गुवाहाटी टेस्ट में कौन ले सकता है गिल की जगह?
दल में बी साई सुदर्शन और देवदत्त पड़िक्कल के रूप में दो विशेषज्ञ बल्लेबाज़ मौजूद हैं और नीतीश कुमार रेड्डी भी दूसरे टेस्ट के लिए उपलब्ध होंगे
हां या ना: भारत स्पेशलिस्ट बल्लेबाज़ खिलाता तो ज़्यादा बेहतर होता
क्या शुभमन गिल का नहीं होना अंत में टीम को भारी पड़ गया ?शुभमन गिल औपचारिक तौर पर गुवाहाटी टेस्ट से बाहर नहीं हुए हैं और BCCI की ओर से उन्हें टीम के साथ यात्रा करने की अनुमति भी मिल गई लेकिन ऐसी प्रबल संभावना है कि वह दूसरे टेस्ट में खेलते नज़र नहीं आएं।
पहले टेस्ट से रिलीज़ होने के बाद नीतीश कुमार रेड्डी दोबारा भारतीय दल से जुड़ेंगे और ऐसी स्थिति में गिल की जगह लेने के लिए भारत के पास तीन विकल्प मौजूद होंगे, जिसमें बी साई सुदर्शन और देवदत्त पड़िक्कल के रूप में दो विशेषज्ञ बल्लेबाज़ शामिल हैं।
गिल की जगह कौन खेलेगा? निश्चित तौर पर इस सवाल का जवाब साई सुदर्शन होना चाहिए जिन्हें अक्षर पटेल के रूप में एक अतिरिक्त स्पिन ऑलराउंडर विकल्प सुनिश्चित करने के लिए कोलकाता टेस्ट से बाहर बैठना पड़ा था। साई सुदर्शन की जगह रिक्त होने के बाद वॉशिंगटन सुंदर को नंबर तीन पर बल्लेबाज़ी के लिए भेजा गया और उन्होंने 29 और 31 रनों की पारी खेली। इसके साथ ही वॉशिंगटन ने दोनों पारियों में कुल 174 गेंदें भी खेली, जितनी दोनों दलों में किसी भी अन्य बल्लेबाज़ ने नहीं खेलीं।
अगर भारत एक विशेषज्ञ बल्लेबाज़ के साथ मैदान में उतरता है तो साई सुदर्शन स्वाभाविक विकल्प होंगे सिर्फ़ एक आधार को छोड़कर क्योंकि वह बाएं हाथ के बल्लेबाज़ हैं। वहीं पड़िक्कल भी बाएं हाथ से ही बल्लेबाज़ी करते हैं।
कोलकाता में साउथ अफ़्रीका के ऑफ़ स्पिनर साइमन हार्मर ने दोनों पारियों में चार-चार विकेट हासिल किए जिनमें छह विकेट बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों के थे। भारत की बल्लेबाज़ी लाइन अप में भी छह बाएं हाथ के बल्लेबाज़ थे जिसके चलते वह हार्मर के ख़िलाफ़ संघर्ष करते दिखाई दिए।
गिल ने पहली पारी में सिर्फ़ तीन गेंदों का सामना किया जिसके चलते भारत दोनों पारियों में 10 बल्लेबाज़ों के साथ ही खेल पाया और एक अहम पहलू यह भी था कि गिल के रूप में उनके पास एक दाएं हाथ का बल्लेबाज़ कम होने के साथ ही उन्हें मध्य क्रम में सबसे मज़बूत स्तंभ की कमी झेलनी पड़ी। आदर्श स्थिति में भारत गिल के विकल्प के रूप में एक दाएं हाथ के बल्लेबाज़ को शामिल करना चाहता लेकिन दल में इस समय गिल की जगह लेने के लिए एक भी दाएं हाथ का विशेषज्ञ बल्लेबाज़ नहीं है।
रेड्डी के रूप में भारत के पास एक बाएं हाथ का विकल्प मौजूद है लेकिन वह अब तक टेस्ट में ख़ुद को एक विशेषज्ञ बल्लेबाज़ या गेंदबाज़ के रूप में स्थापित नहीं कर पाए हैं। कोलकाता टेस्ट से रेड्डी को रिलीज़ किए जाने के बाद ध्रुव जुरेल को बतौर बल्लेबाज़ भारतीय एकादश में मौक़ा दिया गया था। गिल की अनुपस्थिति में दाएं हाथ का विकल्प सुनिश्चित करने के लिए भारत के सामने दो रास्ते हैं।
बांगर : भारत को पहली पारी में और रन बनाने चाहिए थे
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सीधा विकल्प तो यही है कि भारत दल के बाहर से किसी दाएं हाथ के बल्लेबाज़ को शामिल करे। जुरेल के अलावा आयुष म्हात्रे, रजत पाटीदार और आयुष बदोनी ऐसे तीन दाएं हाथ के शीर्ष क्रम के बल्लेबाज़ थे जिन्होंने भारत ए और साउथ अफ़्रीका ए के बीच खेले गए दो अनौपचारिक टेस्ट में खेला था। म्हात्रे ने पारी की शुरुआत करते हुए दोनों मुक़ाबले में अर्धशतक भी जड़ा था। 50 ओवर की सीरीज़ के पहले दो मैचों में 117 और 68* रनों की पारी खेलने वाले ऋतुराज गायकवाड़ भी एक अन्य विकल्प हैं। इनमें से केवल पाटीदार वह खिलाड़ी हैं जो भारत के लिए टेस्ट मैच खेल चुके हैं, लेकिन साउथ अफ़्रीका ए के ख़िलाफ़ पहले अनौपचारिक टेस्ट मैच के बाद से उन्होंने क्रिकेट नहीं खेला है और रणजी ट्रॉफ़ी में केरला के ख़िलाफ़ हालिया मैच में भी वह मध्य प्रदेश की टीम का हिस्सा नहीं थे।
एक अन्य विकल्प सरफ़राज़ ख़ान हैं जो पिछले साल न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ घरेलू टेस्ट सीरीज़ का हिस्सा थे और इसके बाद ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भी वह भारतीय दल का हिस्सा नहीं थे। छह टेस्ट में अब तक उन्होंने 37.10 की औसत से रन बनाए हैं और उनके नाम तीन अर्धशतक और एक शतक भी है। हालांकि वह हालिया इंडिया ए दलों का हिस्सा नहीं रहे हैं जिससे संकेत मिलते हैं कि शायद वह चयनकर्ताओं के प्राथमिक विकल्पों का हिस्सा न बन पाएं।
एक अन्य विकल्प करुण नायर हैं जिन्होंने इस साल इंग्लैंड दौरे पर भारतीय टेस्ट टीम में आठ वर्षों के अंतराल के बाद वापसी की थी। हालांकि चार टेस्ट मैचों में वह केवल एक अर्धशतक ही लगा पाए और इसके बाद उन्हें भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया। नायर ने लेकिन रणजी ट्रॉफ़ी की बढ़िया शुरुआत की और अब तक सात पारियों में वह 73, 174*, 233 और 95 रनों की पारी खेल चुके हैं। वह स्पिन के ख़िलाफ़ भी बढ़िया खिलाड़ी माने जाते हैं।
साई सुदर्शन के साथ मैदान में उतरें और स्पिन ऑलराउंडर की जगह रेड्डी को शामिल करें
अगर भारत मौजूदा दल में से ही किसी खिलाड़ी को गिल की जगह मौक़ा देने का फ़ैसला करता है तो उनके सामने दो विकल्प हैं। पहला विकल्प यह कि साई सुदर्शन और पड़िक्कल में से किसी एक को मौक़ा दें तो सात बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों के साथ मैदान में उतरें जिनमें शीर्ष आठ में छह बाएं हाथ के बल्लेबाज़ होंगे।
दूसरा विकल्प यह होगा कि भारत साई सुदर्शन और रेड्डी के साथ जाए और एक स्पिन गेंदबाज़ी ऑलराउंडर को बाहर बैठाए। चूंकि वॉशिंगटन न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ पिछली टेस्ट सीरीज़ से ही नियमित तौर पर भारतीय एकादश का हिस्सा रहे हैं और कोलकाता में उन्होंने जिस तरह से बल्लेबाज़ी की उससे देखते हुए वॉशिंगटन को एकादश से बाहर बैठाना भारत के लिए एक कठिन निर्णय होगा। ऐसे में अक्षर पटेल को वॉशिंगटन के लिए अपनी जगह कुर्बान करनी पड़ सकती है।
हालांकि अक्षर की मौजूदगी और वॉशिंगटन को शीर्ष क्रम में बल्लेबाज़ी की भूमिका मिलने के साथ ही भारत छह गेंदबाज़ी विकल्प के साथ उतरा था इसलिए वॉशिंगटन ने कोलकाता में मात्र एक ओवर डाला था। वहीं अक्षर ने 20 ओवर की गेंदबाज़ी की थी। वॉशिंगटन का ऑफ़ स्पिनर होना भी कम गेंदबाज़ी करने का एक कारण था। अब अगर अक्षर गुवाहाटी में नहीं खेलते हैं तब ऐसी स्थिति में वॉशिंगटन को काफ़ी गेंदबाज़ी करनी होगी।
हालांकि अक्षर की जगह रेड्डी को एकादश में शामिल किया जाना भारत के लिए घाटे का सौदा नहीं भी हो सकता है। उनका दाएं हाथ का बल्लेबाज़ होना एक अहम कड़ी तो है ही साथ ही जिस तरह से उन्होंने 2024-25 में नैथन लायन के ख़िलाफ़ जिस तरह से बल्लेबाज़ी की थी वह स्पिन के ख़िलाफ़ उनके खेलने की योग्यता भी दर्शाता है। लायन ने सीरीज़ में रेड्डी को दो बार शिकार ज़रूर किया था लेकिन इस दौरान रेड्डी ने लायन की 127 गेंदों पर 86 रन भी बटोरे थे। तो अगर भारत रेड्डी को एकादश में चुनता है तो यह आंकड़े उन्हें इसके लिए प्रेरित ज़रूर करेंगे।
कार्तिक कृष्णास्वामी ESPNcricinfo के सहायक एडिटर हैं।
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