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क्या धर्मशाला में मिल पाएगी इंग्लैंड की साख को शरण?

कौन से भारतीय खिलाड़ी बन सकते हैं इंग्लैंड की राह का रोड़ा?

मांजरेकर: बुमराह के लिए सिराज करें आराम - पाटीदार को एक मौक़ा और

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भारत और इंग्लैंड के बीच खेले जाने वाले पांचवें टेस्ट का प्रीव्यू संजय मांजरेकर के साथ

अपने नाम के अनुरूप ही धर्मशाला की पहचान भारत में स्थित एक धार्मिक केंद्र के तौर पर है। धार्मिक रूप में इसकी एक पहचान शरण स्थली की तो है लेकिन सौंदर्यता को अपने भीतर समाहित किया हुआ यह शहर भारत के एक अन्य धर्म (क्रिकेट) का भी एक उभरता हुआ केंद्र है। गुरुवार को इसी केंद्र पर क्रिकेट को जन्म देने वाले देश और उसको धर्म की पहचान दिलाने वाले देश के बीच भिड़ंत होने वाली है।

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धर्मशाला में यह दूसरी बार है जब टेस्ट मैच का आयोजन किया जा रहा है। इससे पहले मार्च 2017 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट मैच खेला गया था। अब तक की श्रृंखला में भारत का दबदबा ज़रूर रहा है लेकिन धर्मशाला की परिस्थितियां मेहमानों को अधिक रास ज़रूर आ सकती हैं। इंग्लैंड के पक्ष में परिस्थिति अगर है तो भारत के पक्ष में भी सात वर्ष पहले इसी जगह पर खिलाड़ियों द्वारा किए गए प्रदर्शन हैं जो इस सीरीज़ में भी धमाल मचा रहे हैं।

इंग्लैंड का सूर्योदय होने से रोकेंगे भारत के दो 'रवि'?

इस कड़ी में पहला नाम रवींद्र जाडेजा का है। टेस्ट में जाडेजा का नाम गेंदबाज़ी के लिए अधिक लिया जाता है। धर्मशाला भी जाडेजा की फिरकी से परिचित है। उन्होंने भारत द्वारा ऑस्ट्रेलिया को दी गई आठ विकेटों की शिकस्त में गेंद और बल्ले दोनों से कमाल दिखाया था। जाडेजा ने अर्धशतक के अलावा मैच में चार विकेट लिए थे, जिसमें दूसरी पारी में लिए गए तीन अहम विकेट शामिल थे। भारत की ओर से वह उस मैच में केएल राहुल के अलावा अर्धशतक लगाने वाले इकलौते बल्लेबाज़ थे। अगर पहली पारी में निचले क्रम में जाडेजा ने यह पारी नहीं खेली होती तो भारत ऑस्ट्रेलिया के ऊपर छोटी ही सही लेकिन बेहद उपयोगी बढ़त (32 रन) नहीं ले पाता।

जाडेजा इस श्रृंखला में भी बल्ले और गेंद दोनों के साथ लय में हैं। जाडेजा के बल्ले से इस सीरीज़ में अब तक एक शतक और एक अर्धशतक के साथ 217 रन आए हैं और वह यशस्वी जायसवाल, शुभमन गिल और रोहित के बाद सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज़ भी हैं। जाडेजा ने इस श्रृंखला में भारत की ओर सर्वाधिक 17 विकेट लिए हैं। उनके ऐसे आंकड़े तब हैं, जब वह चोट के चलते विशाखापटनम टेस्ट नहीं खेल पाए थे। धर्मशाला में जाडेजा के पिछले प्रदर्शन ने उन्हें प्लेयर ऑफ़ द मैच और प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ का अवॉर्ड एक साथ दिया था।

दोनों ने इस श्रृंखला में अब तक 17-17 विकेट लिए हैं  BCCI

पिछले धर्मशाला टेस्ट में रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे नाम नदारद थे, ऐसे में यह धर्मशाला में रोहित का पहला टेस्ट मैच भी होगा। हालांकि यह टेस्ट, उस खिलाड़ी के लिए अधिक यादगार होने जा रहा है जो टेस्ट मैच खेलने की संख्या के लिहाज़ से शतक पूरा करने जा रहा है। रविचंद्रन अश्विन ने ही धर्मशाला में सात साल पहले शतक बनाकर क्रीज़ पर अंगद की तरह पैर जमा चुके स्टीव स्मिथ को पवेलियन भेजा था और भारत की मैच में वापसी कराई थी।

इस सीरीज़ में अश्विन और जाडेजा (17) के नाम बराबर विकेट हैं, हालांकि अश्विन ने जितने मेडन ओवर डाले हैं उतनी ही इस सीरीज़ में जाडेजा ने नो बॉल (11) फेंकी है। भले ही अश्विन और जाडेजा की जोड़ी का वैसा रूप अब तक इस सीरीज़ में देखने को नहीं मिला हो जिसके लिए वह दोनों जाने जाते हैं लेकिन धर्मशाला में एक बार फिर यह दोनों कुछ वैसा ही प्रदर्शन दोहराने की मंशा से उतरेंगे जब दोनों ने दूसरी पारी में मिलकर भारतीय टीम के लिए, पहली पारी में स्मिथ द्वारा बनाए गए रनों (111) से भी कम का लक्ष्य सुनिश्चित करवा दिया था।

अप्प (कुल)दीपो भव

धर्मशाला की पहचान से यह सूत्र जितना जुड़ा हुआ है उतना ही परिश्रम इस सीरीज़ में अब तक कुलदीप यादव के प्रदर्शन में भी साफ़ तौर पर झलका है। अश्विन और जाडेजा जैसे दिग्गजों की उपस्थिति में कुलदीप ने अपनी जगह मज़बूती से स्थापित की है और ख़ुद कप्तान रोहित ने उनका सदुपयोग भी किया है। इस सीरीज़ में अब तक जाडेजा द्वारा फेंकी गई कुल नो बॉल, अश्विन द्वारा डाले गए मेडन ओवर की संख्या का कनेक्शन कुलदीप के साथ भी है। कुलदीप ने भी इस श्रृंखला में 11 मेडन ओवर डालते हुए 12 विकेट लिए हैं और वह भारत की ओर इस श्रृंखला में सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ों की सूची में दूसरे नंबर पर हैं।

कुलदीप ने धर्मशाला में ही टेस्ट डेब्यू किया था  Getty Images

हालांकि 11 का यह अंक धर्मशाला के दृष्टिकोण से कुलदीप के लिए अलग अहमियत रखता है। अगर धर्मशाला अश्विन के लिए यादगार रहने वाला है तो यही मैदान सात साल पहले कुलदीप के लिए यादगार बन चुका था। इसी मैदान पर कुलदीप ने पहली बार टेस्ट में अंतिम 11 में जगह बनाई थी। कुलदीप ने ही पहली पारी में चार अहम विकेट झटक कर ऑस्ट्रेलिया को बड़ा स्कोर खड़ा करने से रोका था, जिसके चलते भारतीय बल्लेबाज़ी में बड़ी पारियां ना आ पाने के बावजूद भारत उस मैच में ऑस्ट्रेलिया से आगे हो पाया था।

श्रृंखला के लिहाज़ से भले ही यह टेस्ट मैच उतना महत्व नहीं रखता हो लेकिन विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का चल रहा यह चक्र दोनों टीमों के लिए भी उतना ही अहम है। पिछली बार जब भारत ने धर्मशाला में टेस्ट जीत का पताका फहराया था, उस घटना को सात साल बीतने को आए हैं। लेकिन क्या पता इस बार भी समय ख़ुद के उसी चक्र (अशोक चक्र) की प्रवृति के होने का सबूत देने के लिए तत्पर बैठा हो, जो धर्मशाला के शरणार्थियों की विरासत के सर्व शक्तिशाली अनुयायी के शिलालेखों पर अंकित है? या क्या पता अपनी पहचान के ही अनुरूप धर्मशाला एक बार फिर सताए हुए लोगों की साख को शरण देने के लिए तत्पर बैठा हो?

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