेट के लिए तेज़ी से रन बनाने की ज़रूरत थी वहां सलामी जोड़ी पावरप्ले में एक भी बाउंड्री नहीं लगा पाई।
रॉड्रिग्स ने ख़ुद बताया था कि कैसे नए स्थान पर बल्लेबाज़ी करने के कारण वह अपने बल्लेबाज़ी अप्रोच में बदलाव लेकर आई हैं लेकिन ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ स्पिन के आगे जब लगातार भारतीय टीम के सामने आवशयक रन रेट बढ़ता जा रहा था तब इस स्थिति से निपटने के लिए भारत के पास रॉड्रिग्स नहीं थीं। क्योंकि उन्हें हरमनप्रीत से ऊपर बल्लेबाज़ी के लिए नंबर तीन पर भेजा गया था।
मांधना, घोष का नहीं चला जादू
पिछले कुछ वर्षों में पावरप्ले में स्मृति मांधना के आक्रमण ने मध्य क्रम को क्रीज़ पर शुरुआत में कुछ समय बिताने का अवसर दिया है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पाया। बल्लेबाज़ी क्रम में अस्थिरता के इतर भारत की निर्णय लेने की क्षमता पर भी कई सवाल बने हुए हैं। भारत की सबसे बड़ी सिक्स हिटर ऋचा घोष ऐसे समय कवर पर एक असंभव सा सिंगल निकालने का प्रयास करती हैं, जब सिंगल से ज़्यादा बड़ी हिट की दरकार होती है।
या फिर ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ अंतिम छह गेंदों पर 14 रन बनाने की स्थिति में हरमनप्रीत का सिंगल के लिए जाना भी समझ के परे था वो भी तब जब हरमनप्रीत उस मैच में भारत के लिए अंतिम उम्मीद बची हुई थीं। इसके बाद लगातार दो विकेट गिर गए। हालांकि अभी भी तीन गेंदों पर 13 रन बनाने थे लेकिन हरमनप्रीत ने अगली गेंद पर भी सिंगल लिया और अब श्रेयंका पाटिल पर अंतिम दो गेंदों पर दो बड़े शॉट लगाने की ज़िम्मेदारी थी।
क्या शिविर के बजाय ऑस्ट्रेलिया के ए टूर को प्राथमिकता दी जा सकती थी?
घरेलू क्रिकेट में श्रेयंका ने बल्ले से अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है लेकिन शीर्ष स्तर पर उन्हें कोई ख़ास अवसर नहीं मिले हैं। टूर्नामेंट से पहले वो चोटिल थीं लेकिन क्या पूजना वस्त्रकर, अरुंधति रेड्डी और राधा यादव को फ़िटनेस और स्किल शिविर में रखे जाने के चलते भारतीय टीम ने इन्हें इंडिया ए के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भेजने का मौक़ा गंवा दिया?
साउथ अफ़्रीका और बांग्लादेश के ख़िलाफ़ श्रृंखला में भारत के निचले क्रम को कठिन परीक्षा से नहीं गुज़रना पड़ा था। बांग्लादेश के ख़िलाफ़ 3-0 से बढ़त हासिल करने के बावजूद भारतीय टीम ने रणनीति में बदलाव नहीं किए। उस समय यह निर्णय उचित भी प्रतीत हो रहा था क्योंकि वे वर्ल्ड कप के मद्देनज़र बांग्लादेश में श्रृंखला को तैयारी के रूप में देख रहे थे लेकिन इससे निचले क्रम को खेलने के अधिक अवसर नहीं मिल पाए।
ऑस्ट्रेलिया ए टूर पर खिलाड़ियों को भेजने पर उन्हें तालिया मैकग्रा और एनेबल सदरलैंड को खेलने का मौक़ा मिल पाता। रविवार को भारत की हार में यह दोनों ही खिलाड़ियों ने अहम योगदान निभाया। ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ तीन कैच भी छूटे जो इस ओर इशारा कर रहे थे कि संभवतः भारतीय टीम ने छह सप्ताह लंबा चले अपने शिविर में लाइट्स में कैचिंग का अधिक अभ्यास न किया हो।
आगे क्या?
हरमनप्रीत पिछले सात वर्षों से भारतीय टीम का नेतृत्व कर रही हैं। मांधना काफ़ी समय से टीम की अगली कप्तान बनने की दौड़ में हैं। इसी साल मांधना की कप्तानी में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने WPL का ख़िताब जीता था। 28 वर्षीय मांधना के पास अब एक दशक से भी लंबा अनुभव है, ऐसे में उन्हें कप्तानी सौंपा जाना एक बुरा फ़ैसला नहीं होगा। इससे बतौर बल्लेबाज़ हरमनप्रीत के ऊपर से भी भार कम होगा।
शशांक किशोर ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के कंसल्टेंट सब एडिटर नवनीत झा ने किया है।
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