आईपीएल फ़ाइनल: क्या है दोनों टीमों की कमज़ोरियां और मज़बूती?
टॉस, पावरप्ले, मिलर और स्पिनरों की अहम रहेगी भूमिका

रविवार को आईपीएल 2022 के फ़ाइनल में गुजरात टाइटंस का मुक़ाबला राजस्थान रॉयल्स से होगा। गुजरात टाइटंस का यह पहला आईपीएल सीज़न है, वहीं राजस्थान रॉयल्स के लिए यह आईपीएल 2008 के पहले सीज़न के बाद पहला फ़ाइनल है। इस सीज़न में गुजरात और राजस्थान की दो बार भिड़ंत हुई है और दोनों बार गुजरात ने ही बाजी मारी है।
गुजरात के पास कई सारे हरफ़नमौला हैं, वहीं राजस्थान ने इस सीज़न में लगातार छह बल्लेबाज़ और पांच गेंदबाज़ के संयोजन को खिलाया है। गेंदबाज़ी इन दोंनों टीम की मज़बूती है। आइए हम उन कारकों पर नज़र डालते हैं, जो इस मैच के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं।
राशिद ख़ान का प्रभाव
टी20 मैचों में राशिद ख़ान की उपस्थिति किसी भी विपक्षी टीम की रणनीति को प्रभावित कर सकती है। अपने टी20 करियर में राशिद ने अब तक पांच फ़ाइनल खेले हैं और केवल 5.27 की इकॉनमी से रन देते हुए दो विकेट लिया है।
इस सीज़न में राशिद ने राजस्थान के ख़िलाफ़ खेले गए दो मैचों में कोई विकेट नहीं लिया है लेकिन आठ ओवरों में पांच से भी कम इकॉनमी से सिर्फ़ 39 रन दिए हैं। इस दौरान उन्होंने सिर्फ़ एक चौका और एक छक्का दिया है, जो आर अश्विन और जिमी नीशम के बल्ले से आया था। फ़ाइनल में भी राजस्थान के बल्लेबाज़ राशिद के सामने रक्षात्मक रुख़ अपना सकते हैं। टी20 करियर में जॉस बटलर ने राशिद के सामने कभी भी बाउंड्री नहीं लगाया है, वहीं संजू सैमसन और शिमरन हेटमायर अगर उन पर आक्रमण करने गए हैं तो उन्हें अपना विकेट गंवाना पड़ा है।
टॉस का कितना होगा प्रभाव?
जनवरी, 2021 से अहमदाबाद में 18 टी20 मैच हुए हैं। इन 18 मैचों में सिर्फ़ दो ही बार ऐसा हुआ है जब किसी टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फ़ैसला किया है। इन 18 मैचों में से 12 मैचों में उस टीम को जीत मिली है, जिसने लक्ष्य का पीछा किया है। बाक़ी के छह मैचों में पहले बल्लेबाज़ी करने वाली टीम ने 170 से अधिक का स्कोर खड़ा किया था। इस मैदान की बाउंड्री बड़ी है लेकिन दूसरी पारी के दौरान ओस भी आ सकता है। इसलिए पहले बल्लेबाज़ी करने वाली टीम कम से कम 170 का स्कोर बनाना चाहेगी।
इस सीज़न में सैमसन टॉस को लेकर बहुत ही दुर्भाग्यशाली रहे हैं और उन्होंने 16 में से 13 टॉस गंवाया है। हालांकि एक तथ्य यह भी है कि पिछले दो फ़ाइनल में उन्हीं टीमों को जीत मिली है, जिन्होंने टॉस गंवाया है।
पावरप्ले की भूमिका
गुजरात की पावरप्ले गेंदबाज़ी इस सीज़न में सबसे बेहतरीन रही है। उनके गेंदबाज़ों ने पावरप्ले के दौरान 26.69 की औसत से 26 विकेट लिए हैं। वहीं राजस्थान के गेंदबाज़ों ने पावरप्ले के दौरान 27.38 की औसत से 24 विकेट लिया है। फ़ाइनल मुक़ाबले में राजस्थान के ट्रेंट बोल्ट और गुजरात के मोहम्मद शमी का शुरुआती स्पेल बहुत महत्वपूर्ण होगा।
स्पिनरों का प्रभुत्व
राजस्थान और गुजरात, दोनों टीमों के बल्लेबाज़ो ने इस सीज़न में स्पिनरों के ख़िलाफ़ अपना प्रभुत्व दिखाया है। जहां राजस्थान ने स्पिनरों के ख़िलाफ़ 136.72 के स्ट्राइक रेट से बनाए हैं, वहीं गुजरात के बल्लेबाज़ों के लिए यह आंकड़ा 125.34 है। दोनों टीमों में कुल तीन विशेषज्ञ स्पिनर हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों टीमों के बल्लेबाज़ स्पिनरों के ख़िलाफ़ किस अप्रोच से जाते हैं।
गुजरात और राजस्थान के बीच खेले गए सीज़न के दो मैचों में जहां राजस्थान के बल्लेबाज़ों ने राशिद के ख़िलाफ़ रक्षात्मक रूख़ अपनाया था, वहीं गुजरात के बल्लेबाज़ अश्विन और चहल के पीछे गए थे। गुजरात ने राजस्थान के स्पिनरों के ख़िलाफ़ 102 गेंदों में सिर्फ़ तीन बार विकेट गंवाते हुए 144 रन बनाए हैं। इन 144 रनों में से भी 80 रन सिर्फ़ बाउंड्री से आए हैं।
मिलर को कैसे रोकेंगे?
डेविड मिलर का यह अब तक का सबसे बेहतरीन सीज़न रहा है। उन्होंने इस सीज़न 64.14 के औसत और 141.19 के स्ट्राइक रेट से 449 रन बनाए हैं। परंपरागत रूप से वह स्पिनरों की बजाय तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ अधिक आक्रामण करते हैं। लेकिन 2020 से उन्होंने स्पिनरों के ख़िलाफ़ भी 56.9 के औसत और 136.9 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं। वह अब स्पिनरों के ख़िलाफ़ हर सात गेंद पर बाउंड्री लगाते हैं।
वहीं 2020 से तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ उनका स्ट्राइक रेट 127.7 हो गया है और वह आठ बार उनके ख़िलाफ़ आउट हुए हैं। फ़ुल गेंदों पर मिलर 187 के स्ट्राइक रेट से रन बनाते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि उनके ख़िलाफ़ यॉर्कर गेंदों की बजाय छोटी गेंदों का आक्रमण आजमाया जाए। स्पिनरों के ख़िलाफ़ भी मिलर फ़ुल गेंदों पर आक्रमण करते हैं। उन्होंने इस सीज़न स्पिनरों के ख़िलाफ़ 28 फ़ुल गेंदों पर 318 की स्ट्राइक रेट से 89 रन बनाए हैं और जब-जब स्पिनरों ने अपने लेंथ को पीछे खींचा है, मिलर सिर्फ़ 93.40 की स्ट्राइक रेट से रन बना पाते हैं।
मिलर इस दौरान ख़राब गेंदों का इंतजार करते हैं ताकि वह उन्हें बाउंड्री पार भेज सके। हालांकि अश्विन और चहल के ख़िलाफ़ उनका रिकॉर्ड कुछ ख़ास नहीं रहा है। जहां अश्विन ने उन्हें 73 गेंदों में तीन बार आउट किया है, वहीं चहल को भी मिलर को तीन बार आउट करने में सिर्फ़ 52 गेंद लगें हैं।
गौरव सुंदरारमन ESPNcricinfo में सीनियर स्टैट्स ऐनलिस्ट हैं, अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के दया सागर ने किया है।
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