दिलचस्प भिड़ंत : लायन बनाम पुजारा और कोहली, अश्विन बनाम स्मिथ और वॉर्नर
एक नज़र उन भिड़ंतों पर जो तय कर सकते हैं कि बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी कौन जीतेगा

भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया मुक़ाबले में आमतौर पर अविश्वसनीय मैच-अप्स होते हैं। आइए उन मैच-अप्स को देखते हैं जो आगामी टेस्ट सीरीज़ में महत्वपूर्ण होंगे।
लायन बनाम पुजारा और कोहली
इस बारे में बहुत चर्चा हुई है कि ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ उन पिचों पर भारतीय स्पिनरों को कैसे खेलेंगे, जो स्पिनरों को काफ़ी मदद करेगी। लेकिन भारत को नेथन लायन से भी उतना ही सावधान रहने की ज़रूरत है।
भारत में लायन का रिकॉर्ड अद्भुत नहीं तो प्रभावशाली ज़रूर है। उन्होंने यहां खेले सात टेस्ट मैचों में 30.58 की औसत से 34 विकेट हासिल किए हैं। 2012-13 में तीन टेस्ट मैचों में उनकी औसत 37.33 की रही, लेकिन अगले दौरे (2016-17) में उन्होंने इसमें सुधार किया और उनकी औसत 25.26 की रही। इसके अलावा 2012-13 दौरे पर लायन का इकॉनमी रेट 4.4 का रहा था, जिसको उन्होंने 2016-17 दौरे पर बेहतर किया और 2.88 के इकॉनमी रेट से गेंदबाज़ी की। इसका मतलब हुआ कि वह एक छोर से निंयत्रण के साथ गेंदबाज़ी कर सकते हैं, जबकि तेज़ गेंदबाज़ दूसरे छोर से आक्रमण करेंगे।
भारत के दो प्रमुख और सबसे अनुभवी टेस्ट बल्लेबाज़ों के ख़िलाफ़ लायन के आंकड़े और भी बेहतर हैं। लायन ने भारत में चेतेश्वर पुजारा को 35.2 की औसत से पांच बार आउट किया है, जबकि विराट कोहली के ख़िलाफ़ उनके आंकड़े और भी बेहतर हैं। उन्होंने कोहली का 23.25 की औसत से चार बार शिकार किया है।
दोनों बल्लेबाज़ लायन को ऑस्ट्रेलिया में बेहतर खेलते हैं। जिसका मतलब है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम इस बैटल को घर से बाहर ही देखना पसंद करेगी। इसके अलवा लायन को एशिया में सबसे ज़्यादा विकेट चटकाने वाले ग़ैर-एशियाई स्पिनर शेन वार्न को पछाड़ने के लिए दस विकेटों की ज़रूरत है।
पुजारा और कोहली बनाम ऑस्ट्रेलिया के तेज़ गेंदबाज़
जहां भारत के प्रमुख बल्लेबाज़ों का भारत में सामना करने के लिए लायन बेताब होंगे, वहीं ऑस्ट्रेलिया के तेज़ गेंदबाज़ों के लिए यह नहीं कहा जा सकता है। साथ ही जॉश हेज़लवुड के पहले टेस्ट से बाहर होने के बाद तो ऑस्ट्रेलिया को करारा झटका लगा है।
जब ऑस्ट्रेलियाई टीम घर पर खेलती है तो हेज़लवुड और पैट कमिंस दोनों ही उनके लिए बड़े विकेट चटकाने में महत्वपूर्ण रहे हैं। उदाहरण के लिए कमिंस ने पुजारा को 16.85 की औसत से सात बार आउट किया है, वहीं हेज़लवुड ने पुजारा को 28 की औसत से पांच बार आउट किया है। पुजारा ने 2018-19 सीरीज़ में हेज़लवुड के सामने अच्छा प्रदर्शन किया और सिर्फ़ एक बार आउट होते हुए 102 रन बनाए। लेकिन ऑस्ट्रेलिया में हुए दो अन्य सीरीज़ (2014-15 और 2020-21) में हेज़लवुड ने बाज़ी मारी। उन्होंने पुजारा को चार बार आउट किया और अपनी गेंदों पर उन्हें सिर्फ़ 38 रन बनाने दिए।
इन दोनों गेंदबाज़ों ने मिलकर ऑस्ट्रेलिया में पुजारा ख़िलाफ़ 1.5 रन प्रति ओवर के दर से गेंदबाज़ी की है और उन्हें एक बार आउट करने के लिए सिर्फ़ 21.5 रन खर्चे हैं। ऑस्ट्रेलिया में कमिंस और हेज़लवुड के ख़िलाफ़ पुजारा 12 बार आउट हुए हैं, जिसमें से छह बार वह बल्ले का किनारा लेकर जाती गेंदों पर स्टंप के पीछे आउट हुए हैं। लेकिन भारत में गति और उछाल की कमी के कारण ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ों के लिए यह करना मुश्किल है। लिहाज़ा भारत में कमिंस और हेज़लवुड ने पुजारा को सिर्फ़ एक बार आउट किया है, जिसके लिए उन्हें 2.7 रन प्रति ओवर के दर से 152 रन खर्चने पड़े। इन आंकड़ों को देखते हुए इसमें कोई संदेह नहीं है कि पुजारा ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख तेज़ गेंदबाज़ों का सामना कहां करना पसंद करेंगे।
कोहली की कहानी थोड़ी अलग है।
भारत की तुलना में ऑस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ कोहली के बेहतर आंकड़े हैं। पिछली बार जब ऑस्ट्रेलिया ने 2017 में भारत का दौरा किया था, तब कोहली ने पांच पारियों में 9.20 की औसत से 46 रन बनाए थे। उन्हें आने वाले कुछ हफ़्तों में इसका क्षतिपूर्ति करने का अवसर मिलेगा।
अश्विन बनाम वॉर्नर
ऑस्ट्रेलिया ने बड़ौदा के 21 वर्षीय स्पिनर महीश पिठिया से नेट्स में गेंदबाज़ी कराई। क्यों? क्योंकि उनका एक्शन आर अश्विन जैसा है। इसमें आश्चर्य की बात नहीं है। क्योंकि, ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ घर में आठ टेस्ट मैचों में अश्विन ने 23.16 की औसत से 50 विकेट लिए हैं।
एक बल्लेबाज़ जिन्हें निश्चित रूप से कुछ मदद मिली होगी वह हैं डेविड वॉर्नर। 385 गेंदों में 182 रन (18.2 की औसत) रन देकर दस शिकार, बताता है कि इस लड़ाई में सिर्फ़ एक ही खिलाड़ी का दबदबा रहा है। भारत में 2012-13 सीरीज़ में ही कुछ कांटे की टक्कर देखने को मिली थी, जब वॉर्नर ने अश्विन के ख़िलाफ़ 79 रन बनाए और सिर्फ़ दो बार आउट हुए थे।
वॉर्नर शायद इस तथ्य से कुछ प्रोत्साहन ले सकते हैं कि अश्विन के ख़िलाफ उनके आंकड़े ऑस्ट्रेलिया की तुलना में भारत में बेहतर हैं। भारत में अश्विन के ख़िलाफ़ वॉर्नर की औसत 29.20 और ऑस्ट्रेलिया में 7.20 की है। अश्विन उन तीन गेंदबाज़ों में से एक हैं जिन्होंने वॉर्नर को टेस्ट में कम से कम दस बार आउट किया है। स्टुअर्ट ब्रॉड और जेम्स एंडरसन अन्य दो गेंदबाज़ हैं। लेकिन अश्विन का औसत सबसे अच्छा है।
इस बैटल में रवींद्र जाडेजा को शामिल करें, तो उन्होंने वॉर्नर को 14.75 की औसत से चार बार आउट किया है। यह सीरीज़ वॉर्नर के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होने वाली है।
स्मिथ बनाम भारतीय स्पिनर्स
दूसरी ओर स्टीवन स्मिथका इन दोनों भारतीय स्पिनरों के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त आंकड़े हैं और वह इस सीरीज़ में एक महत्वपूर्ण बल्लेबाज़ होंगे। उनकी अश्विन के ख़िलाफ़ 68.66 (भारत में 57) और जाडेजा के ख़िलाफ़ 45.25 (भारत में 37.75) की औसत है। 2016-17 के भारत दौरे पर स्मिथ ने अश्विन के ख़िलाफ़ 66 और जाडेजा के ख़िलाफ 40.66 की औसत से रन बनाए थे।
स्मिथ को अभी भी अश्विन के ख़िलाफ़ ख़ुद को साबित करना होगा क्योंकि जब 2020-21 में ऑस्ट्रेलिया में उनका सामना हुआ था तो अश्विन ने 124 गेंदों में 64 रन देकर तीन बार स्मिथ का शिकार किया था।
एस राजेश (@rajeshstats) ESPNcricinfo में स्टैट्स एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के एडिटोरियल फ़्रीलांसर कुणाल किशोर ने किया है।
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