शाइका इशाक़: पार्क सर्कस से WPL और फिर भारतीय टीम का सफ़र
"मैं कुछ अलग या विशेष नहीं करती हूं, जो अब तक किया है, वही दोहराती हूं"

भारतीय स्पिनर साइका इशाक़ ने एक दिन अपनी एकेडमी छोड़ने का निर्णय ले लिया था। उनकी एकेडमी लड़कों की एकेडमी थी और छोटी बालों के कारण कोई नहीं जानता था कि इशाक़ लड़की हैं। एक दिन उनका यह राज़ खुल गया और उन्होंने लोक-लाज के कारण एकेडमी को छोड़ने का निर्णय ले लिया।
इशाक़ कोलकाता के पार्क सर्कस की गलियों में क्रिकेट खेलते हुए बड़ी हुई हैं। उनके पिता ने बहुत ही कम उम्र में इस खेल से उनका परिचय करा दिया था। जब वह नौ साल की थीं, तभी उनके पिता का देहांत हो गया। लेकिन मम्मी और ताऊ (बड़े पापा) की मदद से उन्होंने क्रिकेट खेलना जारी रखा। उनके पिता के एक दोस्त ने उनका दाखिला एक लड़कों के क्रिकेट एकेडमी में करा दिया।
ऊपर की घटना के बाद जब इशाक़ ने एकेडमी जाने से मना कर दिया तो उनके पिता के दोस्त ने उनका दाखिला लड़कियों की एकेडमी में कराया। वहां उनकी मुलाक़ात झूलन गोस्वामी से हुई।
इशाक़ ने जब पहली बार गोस्वामी को देखा था तो उन्होंने अचरज से पूछा था कि क्या लड़कियां भी भारत के लिए क्रिकेट खेलती हैं?
"मुझे लगता था कि सिर्फ़ सचिन तेंदुलकर और लड़के ही क्रिकेट खेलते हैं। मुझे सही में नहीं पता था कि लड़कियां प्रोफ़ेशनल तौर पर भी इस खेल को खेलती हैं। वह (झूलन) इतनी लंबी थीं कि मुझे लगा कि मैं सिर्फ़ उनके घुटने तक ही पहुंच पाऊंगी। मुझे पता भी नहीं था कि वह कौन हैं," इशाक़ याद करते हुए बताती हैं।
इशाक़ वर्तमान में WPL में मुंबई इंडियंस के लिए लगातार दूसरा सीज़न खेल रही हैं, जहां गोस्वामी टीम की गेंदबाज़ी कोच हैं। इशाक़ ने पिछले साल गुजरात जायंट्स के ख़िलाफ़ डेब्यू करते हुए 11 रन देकर चार विकेट लिए थे। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर ना देखते हुए 10 मैचों में सिर्फ़ सात की इकॉनमी से रन देते हुए 15 विकेट लिए और अपने डेब्यू सीज़न को यादगार बनाया।
हालांकि एकेडमी के दिनों में इशाक़ को विकेटकीपिंग अधिक पसंद था। इसके बाद उन्होंने तेज़ गेंदबाज़ी में भी हाथ आजमाए। उनके एक कोच ने उन्हें बाएं हाथ से स्पिन गेंदबाज़ी करने की सलाह दी। पहले तो वह हिचकिचाईं, लेकिन जब उन्होंने बंगाल की अंडर-19 और सीनियर टीम के साथ स्पिन विभाग में अच्छा किया, तो उन्होंने फिर इसे पूरी तरह से अपना लिया।
यहीं पर उनकी मुलाक़ात गौहर सुल्ताना से हुई, जो उनकी रोलमॉडल भी थीं। इशाक़ बताती हैं, "जब मैं बंगाल की तरफ़ से खेल रही थीं तो मैं सुल्ताना से मिली। वह भारत के लिए खेल चुकी थीं और बचपन से ही मैं उनकी तरह गेंदबाज़ी करने के लिए प्रेरित होती थी। बंगाल टीम में मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला।"
सुल्ताना ने 2008 से 2014 के बीच भारत के लिए 87 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले हैं। वह वतर्मान में 35 साल की हैं, लेकिन घरेलू क्रिकेट में अच्छे प्रदर्शन के दम पर उन्होंने इस साल WPL में जगह बनाई है। वह यूपी वॉरियर्स टीम का हिस्सा हैं, जो 28 फ़रवरी को इशाक़ के मुंबई टीम से भिड़ेंगे।
इशाक़ ने सुल्ताना से नई गेंद से गेंदबाज़ी करना सीखा है। सुल्ताना 50 ओवर के मैचों में भी कभी-कभार नई गेंद से गेंदबाज़ी करती थीं। इशाक़ ने पिछले साल पावरप्ले में 15 ओवर गेंदबाज़ी करते हुए छह विकेट लिए थे, जो कि किसी भी स्पिनर के लिए सर्वाधिक था।
इशाक़ कहती हैं, "बहुत ही कम स्पिनर होते हैं, जिन्हें पावरप्ले में गेंदबाज़ी मिलती है। जब मुंबई टीम प्रबंधन ने नई गेंद से मुझ पर विश्वास जताया तो मुझे उस विश्वास पर कायम होना ही था। पहले मैंने विकेट लेने की कोशिश की। कुछ मैचों में जब मुझे विकेट नहीं मिली तो मैं रन रोकने के लिए गई। बल्लेबाज़ कुछ भी कर रहा हो, मैं अपनी योजनाओं पर ही टिकी होती थीं।"
इशाक़ ने पिछले सीज़न कुछ बड़े नामों को अपना शिकार बनाया था, जिसमें न्यूज़ीलैंड की हरफ़नमौला सोफ़ी डिवाइन भी शामिल थीं। विकेट से पहले वाली गेंद पर डिवाइन ने इशाक़ पर चौका जड़ा था। इसके बाद इशाक़ दो बार गेंदबाज़ी स्ट्राइड पर रूक गईं, जिससे डिवाइन को ग़ुस्सा आ गया और अगली गेंद पर वह अपना विकेट फेंककर चली गईं।
इशाक़ कहती हैं, "जब एक बार आप अच्छा कर लेते हो तो आपके पास ख़राब या बुरा करने का विकल्प नहीं होता। उस मैच में डिवाइन बहुत ज़्यादा शफ़ल कर रही थीं। यह चीज़ मेरे दिमाग़ में थी। इसलिए मैं दो बार अपनी स्ट्राइड पर रूकीं और मुझे इसका फ़ायदा हुआ।"
इस टूर्नामेंट में इशाक़ ने डिवाइन के अलावा मेग लानिंग, अलिसा हीली और शफ़ाली वर्मा जैसे बल्लेबाज़ों का भी विकेट लिया। इशाक़ का कहना है कि वह कुछ अलग या विशेष नहीं कर रही थीं।
वह कहती हैं, "मैं अपने आपको शांत रखने की कोशिश करती थीं। मैं हमेशा याद करती थीं कि मैंने अब तक क्या ऐसा किया है, जिससे मुझे WPL में मौक़ा मिला है। मैं वही चीज़ मैचों में दोहराती थी। मैं कुछ अलग या विशेष नहीं करती थी।"
Saika Ishaque: 'I dislike watching myself bowl'
The Mumbai Indians bowler tells us what she's been doing since the last WPL and what she's looking forward to this yearइशाक़ ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने कोच बंगाल के पूर्व स्पिनर शिबसागर सिंह को दिया। 2018 में इशाक़ का कंधा चोटिल हो गया था। चोट से उबरकर जब उन्होंने वापसी की तो पाया कि वह जहां गेंद को टप्पा कराना चाह रही हैं, वहां नहीं कर पा रही हैं। तब उन्हें किसी ने शिबसागर से सलाह लेने की बात कही।
इशाक़ बताती हैं, "जब उन्होंने मुझसे मेरी समस्या पूछी तो मुझे नहीं पता था कि मुझे क्या कहना है। फिर उन्होंने मेरी गेंदबाज़ी के वीडियो मांगे। उसे देखने के बाद उन्होंने मुझे कुछ महत्वपूर्ण प्वाइंटर्स बताए। एक-दो महीनों तक मैं लगातार उनसे कुछ तकनीकी पहलूओं पर फ़ोन पर बात करती रही। धीरे-धीरे मैंने उसी तरह गेंदबाज़ी करनी शुरू कर दी, जैसा मैं पहले करती थी। मेरी बंगाल टीम में वापसी हुई और इसके बाद मैं अपने हर मैच के बाद उनसे बातचीत करती थी और सलाह लेती थी।"
शिबसागर इसके बाद इशाक़ को बंगाल रणजी टीम के पुरूष खिलाड़ियों के पास ले गए और उन्हें इशाक़ पर आक्रामक होकर खेलने का निर्देश दिया। इस अभ्यास से भी इशाक़ को बहुत कुछ सीखने को मिला। जब इशाक़ के परिवार को आर्थिक मदद की ज़रूरत थी तो शिबसागर ने वह मदद भी की।
इशाक़ कहती हैं, "सर ने मुझसे बस एक ही चीज़ कहा था: 'अपने खेल पर ध्यान दो, घर की समस्याएं मुझ पर छोड़ दो।' यह चीज़ मेरे साथ हमेशा रहेगी। मुझे पता है कि मेरे पास कोई ऐसा है, जो मेरे हर चीज़ का ख़्याल रखता है और मुझे बस खेलना है। उन्होंने ऐसा सिर्फ़ कहा नहीं, बल्कि किया भी। इसके लिए मैं हमेशा उनकी आभारी रहूंगी।"
WPL 2023 में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद इशाक़ ने अपनी इस फ़ॉर्म को घरेलू क्रिकेट में भी जारी रखा। 2023-24 के घरेलू सीज़न के दौरान उन्होंने सीनियर वीमेन टी20 टूर्नामेंट में बंगाल की तरफ़ से सर्वाधिक विकेट लिए। ज़ोनल मैचों के लिए नवंबर में वह लखनऊ में थीं, जब उनका फ़ोन बजा और पता चला कि उन्हें भारतीय टीम के व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़ा गया है।
इशाक बताती हैं, "पहले-पहल तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ। मैंने सबसे पहले झूलू दी (झूलन गोस्वामी) और उसके बाद शिबु सर (शिबसागर सिंह) को फ़ोन किया। इसके बाद मैंने अपनी मां और बहन को यह ख़बर सुनाई।"
इशाक़ को भारत के तीनों फ़ॉर्मैट के लिए चुना गया था और उन्होंने वनडे और टी20आई में डेब्यू भी किया। यह सफ़र आसान नहीं थी, लेकिन अपने दृढ़ निश्चय और कठिन परिश्रम से उन्होंने इसे संभव बनाया।
संपत बंडारूपल्ली के स्टैट्स इनपुट के साथ
विशाल दीक्षित ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं
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