दीप दासगुप्ता : पंत की अनुपस्थिति में ऋद्धिमान साहा हैं विकेटकीपिंग के सबसे अच्छे विकल्प
दीप ने आधुनिक दौर में विकेटकीपर से बदलती अपेक्षाओं पर भी अपनी राय रखी
युसूफ़ : क्रुणाल पंड्या की कप्तानी कमज़ोर नज़र आ रही है जो लखनऊ के लिए चेतावनी है
लखनऊ के ख़िलाफ़ अहमदाबाद में गुजरात की जीत का सटीक विश्लेषण युसूफ़ पठान के साथरविवार को गुजरात टाइटंस ने लखनऊ सुपर जायंट्स को एक हाई स्कोरिंग मुक़ाबले में पटखनी दे दी। गुजरात टाइटंस की जीत के सूत्रधार रहे ऋद्धिमान साहा की आक्रामक पारी ने एक बार फिर उनकी भारतीय टीम में वापसी को लेकर विमर्श खड़ा कर दिया है। रविवार को गुजरात की पारी के दौरान ही ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो लाइव मैचकास्ट पर दीप दासगुप्ता ने साहा को भारतीय टीम में शामिल किए जाने को लेकर अपनी राय रखी। दीप ने ऋषभ पंत की अनुपस्थिति में साहा को बतौर विकेटकीपर सबसे अच्छा विकल्प बताया।
दीप ने कहा, "मेरे हिसाब से तो साहा को ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ घरेलू दौरे पर ही टीम में ले आना चाहिए था। इसके पहले हालात अलग थे। तब आपको पता था कि ऋषभ ही आपके मुख्य विकेटकीपर हैं लेकिन ज़ाहिर तौर पर जो उनके साथ हुआ, ऐसे में अब हालात अलग हैं। उस समय जो सोच थी (साहा की जगह पंत को तरजीह दिए जाने की) उससे भी मैं तब सहमत था लेकिन मौजूदा हालात में ऋषभ की अनुपस्थिति में साहा विकेटकीपिंग के सबसे अच्छे विकल्प हैं।"
पिच बल्लेबाज़ी के लिए उतनी आसान भी नहीं थी जितना कि साहा की आक्रामक बल्लेबाज़ी से प्रतीत हो रहा था। दूसरे छोर से उन्हें शुभमन गिल का भी भरपूर सहयोग मिला। साहा ने न सिर्फ़ पावरप्ले में एक ठोस शुरुआत दी बल्कि गुजरात के बड़े स्कोर के सूत्रधार भी बने।
हालांकि यह पहली बार नहीं था जब साहा के बल्ले से ऐसी आक्रामक पारी आई हो। पिछले सीज़न से ही वह गुजरात टाइटंस के लिए कुछ ऐसी ही भूमिका निभा रहे हैं। पिछले सीज़न की शुरुआती मुक़ाबलों में उन्हें खेलने का अवसर नहीं मिला था। मैथ्यू वेड को गुजरात ने सलामी बल्लेबाज़ी और विकेटकीपर के रोल के लिए चुना था। लेकिन वेड के असफल होने के बाद गुजरात ने यह भूमिका साहा को सौंपी और वह गुजरात की उम्मीदों पर खरे उतरे।
यह कहा जा सकता है कि साहा की आवश्यकता ही उनकी आक्रामकता की जननी है लेकिन बतौर विकेटकीपर क्रिकेट जगत में ऐसी बल्लेबाज़ी की अपेक्षा कम ही होती थी लेकिन आधुनिक दौर में अब विकेटकीपर से अपेक्षाएं भी बदल चुकी हैं।
आधुनिक दौर में एक विकेटकीपर के प्रति बदली अपेक्षाओं के सवाल पर दीप ने कहा, "कीपर पहले भी अच्छे बल्लेबाज़ रहे हैं, चाहे किरण मोरे रहे हों, सैयद किरमानी, फ़ारूक़ इंजीनियर। यह सभी अच्छे बल्लेबाज़ भी थे। लेकिन तब अपेक्षाएं अलग थीं। पहली शर्त यही होती थी कि वह कीपर अच्छे होने चाहिए, बल्ले के साथ उनका प्रदर्शन बोनस ही माना जाता था। लेकिन बल्लेबाज़ फिर भी सारे अच्छे थे।"
विकेटकीपर के प्रति आए सोच में बदलाव में ऐडम गिलक्रिस्ट के योगदान पर बात करते हुए दीप ने कहा, "गिली के आने के बाद सोच बदल चुकी थी। हालांकि मैं इसमें मार्क बाउचर को भी शामिल करना चाहूंगा। अब कीपर से यह अपेक्षा की जाने लगी थी कि अब आप कीपिंग तो करेंगे ही लेकिन आपको बल्लेबाज़ी में भी रन बनाकर देने होंगे। अब कीपर के पास ऑलराउंडर वाली भूमिका आ गई थी और आज के दौर में तो कीपर टीम के टॉप बल्लेबाज़ों में से एक होता है।"
टी20 क्रिकेट ने विकेटकीपर से रखे जाने वाली अपेक्षाओं को भी काफ़ी हद तक प्रभावित किया है। हालांकि दीप मानते हैं कि एक विकेटकीपर के लिए मुख्य दायित्व अभी भी विकेटकीपिंग ही है।
दीप ने कहा, "मिसाल के तौर पर गुजरात को ही ले लीजिए। आपको एक अच्छा कीपर चाहिए जोकि राशिद (ख़ान) और नूर अहमद को रीड कर पाए। इसलिए बल्लेबाज़ी तो ज़रूरी है ही लेकिन कीपिंग अभी भी प्राथमिक काम है। बीच में दो तीन टीमों ने नॉन टाइम कीपर के उपयोग का प्रयोग किया भी लेकिन वह कारगर साबित नहीं हुआ।"
टेस्ट करियर में साहा के नाम तीन शतक हैं। पिछले लगभग डेढ़ वर्षों से वह भारतीय टीम से बाहर हैं। उन्होंने अपना अंतिम टेस्ट मैच दिसंबर 2021 में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ खेला था। इसके बाद श्रीलंका के ख़िलाफ़ घरेलू टेस्ट सीरीज़ के लिए उनका चयन नहीं हुआ। टीम मैनेजमेंट ने टेस्ट में अपने प्रमुख विकेटकीपर के रूप में पंत के साथ जाने का निर्णय लिया जिस वजह से साहा को भारतीय टीम में अपनी जगह गंवानी पड़ गई। हालांकि संभवतः साहा ख़ुद भी यह बात जानते होंगे कि भारतीय टीम में वापसी का रास्ता उन्हें सिर्फ़ अच्छी विकेटकीपिंग से नहीं मिलेगा। बदलते दौर में विकेटकीपर से बदलती अपेक्षाओं और बतौर बल्लेबाज़ ख़ुद को स्थापित करने का साहा का संघर्ष ही उनके लिए भारतीय टीम के दरवाज़े एक बार फिर खोल सकता है।
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