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परिणाम
फ़ाइनल, नागपुर, February 26 - March 02, 2025, रणजी ट्रॉफ़ी
पिछलाअगला

मैच ड्रॉ (विदर्भ की पहली पारी के आधार पर जीत)

प्लेयर ऑफ़ द मैच
153 & 73
danish-malewar
प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़
, विदर्भ
476 runs • 69 wkts
harsh-dubey
रिपोर्ट

नायर, मालेवर और गेंदबाज़ों की बदौलत विदर्भ ने जीता तीसरा रणजी ट्रॉफ़ी ख़िताब

नायर और मालेवर के अलावा विदर्भ की इस जीत में कई खिलाड़ियों का अहम योगदान है जिन्होंने विदर्भ को इस स्थिति में पहुंचाया

Karun Nair celebrates his century, Kerala vs Vidarbha, Ranji Trophy final, Nagpur, 4th day, March 1, 2025

इस सीज़न करुण नायर ने विदर्भ की जीत में काफ़ी अहम भूमिका निभाई है  •  PTI

विदर्भ 379 (मालेवर 153, नायर 86, निधीश 3-61) और 9 विकेट पर 375 पारी घोषित (नायर 135, मालेवर 73, सरवटे 4-96) ने केरल 342 (बेबी 98, सरवटे 79, नलकंडे 3-52) के साथ मैच ड्रॉ किया
विदर्भ ने 2023-24 की कड़वी यादों को सबसे बेहतरीन अंदाज़ में पीछे छोड़ा। पहले शानदार अंदाज़ में बढ़त की लड़ाई को जीता और फिर क़रीब पांच सत्रों तक केरल को झकझोरते हुए तीसरी बार रणजी ट्रॉफ़ी चैंपियन बने। नागपुर के वीसीए स्टेडियम में जुटे क़रीब 3000 घरेलू दर्शकों ने इस जीत को और ख़ास बना दिया। अक्षय वड़कर की टीम को ट्रॉफ़ी उठाते देखना, उनके लिए एक शानदार अनुभव रहा होगा।
हताश, निराश परेशान केरल की टीम इस बात का अफ़सोस करता रही कि क्या होता अगर सचिन बेबी 98 पर वह स्लॉग स्वीप सही से खेल लेते और टीम को बढ़त मिल जाती? अगर अक्षय चंद्रन ने चौथे दिन की सुबह दूसरी पारी में शतक लगाने वाले करुण नायर का कैच पकड़ लिया होता? अगर डीआरएस ने अर्धशतक बनाने वाले मालेवर को जीवनदान न दिया होता, तब जब विदर्भ ने पहले ही दो विकेट जल्दी गंवा दिए थे।
ऐसे कई लम्हे थे जिन पर वे पीछे मुड़कर सोच सकते थे। लेकिन सब मिलाकर, वे अपने पहले रणजी फ़ाइनल में खेलने के अनुभव से समृद्ध ही होंगे। कोच अमय खुरसिया का बीच मैदान तक चलकर जाना और जमथा की उखड़ी हुई पिच से मुट्ठी भर मिट्टी लेना यह दिखाता था कि इस सफ़र का उनके लिए क्या महत्व था।
फ़ाइनल दिन का खेल केरल के लिए थोड़ी उम्मीद के साथ शुरू हुआ। जब करुण नायर अपने पिछले दिन के स्कोर 132 में सिर्फ़ तीन रन जोड़कर आउट हो गए, तब भी केरल के लिए विदर्भ द्वारा दिए जाने वाले लक्ष्य को चेज़ करना बहुत मुश्किल था। लेकिन यह सपना तब भी ज़िंदा था जब स्थानीय खिलाड़ी आदित्य सरवटे ने नायर को एक घूमती गेंद से चकमा दे दिया। पिच से टर्न, अनियमित उछाल और नई गेंद का प्रभाव साफ़ दिख रहा था।
इसके बाद हर्ष दुबे, ईडन एप्पल टॉम की फुल डिलीवरी को क्रॉस खेलते हुए पगबाधा हो गए। पहले 45 मिनट के भीतर दो विकेट गिरने से केरल के खिलाड़ी उत्साहित हो गए। क्या क्रिकेट के देवता इस मैच को एक और रोमांचक मोड़ देने की साज़िश कर रहे थे? आख़िर वह टीम, जिसने क्वार्टर फ़ाइनल और सेमीफ़ाइनल में सिर्फ़ एक और दो रन की मामूली बढ़त के दम पर यहां तक का सफ़र तय किया था, इतनी आसानी से कैसे ढह सकती थी? शायद कहानी में एक और मोड़ बाक़ी था।
यह एहसास तब और मज़बूत हुआ जब विदर्भ के कप्तान अक्षय वड़कर एक नीची रहती गेंद पर बोल्ड हो गए। सरवटे, जिन्होंने विदर्भ ड्रेसिंग रूम में वड़कर के साथ कई खास लम्हे साझा किए थे, इस विकेट पर ज़ोरदार जश्न मना रहे थे। अचानक उनके खाते में तीन विकेट थे, और पूरे केरल की उम्मीदें उनके पीछे थीं।
इसी समय अक्षय कर्णेवार (जो दोनों हाथों से स्पिन गेंदबाज़ी कर सकते हैं और इस मैच में अपनी गेंदबाज़ी से ज़्यादा योगदान नहीं दे पाए थे) बल्ले से 30 रन की बेहद अहम पारी खेल गए, जिससे खेल में समय बीतता गया। जैसे-जैसे लंच का वक़्त नज़दीक आया, केरल की उम्मीदें धुंधली पड़ने लगीं। अंततः यह उम्मीद पूरी तरह ख़त्म हो गई जब दर्शन नालकंडे ने एक ज़बरदस्त अर्धशतक जड़ दिया। इसके बाद दोनों टीमों ने तय किया कि खेल यहीं समाप्त कर देना चाहिए।
दोपहर 2:20 बजे, जब चाय ब्रेक क़रीब था, स्टंप्स उखाड़ दिए गए और विदर्भ को आधिकारिक रूप से चैंपियन घोषित कर दिया गया। वे इस सीज़न में सबसे ज़्यादा जीत (मुंबई के साथ संयुक्त रूप से) के दम पर सेमीफ़ाइनल में पहुंचे थे और अंत में अपनी ख़ास 'खडूस' शैली में इसे समाप्त किया। नायर के नेतृत्व में एक मज़बूत रक्षात्मक प्रयास के साथ वे इस जगह तक पहुंचे हैं। नायर का यह सीज़न का चौथा और कुल नौवां प्रथम श्रेणी शतक था, जबकि 21 वर्षीय मालेवर का अर्धशतक भी उनकी टीम की सफलता का आधार बना।
उन्होंने पहली पारी की चूक की भरपाई भी पूरी तरह कर ली। नायर और मालेवर के बीच गलतफ़हमी के कारण नायर रनआउट हो गए थे। वह एक ऐसा क्षण जो खेल बदल सकता था। लेकिन विदर्भ के लिए यह खेल सिर्फ़ नायर और मालेवर से कहीं ज़्यादा था।
यश राठौड़ का प्रयास भी काफ़ी सराहनीय था। उन्होंने इस सीज़न में सबसे ज़्यादा रन बनाए। यह दुबे का भी कमाल था, जिन्होंने रणजी इतिहास में एक सीज़न में सबसे ज़्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाया। यह पार्थ रेखड़े की प्रतिभा थी, जिनकी सेमीफ़ाइनल में तीन विकेट की घातक स्पेल ने मुंबई को पटरी से उतार दिया था। यह ध्रुव शौरी की मेहनत थी, जो नायर की तरह ही एक नई टीम में ख़ूब ढल गए। और यह वड़कर की अगुवाई का परिणाम था--एक जुझारू कप्तान, जिसने पिछले साल की हार के दर्द को सहकर, इस साल अपनी टीम को चैंपियन बना दिया और ट्रॉफ़ी को गर्व से ऊपर उठाया।

Language
Hindi
मैच कवरेज
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विदर्भ पारी
<1 / 3>

रणजी ट्रॉफ़ी

Elite, Group A
टीमMWLDअंकभागफल
जम्मू कश्मीर7502351.577
मुंबई7421291.745
बड़ौदा7421271.173
सर्विसेज़7331230.864
महाराष्ट्र7232171.063
ओडिशा7231170.715
त्रिपुरा7114141.233
मेघालय707000.343
Elite, Group B
टीमMWLDअंकभागफल
विदर्भ7601401.490
गुजरात7403321.147
हिमाचल7340211.015
हैदराबाद7232161.223
राजस्थान7124161.000
आंध्रा7133130.946
उत्तराखंड7133110.617
पुडुचेरी703460.783
Elite, Group C
टीमMWLDअंकभागफल
हरियाणा7304291.212
केरल7304281.813
बंगाल7213211.175
कर्नाटक7205201.195
एमपी7115141.158
यूपी7115140.989
पंजाब7142110.827
बिहार706010.338
Elite, Group D
टीमMWLDअंकभागफल
सौराष्ट्र7322251.248
तमिलनाडु7313251.670
चंडीगढ़7430250.983
दिल्ली7223210.872
झारखंड7214200.922
रेलवेज़7223170.850
छत्तीसगढ़7025111.110
असम703460.624