बॉल ट्रैकिंग तकनीक से निराश डेविड वॉर्नर ने की बड़े बदलावों की मांग
श्रीलंका के ख़िलाफ़ खेले गए मैच में वॉर्नर को पगबाधा आउट दिया गया था, जिससे वह काफ़ी निराश थे

ऑस्ट्रेलियाई सलामी बल्लेबाज़ डेविड वॉर्नर ने अंपायरों से अधिक जवाबदेही की मांग की है और बॉल-ट्रैकिंग तकनीक पर अपनी निराशा व्यक्त की है। आपको बता दें कि सोमवार को लखनऊ में श्रीलंका के ख़िलाफ़ हुए मैच में वॉर्नर को दिलशान मदुशंका की गेंद पर पगबाधा आउट दिया गया था।
अंपायर जोएल विल्सन के द्वारा आउट करार दिए जाने के तुरंत बाद वॉर्नर ने रिव्यू लिया था। जब बॉल ट्रैकिंग से पता चला कि गेंद लेग स्टंप के बाहरी हिस्से पर लगती, तो वह अवाक रह गए और गुस्से में नज़र आए। अंपायर ने वॉर्नर को आउट दिया था और हिटिंग अंपायर्स कॉल थी तो नियमों के मुताबिक़ वॉर्नर को पवेलियन जाना पड़ता। जब वॉर्नर पवेलियन की तरफ़ बढ़ रहे थे तो वह गुस्से में काफ़ी कुछ बोल रहे थे। मंगलवार को इस बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि वह क्यों परेशान थे और आउट होने के बाद उन्होंने अंपायर विल्सन से क्या कहा था? साथ ही वॉर्नर ने यह भी कहा कि जिस तरह से बल्लेबाज़ी के आंकड़ो को बड़ी स्क्रीन पर दिखाया जाता है, उसी तरह से अंपायरों के व्यक्तिगत निर्णय के प्रतिशत को बड़ी स्क्रीन पर दिखाया जाना चाहिए।
वॉर्नर ने कहा, "मैं हताशा में बहुत ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाते हुए काफ़ी कुछ कह रहा था। आम तौर पर जब कोई चीज़ मेरे पैर के बाहरी हिस्से पर लगती है, तो मुझे पता होता है कि गेंद लेग स्टंप के बाहर जाएगी। उस फ़ैसले के बाद मैंने जोएल से इस बारे में पूछा कि उन्होंने आउट का फ़ैसला क्यों दिया तो उन्होंने कहा कि गेंद स्विंग करते हुए विकेटों की तरफ़ जा रही थी। अगर उन्हें ऐसा लगा तो मेरी उनसे की शिकायत नहीं। हालांकि जब आप रिप्ले देखते हैं, तो आपको निराशा ज़रूर हो सकती है।"
" इस मामले में ऐसी कई चीज़ें हैं, जिसमें मैं बदलाव देखना चाहता हूं। जैसे ही आप बल्लेबाज़ी के लिए निकलते हैं तो खिलाड़ियों के आंकड़ो को बड़ी स्क्रीन पर दिखाया जाता है। इस तरह से जब अंपायर मैदान पर आते हैं तो उनके आंकड़ो को भी बोर्ड पर दिखाया जाना चाहिए। एनआरएल (नेशनल रग्बी लीग) में ऐसा होता है। शायद एनएफएल (नेशनल फु़टबॉल लीग) भी ऐसे आंकड़ो को दिखाता है। मेरे हिसाब से यह दर्शकों के लिए भी एक मज़ेदार चीज़ होगी।"
मेरे पास कभी भी हॉक-आई नहीं आई और उसने हमें नहीं समझाया कि तकनीक वास्तव में कैसे काम करती है; यह सिर्फ़ टीवी के लिए है। अगर वे आकर हमें समझा सकें कि यह कैसे काम करती है, तो हम बेहतर तरीक़े से इसके बारे में सोच सकते हैं।वॉर्नर
उन्होंने आगे कहा, "जाहिर तौर पर ख़राब प्रदर्शन के कारण खिलाड़ियों को बाहर कर दिया जाता है। यह हमें कभी नहीं बताया गया कि अंपायरों के पैनल के साथ क्या होता है। यह सिर्फ़ एक संकेतक के रूप में काम कर सकता है। मुझे लगता है कि इस मामले में कई चीज़ों के बारे में सोचा जा सकता है।"
वॉर्नर ने इस संदर्भ में आगे कहा, "कहीं न कहीं तो जवाबदेही तय होनी चाहिए। यदि आपका कोई निर्णय ग़लत है, तो बस इसे स्वीकार करें और माफी मांगें। ऐसा नहीं है कि एक ग़लत फ़ैसले से खिलाड़ी आपके ख़िलाफ़ किसी कड़े फ़ैसले की मांग करेंगे या ऐसा भी नहीं है कि अगर खिलाड़ी किसी फ़ैसले पर सवाल उठाते हैं तो अंपायर उनके ख़िलाफ़ किसी कड़े फ़ैसले की मांग करेंगे।"
इसके बाद वार्नर ने आईसीसी की बॉल-ट्रैकिंग तकनीक प्रदाता हॉक-आई पर निशाना साधते हुए दावा किया कि उन्हें तकनीक के बारे में कभी भी कुछ नहीं बताया गया और जब बॉल-ट्रैकिंग में आए फ़ैसले रीप्ले में दिखाई देने वाली चीज़ों से मेल नहीं खाती है तो अधिक जवाबदेही होनी चाहिए।
वार्नर ने कहा, "फिलहाल ऐसा लगता है कि हम [बॉल-ट्रैकिंग] का इंतज़ार कर रहे हैं। साथ ही एक खिलाड़ी के रूप में जब ये सारे चीज़ें मेल नहीं खाती तो आप निराश होत हैं। मेरे पास कभी भी हॉक-आई नहीं आई और उसने हमें नहीं समझाया कि तकनीक वास्तव में कैसे काम करती है; यह सिर्फ़ टीवी के लिए है। अगर वे आकर हमें समझा सकें कि यह कैसे काम करती है, तो हम बेहतर तरीक़े से इसके बारे में सोच सकते हैं।"
वॉर्नर के दावे के बावजूद यह समझा जाता है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों और कोचिंग स्टाफ़ को हाल के वर्षों में यह जानने के कई अवसर मिले हैं कि बॉल-ट्रैकिंग तकनीक कैसे काम करती है। कुछ खिलाड़ियों को बॉल-ट्रैकिंग प्रणाली को देखने के लिए प्रसारण ट्रकों में ले जाया गया था।
यह भी समझा जाता है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों को निर्णय प्रतिशत और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं पर कुछ आईसीसी अंपायरों के साथ काम करने का अवसर मिला है। हालांकि यह ज्ञात नहीं है कि किन खिलाड़ियों ने उन अवसरों का लाभ उठाया है।
ऐलेक्स मैल्कम ESPNcricinfo एसोसिएट एडिटर हैं
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